मस्तिष्क संबंधी रोगों में व्यक्ति को रोजाना के कार्य करने में भी परेशानी होने लगती है। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन एक तरह का सर्जिकल प्रक्रिया है। इससे पार्किंसन, अवसाद व मिर्गी के रोग को कम किया जा सकता है। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन में मरीज के ब्रेन में इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। इसमें इलेक्ट्रिक तरंगों के द्वारा ब्रेन में होने वाले न्यूरोलॉजिकल विकारों को कम करने में मदद मिलती है। इसके बारे में हमने न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर एस शशांक (Zynova Shalby Hospital) से बात कि तो उन्होंने इलाज की इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया।
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन क्या है - What is Deep Brain Stimulation in Hindi
डॉक्टर के अनुसार डीप ब्रेन स्टिमुलेशम एक न्यूरोसर्जरी है, इससे ब्रेन प्रॉबल्म को ठीक किया जाता है। न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए इस सर्जरी का उपयोग किया जाता है। ब्रेन के किसी खास हिस्से में जब इलेक्ट्रिक प्रतिक्रियाएं बढ़ जाती है, तो ऐसे में व्यक्ति को मूवमेंट डिसऑर्डर होने की संभावना हो सकती है। इस दौरान व्यक्ति को पार्किंसंस रोग या टूरेट सिंड्रोम हो सकता है। इस विकार में व्यक्ति के हाथ पैर हिलाने के मूवमेंट कम या ज्यादा हो सकते हैं। इसमें व्यक्ति को मांसपेशियों में अकड़न या कंपकंपी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। इस तरह की समस्या व्यक्ति को जन्म से या किसी चोट, ब्रेन में इंफेक्शन और किसी तरह की मेडिसिन के उपयोग आदि से हो सकती है। डीप ब्रेन स्टीमुलेशन को ब्रेन में लगाकर, ब्रेन के असामान्य इलेक्ट्रिक फंक्शन को नियंत्रित किया जाता है। डीबीएस में कई हिस्सों को उपयोग किया जाता है। जिसको आगे विस्तार से बताया गया है।
- लीड्स - यह एक इंसुलेटेड वायर होता है, जिसके एक प्वाइंट पर इलेक्ट्रोड लगा होता है। इसे ब्रेन के उन हिस्सों में लगाया जाता है, जिसमें इलेक्ट्रिक असामान्य गतिविधियां हो रही होती है।
- इंप्लांटेबल लीड्स जनरेटर - यह पेसमेकर की तरह होता है, इसे कॉलरबोन के पास लगाया जाता है।
- एंकर - यह ब्रेन में लीड्स को हिलने से बचाता है।
- एक्सटेंशन लीड्स - यह भी एक इंसुलेडेट वायर होती है, जो जनरेटर को लीड्स कनेक्ट करने का काम करती है।
- हैंड हैल्ड प्रोग्रामर डिवाइस - यह उपकरण को चलाने के काम आता है, पल्स जनरेट द्वारा इलेक्ट्रिक सिग्नल्स को नियंत्रित करने का काम करता है। इसके एक्टिवेट होने पर इलेक्ट्रोड्स में इलेक्ट्रिक सिग्निल भेजता है।
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डीप ब्रेन स्टिमुलेशन किन मरीजों के लिए की जाती है?
- पार्किंसंस रोग
- एसेंशियल ट्रेमोर
- ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर
- एपिलेप्सी
- डिस्टोनिया, आदि।
डीबीएस से किस तरह का जोखिम हो सकता है?
डीबीएस एक तरह सर्जरी होती है, इसलिए आपको इससे समस्या होने का खतरा हो सकता है। आगे इस सर्जरी के बाद होने वाले कुछ जोखिम कारकों को विस्तार से बताया गया है।
- संक्रमण और सेप्सिस,
- ब्लीडिंग (अंदुरूनी या आपके चीरे की जगह पर)।
- बेहोशी होना,
- कोमा,
- आपके ब्रेन में और उसके आसपास सूजन आना, आदि।
इस सर्जरी को करने से पहले डॉक्टर मरीज का ब्लड टेस्ट करते हैं। इसके न्यूरोसाइकोलॉजिकल असेसमेंट में मूड, याददाश्त और सोचने की शक्ति की जांच की जाती है। इसके अलावा, एमआरआई स्कैन किया जाता है। इसे करने के बाद मरीज की स्थिति की जांच की जाती है। सर्जरी के बाद दवाओं असर पहले के मुकाबले अधिक होने लगता है।