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इंटरम‍िटेंट फास्‍ट‍िंग करने से मेटाबॉल‍िज्‍म पर क्‍या असर पड़ता है? एक्सपर्ट से जानें

आपने अक्‍सर वेट लॉस के साथ इंटरम‍िटेंट फास्‍ट‍िंग और मेटाबॉल‍िज्‍म नाम के दो शब्‍द सुनें होंगे। इस लेख में जानेंगे वेट लॉस के ल‍िए इनके बीच का संबंध।
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इंटरम‍िटेंट फास्‍ट‍िंग करने से मेटाबॉल‍िज्‍म पर क्‍या असर पड़ता है? एक्सपर्ट से जानें


मेटाबॉलिज्म शरीर की उस प्रक्रिया को कहा जाता है जिसमें आहार से म‍िली ऊर्जा को शरीर की क्रियाओं के लिए बदल द‍िया जाता है। ज‍िन लोगों के शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट अच्‍छा होता है वह आसानी से वजन कम कर पाते हैं। लेक‍िन मेटाबॉलिज्म रेट खराब होने के कारण वजन कम करने और ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल करने जैसी क्र‍ियाओं पर बुरा असर पड़ता है। ऐसा माना जाता है क‍ि इंटरमिटेंट फास्टिंग की मदद से मेटाबॉलिज्म सुधरता है और इस फास्‍ट‍िंग का सीधा असर मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग का लक्ष्य शरीर की एनर्जी को बढ़ाना, वजन कम करना और शारीरिक व मानस‍िक स्वास्थ्य को सुधारना है। इस लेख में हम जानेंगे क‍ि क्‍या इंटरम‍िटेंट फास्‍ट‍िंग करने से मेटाबॉल‍िज्‍म पर कोई असर पड़ता है या नहीं। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने Holi Family Hospital, Delhi की डाइटीश‍ियन सना गिल (Sanah Gill) से बात की। 

intermittent fasting affects on metabolism

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्‍या होता है?- What is Intermittent Fasting

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक तरह की डाइट है ज‍िसमें एक निश्चित समय अवधि में खाना होता है और उसके बाद ब्रेक टाइम में खाना नहीं खाते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई प्रकार हो सकते हैं जैसे- 

  • 16/8 फास्टिंग: इसमें आप दिन में 8 घंटे खाते हैं और 16 घंटे फास्‍ट करते हैं।  
  • इसमें आप हफ्ते में 2 दिन अपने भोजन में कटौती करते हैं और अन्य दिनों में सामान्य रूप से खाते हैं।
  • वन डे फास्टिंग: इसमें आप एक दिन के लिए सिर्फ एक समय खाते हैं और पूरे द‍िन फास्‍ट रखते हैं।   

इसे भी पढ़ें- क्‍या सर्दि‍यों में इंटरमिटेंट फास्टिंग करना सेहतमंद है?      

इंटरम‍िटेंट फास्‍ट‍िंग का मेटाबॉल‍िज्‍म पर क्‍या असर पड़ता है?- Intermittent Fasting Effects on Metabolism

इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) का मेटाबॉलिज्म पर कई प्रकार का प्रभाव पड़ता है। यह आपके शारीर के विभिन्न प्रकार के प्रक्र‍िया जैसे कि खाने के प्रोसेसिंग, इंसुलिन सेंसिटिविटी और एनर्जी प्रोडक्‍शन को प्रभावित करता है। इसके कुछ प्रमुख असर हो सकते हैं-

  • इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ सकती है, जिससे आपके शरीर का तरीका बेहतर होता है और इससे डायबिटीज का जोखिम भी कम होता है।
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान ग्रोथ हार्मोन्स के स्तर बढ़ सकते हैं जो मांसपेशियों के निर्माण में मदद करते हैं।
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से आपका कैलोरी इंटेक कम हो सकता है जो वेट लॉस में मदद करता है।
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से मेटाबॉलिज्म की स्‍पीड बढ़ सकती है, जिससे आपका शरीर ज्‍यादा अच्छी तरह से खाना प्रोसेस कर सकता है।
  • यहां आपको याद रखना जरूरी है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग का असर व्यक्ति के फ‍िज‍िकल हेल्‍थ लेवल, खाने की आदतें और अन्‍य चीजों पर भी निर्भर करता है। हर व्‍यक्‍त‍ि के शरीर में इंटरमिटेंट फास्टिंग का असर अलग हो सकता है। इसल‍िए डॉक्‍टर की सलाह पर ही डाइट फॉलो करें।

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