
ज्यादा चीनी खाने और शारीरिक गतिविधियों में कमी के चलते लोगों को ब्लड शुगर यानी डायबिटीज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, मोटाप इस रोग की एक मुख्य वजह मानी जाती है। मोटापे में इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है। डायबिटीज होने पर व्यक्ति को कई अन्य तरह के रोग होने का खतरा रहता है। इसमें जोड़ों में होने वाले दर्द को भी शामिल किया जा सकता है। डायबिटीज में व्यक्ति को अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों से जुड़े रोग हो सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति को अपने रोजमर्रा के काम करने में भी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस लेख में वेव क्योर सेंटर के सीनियर अर्थोपेडिक्स अंकित पाठक से जानते हैं कि डायबिटीज में रोगियों को जोड़ों में दर्द की समस्या क्यों होती (How Diabetes Can Cause Joint Pain) है?
डायबिटीज भी बन सकती है जोड़ों में दर्द का कारण - How Diabetes Can Cause Joint Pain In Hindi
जोड़ों से मूवमेंट न कर पाना (Limited Joint Mobility)
डायबिटीज के रोगियों के जोड़ों में अकड़न हो सकती है। इसे डायबिटिक हैंड सिंड्रोम या डायबिटिक चीरोआर्थ्रोपैथी (cheiroarthropathy) भी कहा जाता है। यह जोड़ों की अकड़न होती है, जो अक्सर हाथों के छोटे जोड़ों को प्रभावित करती है। हाथों की त्वचा मोटी हो सकती है। ऐसे में उंगलियों की मूवमेंट सीमित हो जाती है। कंधे, पैर और टखने सहित अन्य जोड़ भी प्रभावित हो सकते हैं। मूवमेंट में होने वाली परेशानी के कारण क्या है, इसका सही पता नहीं चला है। यह उन लोगों में सबसे आम है जिन्हें लंबे समय से डायबिटीज (Diabetes) होती है।

ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
ऑस्टियोपोरोसिस एक डिसऑर्डर है जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और हड्डियों के टूटने का जोखिम बढ़ जाता है। टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) के शुरुआती चरणों में लक्षण बहुत कम दिखाई देते हैं। आखिरकार, जब बीमारी ज़्यादा गंभीर हो जाती है, तो ऐसे में व्यक्ति झुक कर चलने लगता है। साथ ही, उसकी हड्डियां बार-बार टूटने लगती हैं।
न्यूरोपैथी और नर्वस सिस्टम डैमेज (Neuropathy and Nerves System Damage)
लंबे समय तक अनियंत्रित ब्लड शुगर का स्तर नसों को नुकसान पहुंचाता है, जिसे डायबिटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है। नर्वस सिस्टम डैमेज के कारण जोड़ों में दर्द, सुन्नता, या जलन का महूसस हो सकती है। यह अक्सर पैरों, घुटनों और हाथों में दिखने को मिलती है। नर्व डैमेज से जोड़ों की गति (Joint Stiffness) और संवेदनशीलता पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे चाल-ढाल भी प्रभावित होती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया- Osteoarthritis)
डायबिटीज के रोगियों में मोटापे की समस्या अधिक देखी जाती है, जो ऑस्टियोआर्थराइटिस के खतरे को बढ़ा देता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस एक प्रकार का गठिया (Arthritis) है, जिसमें जोड़ों के कार्टिलेज्स घिसने लगते हैं, जिससे जोड़ों में सूजन, कठोरता, और दर्द होता है। यह समस्या घुटनों, कूल्हों, और हाथों में विशेष रूप से देखी जाती है।
बर्साइटिस (Bursitis)
बर्साइटिस एक स्थिति है जिसमें जोड़ों के पास स्थित बर्सा (एक तरल से भरी थैली) में सूजन आ जाती है। यह जोड़ों में दर्द और असहजता का कारण बन सकता है। डायबिटीज के रोगियों में यह समस्या विशेष रूप से कंधों, घुटनों, और कूल्हों में अधिक देखी जाती है।
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डायबिटीज और जोड़ों के दर्द के बीच गहरा संबंध है। हालांकि यह समस्या गंभीर हो सकती है, लेकिन उचित देखभाल और रोकथाम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आप डायबिटीज के साथ-साथ जोड़ों में दर्द को महसूस कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें और समय रहते इसका उपचार शुरू करें। हेल्दी लाइफस्टाइल और एक्सरसाइज से डायबिटीज के प्रभावों को कम किया जा सकता है।
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