
Colon Cancer Treatment Recovery: कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार होने के बाद मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है। इस बीमारी की सही समय पर पहचान होने से इलाज में आसानी रहती है और मरीज जल्दी ठीक हो सकता है। कैंसर कई तरह के होते हैं और इन्हें शरीर के अंगों के आधार पर भी जाना जाता है। पेट में भी कैंसर की बीमारी पनप सकती है। आंतों में होने वाले कैंसर को कोलन कैंसर भी कहा जाता है और यह कैंसर बड़ी आंत यानी कोलन में होता है। इस तरह का कैंसर बहुत ही घातक और जानलेवा माना जाता है। आमतौर पर कोलन कैंसर की शुरुआत में दिखने वाले लक्षणों को पहचान पाना मुश्किल होता है। इसकी वजह से इलाज में देरी होती है और मरीज की जान चली जाती है। कोलन कैंसर का इलाज कई तरीके से होता है। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं कोलन कैंसर ठीक होने में कितना समय लगता है और इसके इलाज के बारे में।
कोलन कैंसर से ठीक होने में कितना समय लगता है?- Colon Cancer Recovery Time in Hindi
शरीर में कोलन कैंसर के लक्षण दिखने पर डॉक्टर मरीज की जांच करते हैं। यह जांच कई तरह की हो सकती है। ज्यादातर मामलों में सीटी स्कैन, पेट सीटी और ब्लड टेस्ट के माध्यम से इस तरह के कैंसर का पता लगाया जाता है। कोलन में कैंसर कोशिकाओं के विकसित होने पर कोलन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एससीपीएम हॉस्पिटल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ सुदीप सिंह कहते हैं कि, "कोलन कैंसर का इलाज मरीज की स्थिति के आधार पर किया जाता है। शरीर में कैंसर विकसित होने के स्टेज के आधार पर मरीज के इलाज की प्रक्रिया अपनाई जाती है।"
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कोलन कैंसर का पता चलने के बाद डॉक्टर मरीज का इलाज शुरू करते हैं। इसमें दवाओं का सेवन, कीमोथेरेपी और सर्जरी समेत कई तरह की प्रक्रिया अपनाई जाती है। पहले स्टेज में इस बीमारी की पहचान हो जाने और सही इलाज मिलने पर मरीज एक साल में पूरी तरह ठीक हो सकता है। इसके अलावा कोलन कैंसर का रिकवरी टाइम मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।
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कोलन कैंसर का इलाज- Colon Cancer Treatment in Hindi
मरीज की स्थिति के आधार पर डॉक्टर सर्जरी, कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी आदि के माध्यम से इलाज करते हैं। इसका मुख्य रूप से सर्जरी के माध्यम से ही इलाज किया जाता है। मरीज की स्थिति और शरीर में कैंसर की स्टेज के हिसाब से कोलन कैंसर के इलाज में इस तरह की सर्जरी अपनाई जाती है-
- पॉलीपेक्टॉमी
- लोकल एक्सीसन
- कोलेक्टॉमी
- सबटोटल कोलेक्टोमी
- हेमीकोलेक्टॉमी
- सिग्मॉइड कोलेक्टॉमी (सिग्मॉइडेक्टॉमी)
- प्रोक्टोकोलेक्टोमी
- टोटल कोलेक्टॉमी
बाउल कैंसर या आंत का कैंसर ज्यादातर मामलों में खानपान से जुड़ी गलत आदतों या आनुवांशिक कारणों से होता है। ऐसे लोग जिन्हें कोलन कैंसर, बाउल कैंसर जैसी बीमारियों का जोखिम होता है उन्हें अपनी खानपान की आदतों और जीवनशैली का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस समस्या से बचने के लिए ऊपर बताई गयी बातों का ध्यान जरूर रखें और लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह लें।
(Image Courtesy: Freepik.com)
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