लॉकडाउन में ज्यादातर लोग खाते-पीते ही नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर लोगों की रसोई तक हर कोई कुछ न कुछ नया बनाने और खाने में लगा हुआ है। वहीं अभिनेत्रा ऋतिक रोशन लगतार लोगों को नए-नए फिटनेस गोल दे रहे हैं। हाल ही उन्होंने अपने लॉकडाउन हेल्दी रूटीन को शेयर किया था और अब उन्होंने 23 घंटे का फास्ट रह कर हेल्दी रहने के अपने एक नए लक्ष्य के बारे में लोगों को बताया है। पर आपने सोचा है कि ऋतिक ने 23 घंटे की ही फास्टिंग (Hrithik Roshan Fast) क्यों चुनी? वो इससे ज्यादा और कम समय के लिए भी तो फास्टिंग कर सकते थे! दरअसल इस तरह बिना खाए-पिए रहने के पीछे एक साइंस है, जिसके कारण ही लोग इस तरह की फास्टिंग करते हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं इस तरह की फास्टिंग के पीछे का साइंस।
23 घंटे फास्ट रखने के पीछे का साइंस
दरअसल अभिनेत्रा ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan fast for 23 hours) जिस तरह की फास्टिंग कर रहे हैं, इसे साइंस की भाषा में 'OMAD Fasting' या 'One-Meal-a-Day Diet' कहते हैं। ये डाइट प्लान दिन भर में सिर्फ एक बार खाने की अवधारणा पर बना है। ये इंटरमिटेंट डाइट प्लान (Intermittent Fasting) का सबसे एक्सट्रीम प्लान होता है। OMAD इंटरमिटेंट डाइट प्लान तुलना में बहुत थोड़ा क्रिएटिव होता है। इसमें 23 घंटे से लेकर 1 घंटे तक का फास्ट-टू-ईटिंग शेड्यूल होता है। तो, आहार लेने वाला कोई व्यक्ति एक घंटे के भोजन करने के दौरान ज्यादा से ज्यादा से खाता है। फिर वे बिना किसी अतिरिक्त कैलोरी का उपभोग किए 23 घंटे तक उपवास करता है।
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OMAD फास्टिंग के लाभ
OMAD फास्टिंग या इस तरह के उपवास लोगों को अपना वजन कम करने में मदद कर सकता है। वहीं इसमें आहार का पालन करना आसान है क्योंकि कैलोरी की गीनने की कोई आवश्यकता नहीं है। कोई भी खाना ऑफ-लिमिट नहीं है। वहीं इसके कई और लाभ भी हैं, जैसे कि
ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखता है
वर्ल्ड जर्नल ऑफ डायबिटीज द्वारा प्रकाशित 2017 के एक अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि टाइप 2 मधुमेह वाले लगभग 10 में से एक व्यक्ति को इस तरह के उपवास से लाभ हुआ क्योंकि इससे रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद मिली। शोध से पता चला है कि उपवास इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है, जिससे इंसुलिन के लिए शरीर की संवेदनशीलता बढ़ जाती है और यह रक्त प्रवाह से ग्लूकोज को कोशिकाओं तक अधिक कुशलता से ले जाने की अनुमति देता है।
न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों को रोकता है
मेडिकल न्यूज टूडे के अनुसार, इस तरह की फास्टिंग शरीर में सूजन को दूर कर सकता है। साथ ही यह अल्जाइमर रोग जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों को रोकने में मदद कर सकता है।
चयापचय को बढ़ावा देता है
फास्टिंग को लेकर कई शोध बताते हैं कि ये उपवास मानव विकास हार्मोन (एचजीएच) स्राव (एक प्रोटीन हार्मोन) बढ़ा सकता है, जो चयापचय, वजन घटाने और मांसपेशियों की ताकत के लिए महत्वपूर्ण है।
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दिल की सेहत बढ़ाता है
OMAD फास्टिंग से जुड़े शोधों में दिल की सेहत पर उपवास के प्रभाव की भी जांच की गई है। उदाहरण के लिए, जर्नल ओबेसिटी में 2010 के एक अध्ययन में दिखाया गया कि कैसे वैकल्पिक दिनों में फास्टिंग करने से खराब कोलेस्ट्रॉल और रक्त ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को क्रमशः 25 प्रतिशत और 32 प्रतिशत की कमी आ सकती है। इस तरह ये दिल के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है।
सूजन से लड़ता है
जर्नल न्यूट्रिशन रिसर्च में 2012 के एक अध्ययन में दावा किया गया था कि फास्टिंग सूजन को कम कर सकता है और जीवन प्रत्याशा बढ़ा सकता है। 2007 में 'एनल्स ऑफ न्यूट्रिशन एंड मेटाबॉलिज्म' (Annals of Nutrition & Metabolism) में एक और अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया है कि लंबे समय तक रुक-रुक कर उपवास करना, शरीर की इंफ्लेमेटरी स्थिति और होमोसिस्टीन, सीआरपी (सी-रिएक्टिव) के रूप में हृदय रोगों के जोखिम कारकों पर कुछ सकारात्मक प्रभाव डालता है। साथ ही ये लिवर द्वारा बनाया गया प्रोटीन, जो शरीर में सूजन होने पर बढ़ता उसे कम करने में भी मदद करता है।
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