
वातावरण में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और प्लास्टिक के बढ़ते बहुत ज्यादा इस्तेमाल के कारण लोगों के सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है- माइक्रोप्लास्टिक। घर से लेकर ऑफिस और पर्सनल इस्तेमाल के लिए हम किसी न किसी रूप में अपने लाइफ में प्लास्टिक की चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्लास्टिक का बढ़ता इस्तेमाल न सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी हानिकारक होता है। इतना ही नहीं, अब माइक्रोप्लास्टिक यानि प्लास्टिक के बहुत छोटे कण हमारे शरीर के अंदर जाकर ब्लड में प्रवेश कर रहे हैं और सेहत से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं, जिसमें हार्ट से जुड़ी समस्याएं भी शामिल हैं। आज के इस लेख में हम पंचकूला स्थित पारस हेल्थ के चेयरमैन – कार्डियोलॉजी, MBBS, MD - जनरल मेडिसिन, DM – कार्डियोलॉजी, डॉ. अनुराग शर्मा (Dr. ANURAG SHARMA, Chairman – CARDIOLOGY, MBBS, MD - General Medicine, DM – Cardiology, Paras Health Panchkula) से जानते हैं कि ब्लड फ्लो में माइक्रोप्लास्टिक दिल की बीमारियों के जोखिम को कैसे बढ़ाता है?
इस पेज पर:-
ब्लड फ्लो में माइक्रोप्लास्टिक कैसे पहुंचते हैं?
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग शर्मा का कहना है कि जब हम भोजन या हवा के जरिए सूक्ष्म कणों को लेते हैं तो ये हमारी आंतों की दीवारों के जरिए ब्लड में अवशोषित हो जाते हैं। कई रिसर्च में पाया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक फेफड़ों के टिशू से सीधे ब्लड में जाते हैं और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। Pubmed के इस स्टडी के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे शरीर द्वारा अवशोषित किए जाते हैं और ब्लड फ्लो के जरिए ले जाए जाते हैं। कणों का आकार और माप उनकी उपस्थिति पर निर्भर करता है। इन कणों के कारण सूजन, शरीर के अंगों के अंदर जमाव और इम्यूनिटी सेल्स पर रिएक्शन या खून के थक्के बनने की समस्या का कारण बन सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: क्या पानी और खाने में घुसे माइक्रोप्लास्टिक से याददाश्त और सोचने की क्षमता हो रही कमजोर? डॉक्टर से जानें
माइक्रोप्लास्टिक दिल की बीमारी का जोखिम कैसे बढ़ाते हैं?
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग शर्मा के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक दिल से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को निम्न तरीकों से बढ़ा सकते हैं-
1. ब्लड वेसल्स में सूजन
माइक्रोप्लास्टिक, ब्लड वेसल्स में सूजन और प्लाक के निर्माण का कारण बनते हैं, जो अंदर की परतों को इरिटेट करते हैं। इससे क्रोनिक इंफ्लेमेशन होती है, जिसके कारण धमनियों में प्लाक जमा होना और एथेरोस्क्लेरोसिस का जोखिम बढ़ जाता है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।
-1765789821602.jpg)
2. खून के थक्के जमने की स्थिति
माइक्रोप्लास्टिक ब्लड में प्लेटलेट एक्टिवेशन को बढ़ाते हैं। इससे खून आसानी से जमने लगता है, जो खतरनाक ब्लड क्लॉट का कारण बन सकता है और दिल की धमनियों को ब्लॉक कर सकता है। इसके साथ ही, फेफड़ों में पल्मोनरी एम्बोलिस्म बना सकता है
3. हार्ट सेल्स को नुकसान
माइक्रोप्लास्टिक दिल के सेल्स में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाते हैं, जिससे दिल की पंपिंग क्षमता कम हो सकती है और अनियमित दिल की धड़कन का जोखिम बढ़ सकता है।
इसे भी पढ़ें: माइक्रोप्लास्टिक बन सकते हैं शरीर में ब्लड क्लॉटिंग का कारण, जानें क्या कहती है नई स्टडी
4. इम्यून सिस्टम पर प्रभाव
जब माइक्रोप्लास्टिक लगातार शरीर के अंदर मौजूद रहते हैं तो यह इम्यून रिस्पांस को खराब करने लगते हैं। कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण शरीर दिल की सूजन और इंफेक्शन से लड़ नहीं पाता है, जिसके कारण कार्डियक कॉम्प्लीकेशन्स बढ़ सकती हैं।
निष्कर्ष
माइक्रोप्लास्टिक हमारे ब्लड में जाकर दिल से जुड़ी गंभीर समस्या का कारण बन सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, आप कोशिश करें कि अपने रोजमर्रा के जीवन में माइक्रोप्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें, ताकि दिल को हेल्दी रखने के साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव हो सके।
Image Credit: Freepik
यह विडियो भी देखें
FAQ
माइक्रोप्लास्टिक मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं?
मानव शरीर में माइक्रोप्लास्टिक अंगों और टिशू में जमा हो जाते हैं, जिससे सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं।प्लास्टिक से कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
प्लास्टिक के कणों के संपर्क में आने से फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं और उनकी फेफड़ों की क्षमता कम हो सकती है, जिसके कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।प्लास्टिक के बर्तन में खाना खाने से क्या होता है?
प्लास्टिक के बर्तन में खाना खाने से हानिकारक केमिकल जैसे BPA और फथलेट्स खाने में मिल जाते हैं, खासकर गर्म करने पर, जिससे हार्मोनल असंतुलन, प्रजनन से जुड़ी समस्याएं, मोटापा, डायबिटीज और कैंसर आदि हो सकते हैं।
Read Next
Delhi NCR AQI: सिर्फ स्मॉग नहीं है दिल्ली की हवा, ये 8 जहरीली गैसें कर रही हैं शरीर को बर्बाद
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version
Dec 15, 2025 14:43 IST
Published By : Katyayani Tiwari