
World Pneumonia Day 2025: अक्सर लोग सोचते हैं कि निमोनिया सिर्फ फेफड़ों की बीमारी है, इसलिए निमोनिया में फेफड़ों पर ही असर पड़ता है। इस वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ, खांसी या बुखार होता है, लेकिन इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है और इसमें सबसे ज्यादा नुकसान किडनी को होता है। वर्ल्ड निमोनिया डे (World Pneumonia Day) के अवसर पर हमने इस बारे में नोएडा के मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. ज्ञानेंद्र अग्रवाल (Dr Gyanendra Agrawal, Senior Director - Respiratory & Critical Care Medicine, Max Super Speciality Hospital, Sector 128, Noida) से बात की। उन्होंने बताया कि किडनी शरीर में फिल्टर का काम करती है, इसलिए इसका सीधा नुकसान किडनी को हो सकता है।
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निमोनिया से किडनी पर असर क्यों पड़ता है?
इस बारे में डॉ. ज्ञानेंद्र कहते हैं, “दरअसल, निमोनिया के दौरान शरीर एक मजबूत इंफ्लेमेटरी रिएक्शन देता है। यह रिएक्शन शरीर को बचाने के लिए होता है, लेकिन कई बार इसका साइड इफेक्ट किडनी पर पड़ जाता है। इस वजह से एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) का रिस्क बढ़ जाता है। इस कंडीशन में किडनी का काम धीमा हो जाता है क्योंकि इंफेक्शन और सूजन की वजह से किडनी तक ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है।

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इंफेक्शन से किडनी को नुकसान कैसे पहुंचता है?
डॉ. ज्ञानेंद्र कहते हैं, ”गंभीर निमोनिया कई बार सेप्सिस में बदल सकता है। इसका मतबल कि इंफेक्शन ब्लड में फैल जाता है जिससे खून गाढ़ा होने लगता है, शरीर सूजन बढ़ जाती है, खून की नसों में बदलाव होने लगता है और ब्लड सर्कुलेशन बैलेंस नहीं हो पाता। इससे किडनी में फिल्टर करने वाली छोटी नलिकाओं को नुकसान हो सकता है। इससे किडनी बहुत सेंसेटिव हो जाती है और अगर किडनी को थोड़ा भी कम ऑक्सीजन मिले, तो किडनी डैमेज होने का रिस्क बढ़ सकता है। इससे मरीजों को पेशाब कम आने लगता है, शरीर में पानी भरने लगता है औऱ शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस बिगड़ सकता है। इस कंडीशन में अगर इलाज समय पर न मिले, तो बीमारी गंभीर रूप ले सकती है।”
किडनी डैमेज होने का लक्षण
डॉ. ज्ञानेंद्र ने बताया कि जिन लोगों को ये लक्षण दिखें, तो वे तुरंत डॉक्टर से जरूर सलाह लें क्योंकि जल्दी इलाज शुरू करने से किडनी को बचाया जा सकता है।
- अगर मरीज को पेशाब कम और गहरे रंग का हो।
- शरीर में पानी जमा होने लगा।
- काम करते समय बहुत ज्यादा सांस फूलने लगे।
- मरीज को बहुत ज्यादा कमजोरी और सुस्ती महसूस हो।
- भूख या मतली की समस्या हो।
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किन लोगों में किडनी की बीमारी होने का रिस्क ज्यादा रहता है?
वैसे तो निमोनिया होने पर मरीज को किडनी और बाकी सभी अंगों का ध्यान रखना चाहिए लेकिन इन मरीजों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
- डायबिटीज मरीज
- हाई ब्लड प्रेशर के मरीज
- हार्ट की बीमारियों के मरीज
- जिन लोगों को लिवर की बीमारी है
- अगर किडनी की पहले से कोई बीमारी है
- बुजुर्ग और छोटे बच्चों को
निमोनिया के मरीजों को क्या ध्यान रखना चाहिए?
डॉ. ज्ञानेंद्र ने निमोनिया के मरीजों को किडनी को सेहतमंद रखने के टिप्स दिए हैं।
- फ्लूड बैलेंस सही रखें यानी कि न तो ज्यादा पानी और न ही कम पानी पीना चाहिए।
- किडनी टेस्ट और क्रिएटिनिन का रेगुलर चेकअप रखें।
- डॉक्टर के बताए एंटीबायोटिक ही लें, क्योंकि डॉक्टर किडनी को ध्यान में रखते हुए दवाई देते हैं।
- गंभीर कंडीशन में डॉक्टर की सलाह पर डायलिसिस कराएं।
निष्कर्ष
डॉ. ज्ञानेंद्र कहते हैं कि निमोनिया को हल्के में न लें। शुरुआती स्टेज में ही डॉक्टर से चेकअप करवाकर दवाई शुरू कर लें। यह सिर्फ सांस से जुड़ी समस्या नहीं हैं, इसलिए खासतौर पर जिन लोगों को पहले से डायबिटीज, हार्ट या किडनी की बीमारियां है, उन्हें अपना खास ध्यान रखना चाहिए। अगर समय पर इलाज करा लिया जाए, तो मरीज जल्दी ठीक भी हो सकता है।
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Nov 11, 2025 16:03 IST
Published By : Aneesh Rawat