
गुटखा, पान मसाला और सिगरेट जैसे उत्पादों के कारण कितनी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, ये बात किसी से छिपी नहीं है। फिर भी लोग इन चीजों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करते हैं। जाने-अनजाने तंबाकू से बने इन उत्पादों के कारण हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवाते हैं। शायद यही कारण है कि जल्द ही सरकार देश में गुटखा, पान मसाला और सिगरेट जैसे तंबाकू और तंबाकू संबंधित पदार्थों पर सख्ती और टैक्स दोनों बढ़ाने वाली है।
1 दिसंबर 2025 को संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार ने प्रस्तावित किया है कि एक नया कानून Health Security se National Security Cess Bill, 2025 पेश किया जाए। इसके साथ ही Central Excise (Amendment) Bill, 2025 भी लाया जाए, जिसके जरिए इन “Sin Goods” पर नया टैक्स स्ट्रक्चर लागू होगा।
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नए बिल में क्या है?
नया सेस गुटखा, पान मसाला और अन्य तंबाकू-संबंधित पदार्थों को बनाने पर लगाया जाएगा। यह सेस मशीन व निर्माण क्षमता (Production Capacity / Manufacturing Machinery) के आधार पर तय किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि अब टैक्स तंबाकू उत्पादों की बिक्री के आधार पर नहीं, बल्कि उत्पादन के जितने साधन हैं, उस आधार पर लगा करेगा। पुराने टैक्स सिस्टम (GST compensation cess) को खत्म कर इस नए ढांचे को स्थायी बनाने की कोशिश है।
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सरकार का मकसद हेल्थ और सुरक्षा दोनों
सरकार का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य सिर्फ राजस्व जुटाना नहीं है। असल में, गुटखा-पान मसाला जैसे उत्पादों के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले भार और तंबाकू व नशे से जुड़ी सामाजिक समस्याओं को देखते हुए, इस नए सेस को स्वास्थ्य सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा खर्च के लिए रिजर्व करना है। सरकार की योजना है कि यह सेस स्थाई रहे, ताकि भविष्य में ऐसे उत्पादों पर टैक्स चोरी या लचर टैक्स प्रणाली के कारण राजस्व व स्वास्थ्य दोनों पर असर न पड़े।
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यह बिल क्यों जरूरी था?
भारत में हर सालकरीब 13 लाख लोगों की मौत तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से होती है और इन बीमारियों के कारण देश पर जो आर्थिक बोझ पड़ता है, वो 1 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। इसके मुकाबले तंबाकू उद्योग से मिलने वाला टैक्स कम है। यानी अभी के टैक्स सिस्टम के हिसाब से तंबाकू से सरकार उतना कमाती नहीं है, जितना इससे होने वाली बीमारियों के इलाज में खर्च होता है। इस बिल का उद्देश्य इसी असंतुलन को ठीक करना है।
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क्या टैक्स बढ़ाने से कुछ बदलने की उम्मीद है?
सरकार का कहना है कि यह कदम टैक्स बढ़ाने के लिए नहीं है। उनका मकसद है कि इन हानिकारक उत्पादों को महंगा बनाकर इनकी उपलब्धता घटाना, ताकि लोग इनकी ओर कम मुड़ें। अगर बिल पास हुआ, तो गुटखा, पान मसाला और सिगरेट जैसी चीजों की कीमतें बढ़ेंगी। इसका उपभोक्ताओं, खासकर युवा-वर्ग और सीमित बजट वाले लोगों के लिए बड़ा असर हो सकता है।
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Dec 01, 2025 20:18 IST
Published By : Anurag Gupta