जानिए कब पड़ती है घुटनों के एम.आर.आई. स्कैन की जरूरत और क्या है प्रक्रिया

जब रोग का पता नहीं चलता है, तो डॉक्टर आपको घुटनों का एम.आर.आई. स्कैन करवाने की सलाह देते हैं। आइये आपको बताते हैं कि क्या है घुटनों का एमआरआई स्कैन और कब पड़ती है इसकी जरूरत।
  • SHARE
  • FOLLOW
जानिए कब पड़ती है घुटनों के एम.आर.आई. स्कैन की जरूरत और क्या है प्रक्रिया


घुटनों के दर्द को आमतौर पर बड़ी उम्र की बीमारी माना जाता है मगर आजकल युवा और बच्चे भी इस बीमारी से परेशान हो रहे हैं। अगर घुटनों में होने वाला दर्द सामान्य है और कभी-कभार होता है, तो इसका कारण नसों का खिंचाव या ज्यादा मेहनत आदि हो सकता है। मगर अगर घुटनों में दर्द की शिकायत अक्सर रहती है या सूजन आ जाती है, तो ये घुटनों से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी का भी संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में जब रोग का पता नहीं चलता है, तो डॉक्टर आपको घुटनों का एम.आर.आई. स्कैन करवाने की सलाह देते हैं। आइये आपको बताते हैं कि क्या है घुटनों का एमआरआई स्कैन और कब पड़ती है इसकी जरूरत।

घुटनों की जांच के लिए एम.आर.आई

घुटनों की एम.आर.आई द्वारा घुटने के विभिन्न भागों की जांच की जाती है और रोग के कारण का पता लगाया जाता है। घुटने के कई हिस्से होते हैं जैसे- हड्डियां, कार्टिलेज, टेंडन्स, मांसपेशियां, लिगामेंट्स और रक्त वाहिकाएं आदि। सामान्य जांच से इन सभी की जांच नहीं की जा सकती है जबकि एम.आर.आई तकनीक से इन सभी हिस्सों की जांच एक साथ हो सकती है।

इसे भी पढ़ें:- अचानक क्‍यों आ जाती है घुटने में मोच, जानें कारण लक्षण और उपचार

कैसे होती है एम.आर.आई जांच

एम.आर.आई को मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग कहते हैं यानि इस तकनीक में मैग्नेटिक रेजोनेंस के द्वारा शरीर के अंगों की अंदरूनी स्थिति की जांच की जाती है। इस तकनीक में शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों की मदद से, शरीर के अंदरूनी अंगों की छवि निकाली जाती है। इस तकनीक में मशीन से एक कंप्यूटर जुड़ा होता है, जो अंग और ऊतकों का विस्तृत चित्र दिखाता है और चिकित्सक इसी की मदद से रोग का पता लगाते हैं। इस तकनीक को मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग कहा जाता है क्योंकि इस जांच के दौरान जांच वाले अंग को बहुत पावरफुल मैग्नेटिक रेजोनेंस वाले एरिया में रखा जाता है।

कब पड़ती है घुटनों के एम.आर.आई की जरूरत

  • हड्डी के टूटने पर या घुटनों में तेज चोट लग जाने पर
  • चलने-फिरने में परेशानी होने पर
  • घुटनों में बिना वजह दर्द होने पर
  • जोड़ों में दर्द की समस्या होने पर
  • बोन ट्यूमर की स्थिति में
  • घुटनों में इंफेक्शन होने पर
  • गठिया की परेशानी में
  • लिगामेंट्स के खराब होने की आशंका में
  • घुटनों को आर्थोस्कोपी की जरूरत है या नहीं, यह जानने के लिए
  • घुटनों से जुड़ी अन्य सभी समस्याओं में जब डॉक्टर को समस्या का कारण या समस्या के स्थान का पता नहीं चल पाता है।

इसे भी पढ़ें:- ऑस्टियोपैथी क्‍या है? हड्डियों के उपचार के लिए प्रभावी है यह पद्धति

घुटनों के एम.आर.आई से पहले इन बातों का रखें ध्यान

  • प्रेगनेंसी में एम.आर.आई स्कैन से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह ले लें।
  • स्कैन के दौरान शरीर पर कोई भी टैटू नहीं होना चाहिए।
  • स्कैन के समय धातु की सभी चीजें जैसे- बेल्ट, अंगूठी, गहने औैर चूड़ियां उतार देनी चाहिए।
  • दांतों में अगर कोई डेंटल वर्क लगा है, तो उसे हटा दें।
  • स्कैन के लिए जाने से पहले बालों से पिन और धातु के हेयर बैंड आदि को निकाल दें।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Sprained Knee In Hindi

Read Next

गर्मियों में बढ़ जाता है हेपेटाइटिस का खतरा, जानें लक्षण और उपचार

Disclaimer