पीसीओएस या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक हार्मोनल स्थिति होती है जिससे महिला की फर्टिलिटी यानी बच्चा पैदा करने की क्षमता प्रभावित होती है। इस स्थिति में महिला के मासिक धर्म चक्र में अनियमितता देखने को मिल सकती है, जिसके कारण उन्हें गर्भ ठहरने में परेशानियां आती हैं। PCOS के कारण महिला को शरीर में काफी सारे अनचाहे बदलाव देखने को मिल सकते हैं जैसे चेहरे के बालों को बढ़ना, वजन बढ़ना, चिड़चिड़ापन आदि। इस स्थिति के साथ गर्भवती होना भी थोड़ा कठिन होता है। PCOS को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है इसलिए इसको केवल मैनेज किया जा सकता है। अगर महिला कुछ खास बात का ध्यान रखे तो पीसीओएस के लक्षण काफी कम हो सकते हैं और प्रेगनेंसी में आ रही समस्याएं दूर हो सकती हैं।
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट एंड ऑब्सट्रिशियन, डॉक्टर रंजना बेकन के मुताबिक PCOS होने पर सबसे पहले आपको अपना बीएमआई और वजन चेक करना चाहिए। आपके बीएमआई से यह पता चलता है कि आपका शारीरिक वजन हेल्दी है या नहीं। कहीं आप ओवरवेट या अंडर वेट तो नहीं हैं। इसके अलावा इससे आपके शरीर में मौजूदा फैट का पता चलता है। इसी के आधार पर डॉक्टर आपको डाइट प्लान या लाइफस्टाइल के बदलाव बता सकते हैं जिसे फॉलो करने से आपके वजन और आपके खान पान में सुधार देखने को मिलेगा।
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ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करें
अगर आपको गर्भवती होने में दिक्कत महसूस हो रही है तो आपके डॉक्टर आपकी ब्लड शुगर भी चेक कर सकते हैं। पीसीओएस के कारण कई बार आप डायबिटीज का शिकार भी बन सकती हैं। इससे फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं और ज्यादा बढ़ जाती हैं। अगर ऐसा पाया जाता है तो आपके डॉक्टर आपको ब्लड शुगर लेवल कम करने की टिप्स देंगे जैसे फाइबर से युक्त चीजें खाना और शुगर का सेवन काफी कम करना।
हेल्दी डाइट लें और एक्सरसाइज़ करें
आपको अगर शरीर को हेल्दी रखना है तो आपको जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड को बिल्कुल बंद कर देना होगा और उन्हें खाने की बजाए आपको हेल्दी स्नैक्स जैसे फल, सब्जियों और बादाम जैसे ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना शुरू करना होगा। आपको एक्सरसाइज भी शरीर की क्षमता के अनुसार शुरू करनी चाहिए। आपको अपनी डाइट में केवल होल ग्रेन, ताजी और पकी हुई सब्जियां, बीन्स और लेंटिल जैसी चीजों को शामिल करना है।
ओवुलेशन कैलेंडर का प्रयोग करें
आपको इस स्थिति में एक ओवुलेशन कैलेंडर का प्रयोग करना चाहिए और जब भी आपके पीरियड्स आते हैं उसे ट्रैक भी करना चाहिए। इससे आपको यह जानने में मदद मिल सकती है कि आप महीने के किस समय सबसे ज्यादा फर्टाइल होती हैं। यह ट्रैकिंग डॉक्टर को दिखाने में भी आपको आसानी रहती है। इसके अलावा आपको पीसीओएस के लक्षणों को भी नोट जरूर करना चाहिए ताकि आप बाद में डॉक्टर को बताने में गड़बड़ी न कर सकें।
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दवाइयों का सेवन करें
पीसीओएस की स्थिति में आपका शरीर मेल और फीमेल दोनो हार्मोन्स की ज्यादा मात्रा बनाने लगता है। इनकी मात्रा ज्यादा होने से आपका गर्भवती होना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसलिए इन हार्मोन्स को संतुलित करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर कुछ दवाइयों का सेवन आपको नियमित रूप से जरूर करना चाहिए।
अगर आप पीसीओएस से जूझ रही हैं तो इस स्थिति में ज्यादा चिंता करने की कोई जरूरत नहीं, क्योंकि स्टडीज के मुताबिक 80% से भी ज्यादा महिलाएं पीसीओएस के दौरान गर्भवती हो पाने में सक्षम होती हैं। अगर आपको फिर भी ऐसा कर पाने में दिक्कत हो रही है तो आप आईवीएफ जैसी तकनीको का प्रयोग करके भी गर्भवती हो सकती हैं।