आजकल की बिजी लाइफस्टाइल और बढ़ती उम्र के साथ अर्थराइटिस यानी गठिया की समस्या आम हो गई है। आज के समय में यह रोग न केवल 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों में, बल्कि युवाओं में भी देखने को मिल रहा है। अर्थराइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन, दर्द और टाइटनेस महसूस होती है, जिससे व्यक्ति का डेली रूटीन भी प्रभावित होता है। अर्थराइटिस की समस्या जोड़ों के सामान्य कार्य को बाधित कर सकता है और समय के साथ यह समस्या गंभीर हो सकती है। हालांकि, सही समय पर इलाज और परहेज से इस स्थिति को कंट्रोल किया जा सकता है। अर्थराइटिस के उपचार में दवाओं के साथ-साथ फिजियोथेरेपी का भी अहम योगदान होता है। फरीदाबाद स्थित "न्यूरो री-वॉक" सेंटर की फिजियोथेरेपिस्ट तन्नू गुप्ता (Faridabad Neuro Re-Walk, Physiotherapist Tannu Gupta) के अनुसार, फिजियोथेरेपी अर्थराइटिस के लक्षणों को कम करने का एक प्रभावी तरीका है।
गठिया के लिए फिजियोथेरेपी कितनी प्रभावी है? - How Does Physiotherapy Help With Arthritis
फिजियोथेरेपिस्ट तन्नू गुप्ता बताती हैं कि अर्थराइटिस के कारण जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। फिजियोथेरेपी में कई एक्सरसाइज और थेरेपी होती हैं, जैसे हॉट या कोल्ड पैक और टेन्स मशीन दर्द को कम करने में मदद करते हैं। यह जोड़ों पर पड़ने वाले एक्स्ट्रा दबाव को कम करता है। फिजियोथेरेपी में शामिल स्ट्रेचिंग और मोबिलिटी वाली एक्सरसाइज जोड़ों के लचीलेपन को बढ़ाती हैं। इससे मरीज दैनिक कार्यों को आसानी से कर सकते हैं। कमजोर मांसपेशियां जोड़ों पर एक्स्ट्रा भार डालती हैं। फिजियोथेरेपी के जरिए मांसपेशियों को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज करवाई जाती हैं, जो जोड़ों को सहारा देती हैं और उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं। अर्थराइटिस के कारण कई बार संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। फिजियोथेरेपी में की गई एक्सरसाइज संतुलन और समन्वय को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इससे गिरने और चोट लगने का जोखिम कम होता है।
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1. स्ट्रेचिंग: जोड़ों की लचीलेपन को बढ़ाने के लिए।
2. मांसपेशियों को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज: शरीर के संतुलन को बनाए रखने और जोड़ों पर दबाव कम करने के लिए।
3. हॉट और कोल्ड थेरेपी: दर्द और सूजन को कम करने के लिए।
4. टेन्स और अल्ट्रासाउंड थेरेपी: दर्द को कम करने के लिए।
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तन्नू गुप्ता का कहना है कि फिजियोथेरेपी से फायदा तभी मिलता है जब इसे नियमित रूप से किया जाए। कई मरीज जल्द परिणाम न मिलने पर इसे छोड़ देते हैं, लेकिन फिजियोथेरेपी का असर धीरे-धीरे होता है। यह न केवल दर्द को कम करती है बल्कि जोड़ों की कार्यक्षमता को भी सुधारती है।
निष्कर्ष
अर्थराइटिस के मरीजों के लिए फिजियोथेरेपी एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। फरीदाबाद "न्यूरो री-वॉक" की फिजियोथेरेपिस्ट तन्नू गुप्ता के अनुभवों और सुझावों के अनुसार, सही तकनीकों और नियमित अभ्यास के माध्यम से अर्थराइटिस के लक्षणों में काफी सुधार किया जा सकता है। यदि आप या आपका कोई करीबी अर्थराइटिस से पीड़ित है, तो फिजियोथेरेपी को उपचार का हिस्सा बनाएं।
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