कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में रिसर्च का सिलसिला जारी है। दुनियाभर के वैज्ञानिक दिन रात इस वायरस का अध्ययन कर रहे हैं, ताकि इसे समझ सकें और इसकी वैक्सीन जल्द से जल्द बनाई जा सके। अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन जल्द नहीं बनाई गई, तो ये छोटा सा वायरस दुनिया को कई दशक पीछे ले जाएगा। अब तक 85 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका ये कोरोना वायरस दुनियाभर के लिए सिरदर्द बना हुआ है। इसके कारण मरने वालों का आंकड़ा भी 4 लाख 56 हजार से ज्यादा हो गया है। यही कारण है कि लगभग सभी देश वायरस की प्रकृति, संक्रामकता और जेनेटिक स्ट्रक्चर पर लगातार शोध कर रहे हैं। इन शोधों में कुछ चौंकाने वाली बातें भी सामने आती रहती हैं। जैसे- यूरोप के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद एक खास ब्लड ग्रुप वालों को तो गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन एक और ब्लड ग्रुप वाले लोगों के लिए अपेक्षाकृत ये वायरस कम खतरनाक है।
ब्लड ग्रुप A वालों के लिए 45% ज्यादा खतरनाक हो सकता है कोरोना वायरस
यूरोपियन वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस रिसर्च को New England Journal of Medicine में छापा गया है। रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने हजारों कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के जीन्स का अध्ययन किया और पाया कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप A है, ये वायरस उनके लिए बड़े खतरे पैदा कर सकता है। इसका अर्थ है कि अगर ब्लड ग्रुप A वाले लोग कोरोना वायरस की चपेट में आते हैं, तो उनके लक्षण ज्यादा गंभीर हो सकते हैं और खतरा अन्य लोगों से ज्यादा हो सकता है। इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने 4000 से ज्यादा मरीजों का अध्ययन किया। अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि ब्लड ग्रुप A वाले मरीजों को कोविड-19 के गंभीर स्थिति का खतरा 45% तक ज्यादा हो सकता है।
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ब्लड ग्रुप O वालों के लिए 35% कम खतरनाक हो सकता है कोरोना वायरस
इसी रिसर्च में वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि कोरोना वायरस ब्लड ग्रुप O वालों के लिए कम खतरनाक है। इसका अर्थ है कि अगर ब्लड ग्रुप O वाले लोग कोरोना वायरस की चपेट में आते हैं, तो उनके लक्षण बहुत गंभीर नहीं होते हैं और उनका इलाज भी आसानी से किया जा सकता है। अध्ययन के अनुसार ब्लड ग्रुप O वालों के लिए कोरोना वायरस 35% तक कम गंभीर हो सकता है। बड़े पैमाने पर की गई एक अन्य स्टडी में भी ये बात सामने आई है कि ब्लड ग्रुप O वाले लोग कोरोना वायरस का कम शिकार हुए हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
Medical College of Wisconsin के ब्लड स्पेशलिस्ट डॉ. परमेश्वर हरि कहते हैं, "ये अध्ययन महत्वपूर्ण हो सकता है लेकिन इसे पर्याप्त नहीं माना जा सकता है।" दरअसल हम अलग-अलग ब्लड ग्रुप की पहचान इसी आधार पर करते हैं कि ब्लड सेल्स की सतह पर किस तरह के प्रोटीन मौजूद हैं। डॉ. हरि बताते हैं कि ब्लड ग्रुप O के मामले में यह देखा गया है कि वो बाहर से आने वाले कुछ खास प्रोटीन्स (foreign proteins) को जल्दी पहचान लेता है। इसलिए ऐसा हो सकता है कि ब्लड ग्रुप A इस वायरस के प्रोटीन को जल्दी पकड़ता हो। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान ब्लड टाइप O वाले लोगों में इस वायरस के कारण गंभीर स्थितियों का सामना कम करना पड़ा है।
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लेकिन ब्लड टाइप ही गंभीरता का अकेला फैक्टर नहीं है
कुछ एक्सपर्ट्स यह भी कह रहे हैं कि स्वस्थ व्यक्तियों के लिए ये अध्ययन कुछ हद तक महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन कोरोना वायरस की गंभीरता कई और फैक्टर्स पर भी निर्भर करती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जैसे- कोई व्यक्ति पहले से ही किसी बीमारी का शिकार है, तो उसके लिए कोरोना वायरस खतरनाक ही साबित होगा, फिर उसका ब्लड ग्रुप कोई भी हो।
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