How To Reduce Risk Of Colon Cancer In The Early Age: कोलन कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है, जो कि कोलन या रेक्टम में शुरू होता है। कोलन और रेक्टम पाचन तंत्र का अहम हिस्सा हैं। शरीर का यह अंग भोजन को पचाने और वेस्ट निकालने के काम आता है। International Agency for Research on Cancer (IARC) के अनुसार, विश्व स्तर पर कैंसर के कारण होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण कोलन कैंसर है। जबकि, विश्व के स्तर पर यह तीसरा सबसे आम कैंसर है। यह आमतौर पर के असामान्य वृद्धि के कारण विकसित होता है, जिसे पॉलीप्स कहा जाता है। हालांकि, यह शुरुआत में कैंसरमुक्त यानि Non Cancerous होता है। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, इसके कैंसर में बदलने की संभावना बढ़ती जाती है। बहराल, हाल के सालों में कोलन कैंसर के मामले ज्यादातर युवाओं में देखे गए हैं। इसलिए, यह सवाल उठता है कि कोलर क्या कैंसर का रिस्क युवाओं में (Kya Young Age Me Colon Cancer Ka Risk Hota Hai) ज्यादा है? वे इससे बचाव के लिए क्या कर (Colon Cancer Se Kaise Bache) सकते हैं? जानने के लिए लेख पूरा पढ़ें।
क्या युवाओं में कोलन कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है?- Does Colon Cancer Is On The Rise In Young adults In Hindi
यह सही है कि हाल के सालों में युवाओं में कोलन कैंसर के मामले बढ़े हैं और यह चिंताजनक है। जबकि एक समय तक इसे वृद्ध लोगों से जोड़कर देखा जाता रहा है। यहां यह जान लेना जरूरी हो जाता है कि आखिर युवाओं में कोलन कैंसर होने का रिस्क क्यों बढ़ रहा है? दिल्ली स्थित एक्शन कैंसर हॉस्पिटल और फरीदाबाद कैंसर केयर क्लिनिक में सीनियर मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. मनीष शर्मा कहते हैं, कोलन कैंसर होने के पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं, जिसमें जेनेटिक्स और लाइफस्टाइल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिछले कुछ सालों में युवाओं की जीवनशैली में खराब खानपान, स्मोकिंग की लत, शराब का सेवन और सोने के पैटर्न में बदलाव नोटिस किया गया है। इसके अलावा, अगर किसी को इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory Bowel Movements) और मोटापा है, तो उन्हें भी इस बीमारी का रिस्क अधिक होता है।
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युवाओं में कोलन कैंसर का जोखिम कैसे कम करें- How To Reduce Risk Of Colon Cancer In The Early Age Expert Tells In Hindi
युवाओं में कोलन कैंसर का जोखिम कम करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। इस संबंध में डॉ. मनीष शर्मा कुछ सलाह देते हैं-
रेड मीट का सेवन कम करें
रेड मीट का कोलन कैंसर के साथ गहरा संबंध पाया गया है। विशेषकर, बर्न्ड या प्रोसेस्ड मीट स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक होते हैं। यही नहीं, कई बार पकाते समय मीट में कुछ ऐसे तत्व जुड़ जाते हैं, जो कोलन कैंसर होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। दरअसल, जब ग्रिल या स्मोकिंग के जरिए रेड मीट को पकाया जाता है, तो इसमें कार्सिनोजेन (Carcinogens) नाम का तत्व प्रड्यूस होता है, जिसे कैंसर से जोड़कर देखा जाता है। प्रोटीन के लिए आप रेड मीट के बजाय मछली और चिकन का सेवन कर सकते हैं।
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शुगर का सेवन कम करें
कहा जाता है कि शुगर का सेवन अधिक मात्रा में करने से कई तरह की बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है। इसमें कोलन कैंसर के साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम भी शामिल है। जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा मात्रा में शुगर का सेवन करता है, तो इंसुलिन रेसिस्टेंस भी बढ़ जाता है। नतीजतन, वजन बढ़ने की आशंका में भी बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है। आप यह जानते होंगे कि मोटापा कई तरह की बीमारियों, जिनमें कैंसर भी शामिल है, का रिस्क बढ़ा देता है।
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फाइबर का सेवन ज्यादा करें
फाइबर पेट के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। सीमित मात्रा में फाइबर का सेवन करने से पाचन संबंधी समस्या कम होती है और कब्ज जैसी परेशानी से भी छुटकारा मिलता है। यही नहीं, फाइबर ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करता है, हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाता है और आंतों की समस्या को भी दूर करने में मदद करता है। इस तरह देखा जाए, तो फाइबर का सेवन करने से आप कोलन कैंसर का रिस्क भी कम करने में सफल हो सकते हैं।
शराब का सेवन न करें
शराब का सेवन करने से थ्रोट, माउथ, कोलन और रेक्टम, लिवर और ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। National Cancer Institute (.gov) में प्रकाशित एक लेख से स्पष्ट होता है कि अगर सीमित मात्रा में भी शराब का सेवन किया जाए, तो भी इसे कोलन कैंसर से जोड़कर देखा जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि शरीर द्वारा शराब को एसीटैल्डिहाइड केमिकल (Chemical Acetaldehyde) में ब्रेकडाउन किया जाता है। यह सेल डीएनए को नष्ट कर देता है और कोशिकाओं को अनियंत्रित रूप से बढ़ाना शुरू कर देता है। इस तरह शरीर में घातक ट्यूमर बनने लगते हैं।
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