
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही मां के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। छोटे से भ्रूण से बच्चा बनने की प्रक्रिया इसी समय से शुरू होती है। इन दिनों में जहां मां मॉनिंग सिकनेस से लेकर शरीर में हो रहे कई बदलाव महसूस करती है। वहीं उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण में भी काफी बदलाव होते हैं और शिशु के महत्वपूर्ण अंगों का भी इन्हीं महीनों में विकास होता है। आइए जानते हैं कि इस दौरान मां और बच्चे को पहली तिमाही में किस-किस बदलाव से गुजरना पड़ता है।
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प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में मां में होने वाले बदलाव
पेट गड़बड़ रहना
कई बार देखने में आता है कि प्रेंगनेंसी के शुरुआती महीनों में महिलाओं का पेट खराब रहता है। ऐसे में महिला चिड़चिड़ी हो जाती है। वो अपने शरीर में हो रहे बदलाव को समझने की कोशिश करती है।
मूड स्विंग होना
इस दौरान मां का मूड हर मिनट बदलता रहता है। कई बार ऐसे देखने में आता है कि मां को रोने का मन अचानक से करने लगता है। महिला अपने शरीर में होने वाले बदलावों को लेकर भी इन दिनों काफी परेशान रहती है। इस दौरान महिला को किसी खास सुगंध से दिक्कत भी हो सकती है।

मां का खाने के प्रति अरुचि होना
प्रेंगनेंसी की पहली तिमाही में कई बार मां को भूख लगना बंद या काफी कम हो जाती है। इससे मां को काफी कम कमजोरी लगती है। इस दौरान शरीर काफी सारे बदलावों से भी गुजर रहा होता है।
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ब्रेस्ट का साइज बदलना
प्रेगनेंसी की शुरूआती हफ्ते से ही शरीर में कई तरह के बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। इनमें से एक है ब्रेस्ट का साइज बदलना। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस समय से ही ब्रेस्ट शिशु को दूध पिलाने के लिए तैयार होना शुरू हो जाता है। इस समय स्तनों में दर्द होना एक आम बात है। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह पर तेल से ब्रेस्ट की मसाज कर सकते है। जिससे आपको आराम मिलेगा।
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में शिशु में होने वाले बदलाव
बच्चे का वजन बढ़ना
प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही मां को खानपीने पर बहुत अधिक ध्यान देना चाहिए। इन महीनों में गर्भ में बच्चे का विकास होना शुरू हो जाता है। अच्छे खानपान से शिशु स्वस्थ रहता है और उसके अंगों और इंद्रियों का विकास अच्छी तरह होता है। कई बार ऐसा भी हो सकता है कि आपके डॉक्टर ने आपको जो खाने की सलाह दी है, वो आपको न पसंद हो। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से उस चीज के विकल्प के बारे में पूछना चाहिए या उसे अपने डाइट में अलग और नए तरीके से शामिल करने का तरीका खोजना चाहिए। जैसे अगर आपको दूध नहीं पसंद नहीं आ रहा तो आप शेक लें सकते है। इससे बच्चे का वेट तो बढ़ेगा ही। साथ में आपका मूड भी अच्छा होगा।
बच्चे का ब्रेन डेवलेप होना
शुरुआत के तीन महीनों में बच्चे के हार्ट से लेकर अन्य ऑर्गन बनना शुरु हो जाते हैं। इसलिए देखने में आता है कि मां को सबसे ज्यादा परेशानी इन्हें महीने में होती है। वही बच्चे का ब्रेन डेवलेप भी इसी बीच होना शुरू हो जाता है। बच्चे के लिए भी ये तीन महीने आसान नहीं होते हैं। इस समय मां को फोलिक एसिड समय पर लेना चाहिए। जिससे बच्चे का ब्रेन डेवलप अच्छे से हो सके।
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प्रेगनेंसी के शुरुआती 3 महीने मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होते हैं। इसलिए अपनी डाइट का ख्याल रखकर मां खुद का और बच्चे की हेल्थ का ध्यान रख सकती हैं। इस समय मां को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। परिवार को मां की सेहत के साथ-साथ उनकी मेंटल हेल्थ का भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।
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