निमोनिया का इलाज सही समय पर न कराने से ये गंभीर स्तर पर पहुंच कर मरीज को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। निमोनिया को लेकर कई दवाएं हैं जो इसे जल्द खत्म करने में मददगार होती है। निमोनिया का ज्यादातर खतरा आमतौर पर बच्चों और बड़ी उम्र के लोगों को होता है।
निमोनिया क्या है?
निमोनिया को आम भाषा में कहा जाए तो ये एक तरीके से फेफड़ों में इंफेक्शन होने को कहते हैं। फेफड़ों में सूजन या इंफेक्शन होने पर निमोनिया होता है। निमोनिया का मुख्य कारण बैक्टीरिया और वायरस ही है। ये ज्यादातर मौसम बदलने की स्थिति में बच्चों को अपना शिकार बनाता है। निमोनिया से पीड़ित कोई भी शख्स के फेफड़ों में हवा की जगह पर धीरे-धीरे मवाद और तरल पदार्थ बनने शुरू हो जाते हैं। जिसके कारण पीड़ित को ऑक्सीजन लेने में काफी परेशानी भी होती है। इसके साथ ही धीरे-धीरे इम्यून सिस्टम पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि हर साल 5 साल से कम उम्र के 15 प्रतिशत बच्चों की मौत निमोनिया के कारण होती है। वहीं, साल 2017 में निमोनिया के कारण 8,08,694 बच्चों की मौत हो गई थी, जो काफी गंभीर स्थिति थी।
निमोनिया के लक्षण क्या है?
निमोनिया होने पर तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में परेशानी, कफ, बेचैनी होना, दस्त उल्टी, भूख न लगना और हद से ज्यादा कमजोरी महसूस होना। ये निमोनिया के शुरूआती लक्षण होते हैं। अगर ऐसे में ये लक्षण आपको 3 दिनों से ज्यादा दिनों तक दिखते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
निमोनिया के दौरान होने वाली जांच:
सीबीसी टेस्ट
सीबीसी एक तरीके का ब्लड टेस्ट होता है, अगर इस जांच में आरबीसी (RBC) नॉर्मल रेंज 12000 तक से ज्यादा निकलता है तो ये इन्फेक्शन हो सकता है।
छाती का एक्सरे
इंफेक्शन ज्यादा बढ़ने पर छाती का एक्सरे भी किया जाता है। इस एक्सरे से फेफड़ों में सफेद धब्बे नजर आते हैं तो इससे अंदाजा लगाया जाता है कि ये निमोनिया हो सकता है।
इसे भी पढ़ें: मलेरिया बुखार से छुटकारा दिलाती हैं ये 5 आयुर्वेदिक औषधियां, सिर दर्द से मिलती है राहत
दिल काम करना कर सकता है बंद
शोध दिखाते हैं कि 20 प्रतिशत लोग जो अस्पताल में निमोनिया के कारण भर्ती हैं उन्हें दिल की बीमारी होती है। कुछ ऐसे कारण होते हैं जिससे बैक्टीरिया आपके दिल तक पहुंच जाते हैं। ये धीरे-धीरे आपके दिल में पूरी तरह से फैल जाते हैं जिसके कारण आपके दिल में समस्या पैदा हो सकती है। दिल के रोग के कारण आपका दिल काफी कमजोर होता है जिसकी वजह से ये आसानी से इन बैक्टीरिया की चपेट में आ जाता है।
इलाज
निमोनिया का इलाज आमतौर पर मरीज की स्थिति को देखकर किया जाता है। आपको बता दें कि बैक्टीरिया से फैलने वाला निमोनिया दो से चार हफ्तों में ठीक हो जाता है। लेकिन वायरल से होने वाला निमोनिया ठीक होने में काफी समय लेता है। डॉक्टर ऐसे में मरीज को सलाह देते हैं कि वो हमेशा हाइड्रेड रहने के लिए बार-बार पानी पीते रहें। बैक्टीरिया से होने वाले निमोनिया के लिए डॉक्टर आपको एंटी-बॉयोटिक दवा देते हैं। निमोनिया के दौरान चलने वाली एंटी-बायोटिक दवाओं का कोर्स पूरा करना बहुत जरूरी होता है। अगर आप बीच में इन दवाओं को छोड़ते हैं तो ये फिर से आपको अपनी चपेट में ले सकता है।
इसे भी पढ़ें: लंबे वक्त तक सर्दी-जुकाम है निमोनिया का लक्षण, जानें निमोनिया के प्रकार और अन्य लक्षण
घरेलू तरीके से दूर कर सकते हैं निमोनिया का असर
निमोनिया में एंटी-बॉयोटिक दवाओं का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी होता है और इसे बीच में भी बंद नहीं किया जाता। अगर आप उन दवाओं को बीच में बंद करते हैं तो आप फिर से निमोनिया का शिकार बन सकते हैं। ऐसे में आप उन दवाओं के साथ ही कुछ घरेलू तरीकों से अपनी खांसी और छाती में दर्द से राहत पा सकते हैं। आप पुदीना, नीलगिरी और मेथी की चाय बनाकर उसका सेवन कर सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर की बताई गई सलाह के अनुसार अपना ध्यान रखें।
Read more articles on Other Diseases in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version