ऑस्टियोपैथी एक प्रकार की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जिससे किसी भी प्रकार की हड्डी की समस्या का उपचार हो सकता है। यह पद्धति भारत में बहुत बाद में आयी। लेकिन इस पद्धति का प्रयोग अमेरिका और यूरोप में बहुत पहले से होता आया है, इस तकनीक के जरिये ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में भी हड्डियों का उपचार होता है। रीढ़ की हड्डी के नीचे के हिस्से में होने वाली बीमारी को ठीक करने में फिजियोथेरेपिस्ट इस तकनीक का प्रयोग करते हैं। यह रीढ़ की हड्डी के चोटों में उपचार में एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपचार है। इस लेख में विस्तार से जानिये ऑस्टियोपैथी के बारे में।
![ऑस्टियोपैथी Osteopathy in Hindi]()
क्या है ऑस्टियोपैथी
यह एक प्रकार की मैनुअल तकनीक है, जिससे शरीर का पूरा सिस्टम प्रभावित होता है। यह होलिस्टिक होती है, जिसमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक हर पहलू को शामिल किया जाता है। ऑस्टियोपैथी मरीज के मांसपेशियों, जोड़ों, कनेक्टिव टिश्यू और लिगामेंट्स आदि के जरिए शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को सामान्य करता है। इससे शरीर के स्केलेटल, नर्वस रेस्पिरेटरी और इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है। इससे कई तरह की बीमारियों का उपचार हो जाता है।
किन बीमारियों के लिए है प्रभावी
ऑस्टियोपैथी के जरिये गठिया के दौरान होने वाले असहनीय दर्द, डिस्क की समस्याओं, कंधों में दर्द और जकड़न, सिर में होने वाला दर्द, कूल्हे, गर्दन और जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, खेल की गतिविधियों के दौरान लगने वाली चोट, टेनिस एल्बो, तनाव, सांस संबंधी समस्यायें, गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं, पाचन क्रिया से जुड़ी समस्याओं के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक से इन समस्याओं से निजात भी मिल जाती है।
कैसे करते हैं उपचार
ऑस्टियोपैथी के विशेषज्ञ को ऑस्टियोपैथ बोलते हैं। ऑस्टियोपैथ अपने हाथों का उपयोग करके मरीज की समस्या का इलाज अलग-अलग तकनीक के प्रयोग से करते हैं। इन तकनीकों में सॉफ्ट टिश्यू तकनीक, रिदमिक पैसिव ज्वाइंट मोबिलाइजेशन जैसी तकनीक शामिल हैं। इसके जरिये ही मरीज की समस्याओं का उपचार होता है।
ऑस्टियोपैथी से रीढ़ की हड्डी से संबंधित विभिन्न समस्याओं का निवारण और पुनर्वास रणनीतियों में सुधार लाया जा सकता है। यह सर्जनों के लिए बहुत मददगार है, इस तकनीक से मरीजों को अपने पैरों पर खड़ा करने दर्द और विकलांगता से छुटकारा दिलाने में मदद मिलती है।
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