जर्नल ऑफ एडवांसड नर्सिंग में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है कि वह बच्चे, जिनकी बातों को ध्यान से सुना और समझा जाता है उनमें हालात से लड़ने में विश्वास की एक अलग भावना पैदा हो सकती है, विशेषकर जब वह मुश्किलों से जूझ रहे होते हैं।
सुरक्षा की भावना और रात की नींद ऐसी चीजें हैं, जो अधिकतर बीमार बच्चों को अस्पताल में बांधे रखती है।
जर्नल ऑफ एडवांसड नर्सिंग में प्रकाशित अध्ययन में इस बात का पता लगाने की कोशिश की गई कि बच्चे कैसे अस्पताल की देखरेख और अन्य चीजों के प्रति महसूस करते हैं।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 'नीड्स ऑफ चिल्ड्रन क्वेस्चनेर' (Needs of Children Questionnaire, NCQ) विकसित किया, जो कि बाल चिकित्सा वार्डों में रह रहे बच्चों के मनोसामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक आवश्यकताओं को मापने के लिए अपने आप में पहली रिपोर्ट थी।
ऑस्ट्रेलिया की एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मैंडी फोस्टर ने कहा, ' NCQ को विकसित करना देखभाल केंद्र के रूप में बच्चों को रखने की जगह को बेहतर बनाने के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन का एक हिस्सा है। यह वह केंद्र हैं, जिन्हें बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र से सम्मान प्राप्त है।''
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शोध दल ने ऑस्ट्रलिया और न्यूजीलैंड के बाल चिकित्सा वार्डों में रह रहे 193 स्कूली बच्चों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया।
अध्ययन के मुताबिक, बच्चों द्वारा महसूस की जाने वाली जरूरतों की पहचान इस रूप में की गई।
- वे यह जानना चाहते थे कि वे सुरक्षित है और उन्हें देखा जाएगा।
- क्या रात में उन्हें पर्याप्त नींद मिलेगी।
- अस्पताल का स्टाफ उनकी बात सुनेगा।
- ऐसी जगह है, जहां उनके परिजन खाने-पीने के लिए जा सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि 2016-17 में 17 लाख से ज्यादा बच्चे अस्पतालों में भर्ती हुए, जिसके कारण उन्होंने इस अध्ययन के महत्व पर जोर दिया।
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फोस्टर ने कहा, ''व्यस्क होने के नाते हम अक्सर बच्चों की जरूरतों और इच्छाओं के बारे में धारणाएं बनाते हैं लेकिन अधिकतर बच्चों के लिए अस्पतालों का माहौल भयावह और अपरिचित हो सकता है, जिसके बारे में हम पता नहीं लगा पाते कि वह कैसा महसूस कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा, ''अस्पताल में बच्चों की बातों को सुना जाना और उन्हें समझना उनमें हालात से लड़ने की भावना पैदा करते हैं, जिससे वह जूझ रहे हैं।''
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