कान में कई तरह की समस्याएं होती हैं। यह समस्याएं आपको विभिन्न रोगों की वजह से हो सकती हैं। कुछ लोगों में कान में दर्द, कान में संक्रमण और कान में भारीपन कान की बीमारियों के साथ उत्पन्न होता है। वहीं, कुछ अन्य लोगों में यह समस्याएं धीरी-धीरे कान के रोगों में बदल सकती हैं। कान में किसी भी तरह की परेशानी आपके लिए चिंता का विषय हो सकती हैं। ऐसे में कान का समय पर इलाज बहुत ही जरूरी होता है। कान की समस्याएं कई तरह के रोगों की वजह से हो सकती हैं। आज हम इस लेख में कान के रोगों के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं कान में कौन-कौन से रोग हो सकते हैं?
कान में कौन कौन से रोग होते हैं? (Types of Ear Disease)
कान का संक्रमण (Ear Infection)
बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से कान में संक्रमण की वजह होती है। यह संक्रमण कान में या फिर ऊतकों के माध्यम से कान के अंदर प्रवेश करता है। कान में संक्रमण होने पर आपको खुजली, दर्द और कान में भारीपन महसूस हो सकता है।
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कान में फोड़े
कान में फोड़े होने से भी आपको परेशानी हो सकती है। यह कनाल में उगने वाला फोड़ा है। यह अधिकतर जीवाणु संक्रमण की वजह से फैलता है। त्वचा पर होने वाली क्षति की वजह से यह संक्रमण फैलता है।
टिनिटस
कान में टिनिटस नामक रोग भी हो सकता है। इसकी वजह से आपको कान में सीटी बजने की आवाज आने लगती है। ऐसी स्थिति में आपको श्रवण हानि भी हो सकती है।
कणकवता (ओटोमाइकोसिस)
ओटोमाइकोसिस एक कवक की वजह से कान में यह रोग हो सकता है। यह बाहरी कान के कनाल में फैलने वाला संक्रमण है। इससे आपको कान में काफी दर्द का अनुभव करना पड़ सकता है।
मेनियर रोग
कान में मेनियल नामक रोग भी हो सकता है। इसकी वजह से आपका कान बहने लगता है। इसके अलावा आपको कान बजना और चक्कर आना जैसी परेशानी भी हो सकती है।
कान का कैंसर
कान का कैंसर अक्सर बाहरी कान की स्किन पर फैलता है। यह कान के अंदर भी विकसित हो सकता है। हालांकि, यह बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। कान को विभिन्न प्रकार के कैंसर जैसे- कार्सिनोमा और मेलेनोमा प्रभावित कर सकते हैं।
स्विमर्स ईयर
कान में पानी या फिर नमी की वजह से स्विमर्स ईयर की समस्या हो सकती है। इसकी वजह से कान के बाहरी परत पर सूजन आ सकती है। ऐसे में कान में पानी जाने से रोके। ताकि आपको यह परेशानी न हो।
इन रोगों के अलावा कान में अन्य रोग भी हो सकते हैं। जैसे-
- दाब-अभिघात (Barotrauma)
- वेस्टिबुलर न्यूराइटिस
- प्रेस्बाइक्यूसिस (Presbycusis)
- कोलेस्टेटोमा (Cholesteatoma)
- कान के पर्दे में छेन होना।
- बहरापन
- कान में दर्द होना (ओटेलजिया)
- कान बंद होना इत्यादि।
कान के रोग के लक्षण - Ear Disease Symptoms
विभिन्न कान के रोगों में कुछ हद तक लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, कान रोग में कई लक्षण एक समान होते हैं। जैसे-
- कान में दर्द होना
- कान में भारीपन महसूस होना।
- कान बजना
- कान में खुजली होना
- कान लाल पड़ना
- कान बहना
- उल्टी
- वर्टिगो
- कान में सूजन होना।
- समस्या बढ़ने पर बुखार होना।
- चक्कर आना
- कान में सीटी बजना
- कान में गूंजना
- बहरापन
- कनाल में सूजन होना
- कान की त्वचा पर परत जमना इत्यादि।
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कान के रोग के कारण ( Ear Disease Causes )
कान में रोग के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-
- जबड़े या साइनस के संक्रमण
- टॉन्सिल होना
- अत्यधिक शोर शोर में होना
- अनुवांशिक कारण
- कान में चोट लगना
- कान के मध्य हिस्से में जीवाणु या वायरस होना
- सर्दी-जुकाम होना
- फ़्लू होना
- एलर्जी बढ़ना
- वायरल संक्रमण
- कान में पानी जाना इत्यादि।
कान के रोगों से कैसे बचें ( Ear Disease Prevention)
कान में किसी भी तरह की समस्या होने पर अपने डॉक्टर से तुरंत मिलें। अपना खुद से इलाज न करें। हालांकि, अगर आप कान के रोगों से बचना चाहते हैं, तो कुछ बचाव के टिप्स अपना सकते हैं। जैसे-
- कान की खुद से कभी भी सफाई न करें।
- कॉटन बड्स का बार-बार इस्तेमाल करने से बचें।
- कान में पानी न जानें दें।
- कान में किसी भी चीज को डालने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- ईयर प्लग्स का इस्तेमाल करें।
- ध्वनि प्रदूषण वाले वातावरण में जानें से बचें।
- अपने कान में बार-बार उंगली न डालें।
कान में किसी भी तरह की परेशानी होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें। कभी भी खुद से इलाज न करें। ध्यान रखें कि आपकी जरा सी भी लापरवाही आपको बहरा बना सकती है। इसलिए कान के प्रति लापरवाही न बरतें।
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