Heart Bypass Surgery: हार्ट बाईपास सर्जरी क्‍या है, कैसे की जाती है, जानें इसके खतरे और रिकवरी टाइम

Heart Bypass Surgery: हार्ट बाईपास सर्जरी एक अपेक्षाकृत सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है जो दिल के दौरे (Heart attack) और मृत्यु के जोखिम को कम करती है। हार्ट बाईपास सर्जरी प्रक्रिया कोरोनरी धमनी रोग (Coronary artery disease) के लक्षणों को भी कम कर सकती है।
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Heart Bypass Surgery: हार्ट बाईपास सर्जरी क्‍या है, कैसे की जाती है, जानें इसके खतरे और रिकवरी टाइम

हार्ट बाईपास सर्जरी (Heart Bypass Surgery) एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें जरूरी तैयारी और रिकवरी टाइम शामिल है। कभी-कभी, किसी को आपातकालीन हृदय बाईपास सर्जरी से गुजरना पड़ता है, लेकिन अधिकतर इसकी योजना बनाकर के की जाती है। 

चिकित्‍सकों, हार्ट के मरीजों और उनके परिजनों से आपने भी हार्ट बाईपास सर्जरी के बारे में सुना होगा, लेकिन हार्ट बाईपास सर्जरी होती क्‍या है, इसे कैसे की जाती है, क्‍या इससे रोगी की जान बचाई जा सकती है; ऐसे तमाम तरह के सवाल आपके मन में आते होंगे। 

आपके इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए हमने जेपी हॉस्पिटल, नोएडा के कार्डियोलॉजिस्‍ट डॉक्टर संजीव भारद्वाज (एसोसिएट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी) से विस्‍तार से बातचीत की, जिसमें उन्‍होंने हार्ट बाईपास सर्जरी से जुड़े सवालों के जवाब दिए।

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हार्ट बाईपास सर्जरी क्या है और क्यों की जाती है, विस्तार से बताएं?

ह्रदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में वसा जमा होने पर ब्लॉकेज आ जाती है। इस ब्लॉकेज को विभिन्‍न प्रकार के इलाज के जरिये हटाने की कोशिश होती है लेकिन यही ब्लॉकेज जब जमकर बहुत ठोस हो जाती है और कोई इलाज कारगर नहीं होता तो बाईपास सर्जरी को अक्सर अंतिम विकल्प के तौर पर देखा जाता है, जिसमें सीने के बीच की हड्डी में चीरा लगाया जाता है और उसके जरिये ह्रदय के लिए रास्ता बनाकर उस ब्लॉकेज को हटाने की कोशिश की जाती है।

हार्ट बाईपास सर्जरी की पूरी प्रक्रिया क्या है | Procedure of heart bypass surgery

ह्रदय की धमनियों में आने वाली ब्लॉकेज की समस्या बहुत गंभीर होने पर अक्सर उसको ठीक करने का अंतिम विकल्प बाईपास सर्जरी को बताया जाता है। इसे करने में आमतौर पर 3 से 6 घंटे का समय लगता है। मरीज़ को सामान्य एनेस्थीसिया देकर सीने के बीच की हड्डी को चीरा लगा कर ह्रदय वाले भाग में सर्जरी की जाती है जिसके जरिये ब्लॉकेज ठीक की जाती है और ह्रदय में रक्तप्रवाह ठीक किया जाता है। सर्जरी की प्रक्रिया होने के बाद मरीज को आईसीयू में लगभग एक सप्‍ताह रखा जा सकता है और इस दौरान उसके रक्तचाप, हृदयगति आदि की निगरानी की जाती है, उसके बाद कुछ जरूरी सलाह देकर मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।

हृदय की बाईपास सर्जरी कितने प्रकार की होती है | Types of heart bypass surgery

मरीज की ब्लॉक्ड धमनियों की संख्या और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर निम्नलिखित प्रकार में से किसी की सलाह दे सकता है: 

सर्जरी से पहले पेशेंट को क्या करना चाहिए | What should people expect before the surgery

क्योंकि यह सर्जरी थोड़ी सी जोखिम भरी होती है इसलिए बाईपास होने से पहले मरीज को डॉक्टर कई तरह कि हिदायत देते हैं और जांच करते हैं जिसके तहत ईसीजी, रक्तचाप आदि चेक किया जाता है। ऐसे में शरीर को बहुत तनाव देने अस्वस्थ खान पान से दूरी रखनी चाहिए। बल्कि खानपान डॉक्टर की ही सलाह से होना चाहिए। इस दौरान मरीज को अस्पताल के कई बार आना पड़ सकता है क्योंकि डॉक्टर मरीज को अनुकूल परिस्थितियों के अनुसार सर्जरी के लिए तैयार करते हैं।

हार्ट बाईपास सर्जरी कितनी कारगर है | Success rate of heart bypass surgery

बाईपास सर्जरी का कामयाब होना अलग-अलग केस पर निर्भर करता है। हालांकि, इस सर्जरी के अपने जोखिम हैं लेकिन यदि यही अंतिम विकल्प बताया गया है तो इसका चुनाव न करना जोखिम बढ़ाएगा। ऐसे में केवल डॉक्टर की सलाह अनुसार चलें। (हृदय की मांसपेशियों में सूजन से भी हो सकता है हार्ट फेल, एक्‍सपर्ट से जानें इसके कारण और इलाज)

हार्ट बाईपास का रिकवरी टाइम क्या है | Recovery time of heart bypass surgery

बाईपास सर्जरी होने के बाद मरीज को रिकवर होने में लगभग 6 से 12 हफ्ते लग सकते हैं, इसके अलावा कुछ दवाएं दी जाती हैं, जो रक्‍त का थक्‍का बनने में मदद करती हैं। इन सब बातों के साथ जो सबसे जरूरी है वह है डॉक्‍टर की सलाह, जिसे मरीज को जरूर फॉलो करना चाहिए। (खुद से करें ये 5 वादे, कभी नहीं आएगा हार्ट अटैक, पढ़ें हार्ट स्‍पेशलिस्‍ट का ये सुझाव)

बाईपास सर्जरी के बाद व्यक्ति के जीवन में क्या बदलाव आते हैं?

इतनी बड़ी सर्जरी होने के बाद निश्चित रूप से जीवनशैली में बदलाव लाना ही समझदारी है। क्योंकि स्वस्थ जीवन न जीना ह्रदय रोग के जोखिम को और बढ़ा सकता है, ऐसे में ओमेगा3 और फाइबर युक्त भोजन पर अधिक जोर होना चाहिए साथ ही हल्के फुल्के व्यायाम करने चाहिए इसके अलावा किसी भी हाल में वजन पर नियंत्रण रखना होता है, साथ ही नशीले पदार्थों से हमेशा के लिए दूरी बनानी होती है।

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