हृदय रोगियों के लिए क्‍यों खतरनाक है एयर पॉल्यूशन? कॉर्डियोलॉजिस्‍ट से जानें इससे होने वाले खतरे

डॉ. संदीप मिश्रा के अनुसार, भारत में हार्ट फेलियर की बीमारी का बोझ बढ़ता जा रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं। वायु प्रदूषण एक मुख्य कारक है। दिवाली के बाद वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है।
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हृदय रोगियों के लिए क्‍यों खतरनाक है एयर पॉल्यूशन? कॉर्डियोलॉजिस्‍ट से जानें इससे होने वाले खतरे


AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) के अनुसार दिल्ली में रह रहे करीब 2 करोड़ लोगों के लिए लगातार बिगड़ता वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संबंधी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ दिनों के दौरान सुबह तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 459 था। यह सभी 37 निगरानी स्टेशनों में गंभीरता को पार कर आपात कालीन श्रेणी तक पहुंच गया है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि वायुप्रदूषण से हर साल 42 लाख लोगों की मौत होती है। दिल की बीमारियों का बोझ उल्लेखनीय रूप से बढ़ रहा है। उदाहरण के लिए, भारत में हार्ट फेलियर की घटनाओं में 1990 से 2013 के बीच करीब 140 फीसदी की वृद्धि हुई है।

लैंसेट की ओर से प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारतीयों में दिल की बीमारी की घटनाएं 50 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ गई। जरूरत से ज्यादा नमक, चीनी और वसा की खपत तथा वायु प्रदूषण जैसे कारकों ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारतीयों में पाई जाने वाली अधिकांश मुख्य बीमारियों में ह्दय की धमनियों में सिकुड़न आ जाती है, जिससे बहुत कम मात्रा में खून और ऑक्सी जन दिल तक पहुंच पाता है। इसमें हार्ट अटैक, हाइपरटेंसिव हार्ट डि‍जीज, रूमैटिक हार्ट डिजीज और हार्ट फेलियर मुख्य है। यह स्थितियां दिल की मांसपेशियों के कामकाज को प्रभावित करती हैं। इसी के साथ खून को पंप करने के लिए जिम्मेदार दिल की मांसपेशियां अकड़ जाती है या कमजोर पड़ जाती है, जिससे हार्ट फेलियर की स्थिति का जन्म होता है।

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नई दिल्ली के एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. संदीप मिश्रा ने कहा, “दिवाली के बाद कई तरह के केमिकल्स के संपर्क में आने से दिल संबधी कई तरह की बीमारियां पनप रही हैं, जिसमें ब्लड प्रेशर बढना, दिल का अनियमित रूप से धड़कना, हार्ट अटैक और विशेष रूप से बुजुर्गों में अचानक पड़ने वाला दिल कै दौरा प्रमुख है। अगर लंबे समय तक इस तरह के प्रदूषण में रहा जाए तो यह कई विपरीत तरीकों से दिल के आकार-प्रकार और संरचना पर प्रभाव डालता है। पर्यावरण में मौजूद प्रदूषक तत्व न केवल दिल की बनावट पर प्रभाव डालते हैं, बल्कि इससे दिल की कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ता है। यह स्थिति बिल्कुल नए तरीके के हार्ट फेलियर की तरफ ले जाती है या पहले से ही हार्ट फेल होने की स्थिति को झेल रहे मरीजों के लिए और भी ज्यादा बदतर रूप में हमारे सामने आता है।”

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डॉ. संदीप मिश्रा ने कहा, “भारत में हार्ट फेलियर की बीमारी का बोझ बढ़ता जा रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं। वायु प्रदूषण एक मुख्य कारक है। दिवाली के बाद वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। मरीजों के लिए वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम से कम करने के लिए कई तरह के कदम उठाना बेहद जरूरी हो जाता है। इन दिनों घर के अंदर रहने और शारीरिक थकान से बचने की सलाह दी जाती है। बाहर जाते समय हमेशा फेस मास्क का इस्तेमाल करें।”

हार्ट फेलियर होने के कई सामान्य लक्षण है, जिससें सांस लेने में परेशानी महसूस होना, थोड़ी-थोड़ी सांस आना, सोते समय अच्छी तरह से सांस लेने के लिए एक ऊंचे तकिये का प्रयोग करना और रोजमर्रा के कामों को करते हुए अप्रत्या शित थकान महसूस होना आदि है। इसमें से किसी तरह के लक्षण दिखाई देने पर आप ह्दय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) से तुरंत संपर्क करें।

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वायु प्रदूषण के कारण मौसम के बिगड़ने के साथ मरीजों में हार्ट फेलियर के लक्षण दिन पर दिन बदतर होते जाते हैं। इससे मरीज की हालत और भी गंभीर हो जाती है।

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