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स्किन से लेकर बालों की ग्रंथियों को प्रभावित करता है ये जेनेटिक डिसऑर्डर, जानें इसके कारण और लक्षण

हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया एक ऐसी बीमारी है, जो आपके पसीने, बाल, नाखून और स्किन की ग्रंथियों को प्रभावित करता है। आइए जानते हैं इसके कारण और लक्षणों के बारे में- 
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स्किन से लेकर बालों की ग्रंथियों को प्रभावित करता है ये जेनेटिक डिसऑर्डर, जानें इसके कारण और लक्षण


गर्मी लगने पर पसीना आना, बालों का बढ़ना, स्किन का निखार, दांतों से भोजन करना और नाखूनों को बढ़ना। ये सभी नेचुरल चीजें हैं, जो हमारे लिए इतनी आम हैं कि हम कभी इनके बारें में सोचते ही नहीं हैं। लेकिन, सोचिए अगर किसी दिन आपको गर्मी तो लगे लेकिन पसीना न आए, बाल बहुत कम हो जाएं, दांत अजीब से दिखने लगे या स्किन ड्राई, रूखी और बेजान होने लगे तो आपका तनाव लेवल न से सीधे हाई लेवल पर पहुंच जाएगा। दरअसल, ये सारी समस्याएं किसी व्यक्ति में एक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकते हैं, जिसे हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया कहा जाता है। यह बीमारी किसी व्यक्ति में जन्मजात होती है और शरीर के उन हिस्सों को प्रभावित करती है, जो किसी व्यक्ति को जीने के लिए जरूरी होते हैं। इस बीमारी में पीड़ित के बाल, स्किन, दांत और पसीना निकालने वाली ग्रंथियां प्रभावित होती है। आइए एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज से जानते हैं कि हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया के कारण और लक्षण क्या हैं?

हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया के कारण

डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज के अनुसार, हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया होने का मुख्य कारण आमतौर पर जेनेटिक म्यूटेशन है। यह बीमारी किसी भी व्यक्ति में जन्म से होती है, जो जेनेटिक है। इस बीमारी के होने के पीछे मुख्य कारण ये हो सकते हैं-

  • जीन म्यूटेशन: यह डिसऑर्डर आमतौर पर EDA, EDAR, और EDARADD नाम के जीनों में होने वाले म्यूटेशन के कारण होती है। ये जीन शरीर में एक्टोडर्मल टिशू के विकास और फैलाव के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।
  • वंशानुगत पैटर्न: हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया होने का वंशानुगत पैटर्न सबसे आम प्रकार का HED, X-linked होता है, जिसमें यह विकार X क्रोमोसोम से जुड़ा होता है, जो लड़कों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, क्योंकि उनके पास केवल X क्रोमोसोम होता है।
  • पारिवारिक इतिहास: अगर परिवार में पहले किसी को यह बीमारी रही हो तो आने वाली पीढ़ियों में भी इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है।

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हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया के लक्षण

डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज के मुताबिक, हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, जो बचपन से ही नजर आने लगते हैं। यह लक्षण अक्सर शरीर के बाहरी हिस्सों पर असर डालते हैं। जैसे-

  • पसीना न आना: शरीर में पसीने की ग्रंथियां पूरी तरह विकसित नहीं हो पाती हैं, जिस कारण पीड़ित बिल्कुल भी गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाता है। ऐसे में व्यक्ति में हीट स्ट्रोक और तेज बुखार आने का जोखिम बना रहता है।
  • बालों की समस्या: इस बीमारी से पीड़ित लोगों के सिर के बाल बहुत पतले और हल्के होते हैं। आइब्रो और पलकों के बाल भी बहुत कम हो सकते हैं, कभी-कभी शरीर के अन्य हिस्सों के बाल भी नहीं उगते हैं।
  • दांतों की समस्या: इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के दूध और स्थायी दोनों तरह के दांत कम, नुकीले और असामान्य आकार के हो सकते हैं। इन लोगों को खाना चबाने में परेशानी हो सकती है।
  • त्वचा की समस्या: हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया से पीड़ित लोगों की स्किन ड्राई और पतली हो सकती है। इन लोगों में डर्मेटाइटिस या एक्जिमा जैसी समस्याएं आम होती हैं। साथ ही होंठ और नाक के आसपास का हिस्सा सूखा और फटा हुआ दिखाई देता है।

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निष्कर्ष

हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो किसी भी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। लेकिन, समय रहते इस बीमारी के बारे में पता चल जाए तो सही देखभाल की जा सकता है, जिससे पीड़ित को एक सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है।

Image Credit: Freepik 

FAQ

  • पसीने की ग्रंथि की समस्या क्या होती है?

    पसीने की ग्रंथियों की समस्या में ज्यादा पसीना आना, कम पसीना आना या बिल्कुल पसीना न आने की समस्या शामिल है। ये स्थितियां गर्मी के प्रति सेंसिटिविटी, थकान और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
  • पसीने से कौन सा रोग होता है?

    पसीने के कारण कारण सीधी बीमारी नहीं होती है, लेकिन ज्यादा पसीना आना कुछ बीमारियों का संकेत हो सकता है।
  • पसीना आने के फायदे और नुकसान?

    पसीना आना शरीर की एक नॉर्मल प्रक्रिया है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। पसीना शरीर को ठंडा रखने, डिटॉक्स करने और स्किन को स्वस्थ रखने में मदद करता है। जबकि ज्यादा पसीना आने के कारण आपको कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है, जिससे स्किन में जलन और इंफेक्शन भी हो सकता है। 

 

 

 

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