
एक तरफ जहां दुनियाभर के साइंटिस्ट वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से निपटने के लिए टीका और दवा बनाने में जुटे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ भारत में पतंजलि समूह द्वारा निर्मित 'कोरोनिल' दवा इन दिनों चर्चा में है। पतंजलि समूह ने कोरोनिल से कोरोना के 100 फीसदी इलाज का दावा किया है और बड़ी जोर से इसका प्रमोशन शुरू किया था लेकिन आयुष मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा इसके प्रमोशन पर रोक लगाने के बाद बाबा रामदेव की कंपनी को झटका लगा है। इसके साथ ही मंत्रालय ने पतंजलि से दवा के प्रचार पर रोक लगाने के साथ कोरोना के इलाज के दावे को साबित करने के लिए भी कहा है।
बता दें कि अब तक, इस घातक COVID-19 महामारी के लिए कोई टीका, उपचार या इलाज नहीं मिला है। कोरोना से वैश्विक स्तर पर 80 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं और लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
पतंजलि समूह, दुनिया का पहला समूह है, जो दुनियाभर में महामारी का कारण बने घातक COVID-19 रोग को निशाना बनाने के अपने अनोखे इलाज के साथ सामने आया है। योग गुरु बाबा रामदेव की अगुवाई वाली कंपनी ने भारत में 'कोरोनिल' नाम की एक दवा लॉन्च की है, जिसकी कीमत 545 रुपये प्रति यूनिट है। इसके साथ ही कंपनी ने सात दिनों के समय में COVID -19 के मजबूत इलाज का भी दावा करते हुए 'श्वासारि वटी' नाम की एक और दवा भी लॉन्च की है। हालांकि इस दावे को अभी तक ICMR या आयुष मंत्रालय द्वारा समर्थन हासिल नहीं हुआ है।
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100% रिकवरी दर होने का दावा करते हुए पतंजलि ने कोरोनिल को हाल ही में लॉन्च किया था, जिसके बाद इस दवा के निर्माताओं ने दावा किया था कि पिछले कुछ दिनों में दवा की मदद से कुछ रोगियों का इलाज करने में उन्हें अपार सफलता मिली है। पतंजलि समूह के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने यह भी दावा किया कि गिलोय और अश्वगंधा जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बनी उनकी गुणकारी दवा, शरीर में वायरल के प्रसार को कम करने और पारंपरिक एलोपैथिक दवाओं की तुलना में रिकवरी को तेजी से बढ़ाने में सक्षम है।
कंपनी की एक अनोखी कोरोना किट ने भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करना शुरू कर दिया, जिसके बाद ICMR ने इस मामले पर अपना रुख करते हुए निर्माताओं को दवा की मार्केटिंग पर रोक लगाने और उन्हें पहले इसकी प्रभावकारिता साबित करने के लिए कहा। दिलचस्प बात जो सामने आ रही है कि ये दवा अभी भी क्लिनिकल ट्रायल स्टेज में है, जिसका अध्ययन पूरे भारत के 12 केंद्रों में किया जा रहा है।
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वहीं आयुष मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में दवा निर्माताओं को दवा की संरचना का विवरण, उसके लिए किए गए शोध और और किसी संस्थान द्वारा मिली मंजूरी को सामने रखने के लिए कहा है। मंत्रालय का कहना है कि "उल्लिखित वैज्ञानिक अध्ययन के दावे और विवरण के तथ्यों से मंत्रालय अवगत नहीं हैं।"
आयुर्वेदिक समूह पतंजलि ने दावा किया है कि उसने जयपुर स्थित NIMS विश्वविद्यालय के सहयोग से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रहने वाले रोगियों के सिवाय COVID-19 से पीड़ित 280 मरीजों पर व्यापक शोध किया है। दिलचस्प बात यह है कि आयुष मंत्रालय ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ मिलकर कोरोनोवायरस से लड़ने के लिए चार महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के नैदानिक परीक्षण परीक्षण शुरू किए थे। अध्ययन के अंतर्गत आने वाली दवाओं में अश्वगंधा, गुडूची, यष्टिमधु, पीपली और एक अन्य दवा 'आयुष 64' है ।
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