भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में ऐसे बहुत से कपल्स हैं, जो किसी कारणवश माता-पिता नहीं बन पाते हैं। हालांकि, इसे आसान करने के लिए आज के समय में आईवीएफ जैसे विकल्प उपलब्ध हैं। हाल ही में भारत सरकार ने सोरोगेसी की प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए हैं। सरकार ने जरूरतमंद कपल्स के लिए अब एक नया नियम निकाला है, जिसके तहत कपल डोनर के एग का इस्तेमाल कर सकेंगे। चलिए विस्तार से जानते हैं इस नियम के बारे में।
दूसरों के एग का भी कर सकेंगे इस्तेमाल
सोरोगेसी की प्रक्रिया में अब सरकार ने मेडिकल समस्याओं से पीड़ित कपल को संतान की चाहत पूरी करने के लिए डोनर के एग और स्पर्म का इस्तेमाल करने की भी इजाजत दे दी है। दरअसल, पिछले साल यानि 2023 में सरकार ने रूल 7 के चलते डोनर से एग और स्पर्म लेने पर रोग लगाई थी। इस कारण कपल को केवल अपना ही एग और स्पर्म का इस्तेमाल करना था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद केंद्र ने सरोगेसी नियम में बदलाव जारी किए हैं।
क्या है सोरोगेसी?
सोरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें जो कपल किसी कारणवश नैचुरली कंसीव करने में समर्थ नहीं होते हैं, उनमें एग या फिर स्पर्म के जरिए कंसीव कराने में मदद की जाती है। इस प्रक्रिया में कपल के पास एग और स्पर्म दोनों होने चाहिए। इस इलाज में महिला अपनी कोख में दूसरे के बच्चे को पालती है। इन माओं को सरोगेट मदर भी कहा जाता है। कई बॉलीवुड सेलेब्स भी इस प्रक्रिया के जरिए माता-पिता बने हैं।
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इन स्थितियों में सरोगेसी सुनना हो सकता है बेहतर
- आमतौर पर महिलाओं को बच्चेदीन की टीबी होने या फिर यूट्रस जन्म से विकसित नहीं होने पर की जाती है।
- अगर महिला को बार-बार अबॉर्शन हो रहा हो तो ऐसे में सोरोगेसी का विकल्प चुन सकते हैं।
- अगर आपको ऐसी बीमारी हो जिसके चलते गर्भधारण में मुश्किल आ रही हो भी सोरोगेसी का विकल्प चुन सकते हैं।