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डीप ब्रेन स्टिमुलेशन की मदद से 7 साल के सचिन ने जेनेटिक डिस्टोनिया डिसऑर्डर से जीती जंग, जानें कैसे हुआ इलाज

Dystonia Genetic Disorder True Story: जब सचिन में जेनेटिक डिस्टोनिया डिसऑर्डर का निदान हुआ, तो सर्जरी के माध्यम से सचिन का इलाज संभव हो पाया है।
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डीप ब्रेन स्टिमुलेशन की मदद से 7 साल के सचिन ने जेनेटिक डिस्टोनिया डिसऑर्डर से जीती जंग, जानें कैसे हुआ इलाज


Dystonia Genetic Disorder: बच्चे का शारीरिक विकास हो या मानसिक, यह धीरे-धीरे ही होता है। हालांकि, अगर विकास रुक जाए, तो यह बेहद चिंता का विषय हो जाता है। ऐसा ही, 7 वर्षीय सचिन (बदला हुआ नाम) के साथ हुआ। तीन साल तक उसका विकास सही तरीके से हो रहा था। लेकिन फिर उसका विकास अचानक से रुक-सा गया था। वह न चल पा रहा था, न ही कुछ बोल पा रहा था। ऐसे में सचिन के पेरेंट्स काफी परेशान हो गए थे। उन्होंने सचिन का इलाज करवाने के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन थोड़ा-सा सुधार होने के बाद, सचिन की स्थिति फिर खराब हो जाती थी। आखिर में जब सचिन में जेनेटिक डिस्टोनिया डिसऑर्डर का निदान हुआ, तो सर्जरी के माध्यम से सचिन का इलाज संभव हो पाया है। आइए, इस लेख में जानते हैं जेनेटिक डिस्टोनिया डिसऑर्डर क्या होता है? साथ ही, इस डिसऑर्डर की वजह से सचिन को कौन-कौन सी परेशानियों का सामना करना पड़ा या सर्जरी के बाद उसकी स्थिति कैसी है। 

3 साल के बाद रुक गया था सचिन का विकास

सचिन की मम्मी बताती हैं, ‘सचिन का सफर बेहद चुनौतियों से भरा रहा है। तीन साल तक वह काफी हेल्दी था और उसका सामान्य रूप से विकास हो रहा था। लेकिन तीन साल के बाद उसका विकास धीमा होने लगा। एक दिन अचानक से उसके दोनों पैरों में जकड़न हो गई। इसकी वजह से उसे चलने-फिरने में दिक्कत महसूस होने लगी। 6 महीने के अंदर यह जकड़न शरीर की दूसरी मांसपेशियों में भी होने लगी। ऐसे में सचिन को गंभीर विकलांगता का सामना करना पड़ा। जैसे-जैसे जकड़न की समस्या बढ़ती गई, वह न खड़ा हो पाता था, न ही बैठ पाता था। वह सिर्फ बिस्तर पर ही लेटा रहता था। यहां तक कि सचिन के मुंह में भी जकड़न हो गई थी। इसकी वजह से वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था, न ही वह कुछ खा पा रहा था।’

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अचानक से हिलने लग गया था उसका शरीर

सचिन की मम्मी बताती हैं, ‘साल 2020 में सचिन ढाई साल का था। जब वह ढाई साल का हुआ, तो उसने सीधे पैर की उंगलियों पर चलना शुरू कर दिया था। लेकिन वह सामान्य तरीके से नहीं चल रहा था। फिर उसे फिजियोथेरेपी करवाई। इससे सचिन में थोड़ा इंप्रूमेंट नजर आने लगा। लेकिन जब वह 3 साल का हुआ, तो उसका पूरी बॉडी पर से कंट्रोल खत्म होने लगा। साल 2021, अगस्त में सचिन को तेज बुखार आया। वह खड़ा नहीं हो पा रहा था, उसकी पूरी बॉडी हिलने लगी थी। उसे डाइजेशन की दिक्कत होने लगी थी। सचिन को इस हालत में देखकर हम सभी घबरा गए। फिर हम सचिन को एस.आर.सी.सी. चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल लेकर गए। वहां, सचिन के कई टेस्ट हुए, जिसमें पता चला कि सचिन को जेनेटिक डिस्टोनिया डिसऑर्डर है। 

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जेनेटिक डिस्टोनिया डिसऑर्डर का हुआ निदान

SRCC चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनाइता उदवाडिया हेगड़े बताती हैं, ‘जब सचिन के माता-पिता उसे हॉस्पिटल लेकर आए, तो कुछ टेस्ट करवाए गए। शुरुआती जांच में ही सचिन में डिस्टोनिया का पता चल गया। आपको बता दें कि यह एक आनुवंशिक विकार है। फिर सचिन के एमआरआई, ब्लड और सेरिब्रल स्पाइनल फ्लूइड टेस्ट किए गए। इसके बाद आनुवंशिक परीक्षण किया गया। इस टेस्ट में केएमटी2बी जीन में म्युटेशन की पुष्टि हुई।’

जेनेटिक डिस्टोनिया डिसऑर्डर क्या है?

जेनेटिक डिस्टोनिया एक मूवमेंट डिसऑर्डर है, जो असामान्य गतिविधियों के कारण हो सकता है। यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। जेनेटिक डिस्टोनिया की वजह से सामान्य से लेकर गंभीर लक्षणों का अनुभव हो सकता है। यह डिसऑर्डर जेनेटिक होता है। यानी एक पीढ़ी से अगले पीढ़ी में आ सकता है।

डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी से हुआ इलाज

डॉ. अनाइता उदवाडिया हेगड़े बताती हैं, ‘सचिन के इलाज के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी की मदद ली गई थी। इसमें इलेक्ट्रोड को सिर के बेसल गैन्ग्लिया में ट्रांसप्लांट किया जाता है। यह सर्जरी, वयस्कों में पार्किंसंस रोगों के इलाज में सहायक होती है। जबकि बच्चों में इस सर्जरी का उपयोग कम ही मामलों में किया जाता है। सचिन की स्थिति को देखकर ही, उसे डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी की सलाह दी गई थी।'

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सर्जरी के बाद हुआ काफी सुधार

सचिन की मम्मी बताती हैं, ‘सर्जरी के बाद सचिन में काफी सुधार देखने को मिला है। सर्जरी के बाद, सचिन आसानी से बैठ पा रहा है। वह खाना खा पा रहा है। इसके साथ ही, वह धीरे-धीरे साफ भी बोलने लगा है। वह अब हमारे साथ बैठकर भी बातचीत करता है। अब वह स्कूल जाने के लिए भी बेहद उत्सुक है। उसे सभी बातों को समझने में भी मदद मिली है। जैसी सचिन की हालत थी, हम काफी डरे हुए थे। लेकिन आज सचिन की हालत में काफी सुधार हुआ है।’

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