How Much To Eat According To Ayurveda: अक्सर लोग इस बात को लेकर काफी असमंजस में रहते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए उन्हें एक दिन में कितना खाना चाहिए। कोई कहता है दैनिक कैलोरी की कुल खपत के अनुसार भोजन करें और कोई कहता कि जो मिले बस खा लो। वहीं बहुत से लोग बहुत कम खाना खाते हैं, खासकर रात में खाने से पूरी तरह परहेज करते हैं। लेकिन इन सब में उनके लिए क्या सही है, यह सवाल उन्हें काफी परेशान करता है। अगर आप सामान्य तौर पर देखें, तो एक आहार विशेषज्ञ हमेशा अपनी दैनिक कैलोरी की कुल खपत के अनुसार आहार लेने की सलाह देते हैं, जिनमें प्रोटीन, कार्ब्स और फैट के साथ ही सभी जरूरी विटामिन और मिनरल संतुलित मात्रा में हों। लेकिन आयुर्वेद में ऐसा नहीं है। आयुर्वेद में भोजन की मात्रा निर्धारित करने का अपना एक अलग फार्मूला है, जो सदियों से चला आ रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. रेखा राधामोनी (BAMS Ayurveda) ने अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट में भोजन की मात्रा तय करने के आयुर्वेदिक तरीकों के बारे में विस्तार से बताया है। तो चलिए जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार आपको एक दिन में कितना खाना खाना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार एक दिन में कितना खाना चाहिए- How Much To Eat According To Ayurveda In Hindi
डॉ. रेखा के अनुसार, "आयुर्वेद में कभी भी कैलोरी काउंट नहीं करते हैं और न ही भोजन को ग्राम के हिसाब से मापते हैं। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने में भोजन की मात्रा से ज्यादा उसकी गुणवत्ता अहम भूमिका निभाती है। हम भोजन की मात्रा व्यक्ति की पाचन अग्नि के अनुसार निर्धारित करते हैं।"
कफ प्रकृति वालों को कम खाना चाहिए
कफ प्रकृति वाले लोगों की पाचन अग्नि मंद होती है, इसलिए उनका पाचन भी कमजोर होता है। ऐसे में यह जरूरी है कि सुस्त पाचन वाले लोग कम और हल्का भोजन करें। अगर वे अधिक भोजन करते हैं, तो इससे उनके शरीर में अमा यानी टॉक्सिन्स की मात्रा बढ़ती है। इसके कारण आप बहुत अधिक थकान, सुस्ती और वजन बढ़ने आदि जैसी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
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वात प्रकृति वाले लोगों को बहुत कम या अधिक खाने से बचने की सलाह दी जाती है
वात प्रकृति के लोगों का पाचन अनियमित होता है। उनका पाचन किसी दिन बहुत अच्छा हो सकता है, लेकिन दूसरे दिन बुरा भी हो सकता है। इसलिए यह तय करना मुश्किल है कि उन्हें कम मात्रा में खाना चाहिए या ज्यादा में। एक सामान्य नियम जिसे आप फॉलो कर सकते हैं वह यह है कि तब तक खाएं जब तक पेट आधा न भर जाए!
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पित्त प्रकृति वाले लोग अच्छी मात्रा में खा सकते हैं
इन लोगों की पाचन अग्नि बहुत तेज होती है। ये लोग जो कुछ भी खाते हैं, वह बहुत आसानी से पच जाता है। ऐसे में अगर आप कम खाते हैं, तो संतुष्ट महसूस नहीं करेंगे। इसकी वजह से पेट में एसिडिटी और सीने में जलन जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। इसलिए उन्हें थोड़ा अधिक खाने की जरूरत होती है।
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सामान्य तौर पर, सभी प्रकृति के लोगों को तब तक भोजन करना चाहिए जब तक आपका पेट आधा न भर जाए (बाकी हवा और पानी के लिए छोड़ दें)। लेकिन कफ और वात वाले लोगों को बुद्धिमानी के साथ भोजन की मात्रा निर्धारित करने की सलाह दी जाती है।
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