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Dysmenorrhea In Hindi: पीरियड्स के दौरान क्यों होने लगती है दर्द और ऐंठन, डॉक्टर बता रहे हैं कारण

What Is The Main Cause Of Dysmenorrhea In Hindi: डिसमेनोरिया पीरियड्स के दौरान हो रहे दर्द को कहा जाता है। कई बार यह स्थिति महिला के लिए कष्टकारी हो जाती है। इस लेख में जानते हैं कि डिसमेनोरिया के कारणों के बारे में-
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Dysmenorrhea In Hindi: पीरियड्स के दौरान क्यों होने लगती है दर्द और ऐंठन, डॉक्टर बता रहे हैं कारण


Causes Of Dysmenorrhea In Hindi: पीरियड्स के दौरान दर्द होना, ऐंठन महसूस करना बहुत सामान्य माना जाता है। जैसे ही पीरियड्स खत्म होते हैं। ये समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं। लेकिन, हर महिला के लिए पीरियडस क्रैंप्स या दर्द का अनुभव एक जैसा नहीं होता है। कुछ महिलाओं को यह दर्द बहुत तीव्र होता है और यह असहनीय हो जाता है। इसी स्थिति को डिसमेनोरिया कहा जाता है। यह दर्द कभी-कभी इतना गंभीर हो जाता है कि महिलाओं के लिए रोजमर्रा के काम करना भी मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर डिसमेनोरिया का दर्द पेट के निचले हिस्से में होता है, जो चुभन जैसा महसूस होता है। डिसमेनोरिया का दर्द पेट के निचले हिस्से होते हुए पीठ और पैरों तक को प्रभावित करता है। सवाल है कि कुछ महिलाओं को डिसमेनोरिया क्यों होता है? इस लेख में हम डिसमेनोरिया के कारणों के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस बारे में हमने Gr Noida West स्थित सर्वोदय हॉस्पिटल में Sr. Consultant-Obs and Gynaecology डॉ. शेहला जमाल से बात की। (Dysmenorrhea Kyu Hota Hai)

डिसमेनोरिया के कारण- Causes Of Dysmenorrhea In Hindi

डिसमेनोरिया या पेनफुल पीरियड्स होने के दो स्टेज होत हैं। आमतौर पर पीरियड्स के दौरान यूट्रस की लाइनिंग में प्रोस्टाग्लैंडीन रिलीज होता है। इससे गर्भाशय में संकुचन आने लगता है, जो कि दर्द ट्रिगर करता है। हालांकि, डिसमेनोरिया के प्राइमरी स्टेज में इसके कारणों को स्पष्ट रूप से अब तक समझा नहीं जा सका है। इसलिए, विशेषज्ञों का कहना है कि पीरियड्स के दौरान जब प्रोस्टाग्लैंडीन का स्तर हाई हो जाता है, तो महिलाओं में पीरियड क्रैंप्स बढ़ जाता है। अगर बात करें, सेकेंडरी डिसमेनोरिया की तो इसके पीछे कई तरह के फिजिकल इश्यूज जिम्मेदार होते हैं, जैसे एंडोमेट्रियोसिस, पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी), और फाइब्रॉएड।

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प्राइमरी डिसमेनोरिया के कारक

जैसा कि हमने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि प्राइमरी डिसमेनोरिया के कारक अज्ञात हैं। हालांकि, जो विशेषज्ञ स्पष्ट करते हैं, उसके अनुसार यूट्रस की इनर लाइनिंग प्रोस्टाग्लैंडीन को हाई लेवल में रिलीज करती है। ये हार्मोन जैसे सब्सटेंस होते हैं, जिससे गर्भाशय में सुकुचन हो सकता है। इस तरह के दबाव के कारण महिलाओं को पीरियड्स में पेन होने लगता है। यह डिसमेनोरिया की प्राइमरी स्टेज कहलाती है। इस तरह की समस्या कम उम्र की महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है। विशेषकर, जब महावारी की शुरुआत होती है।

सेकेंडरी डिसमेनोरिया के कारक

एंडोमेट्रियोसिसः महिलाओं को होने वाली यह गंभीर समस्या होती है। इसके बीमारी के तहत यूट्रस के बाहर एंडोमेट्रियल टिश्यूज डेवेलप हो जाती हैं, जिससे दर्द, ब्लीडिंग और सूजन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। जिन महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस होता है, उनमें डिसमेनोरिया काफी कॉमन होता है। उनके पीरियड्स अनियमित होते हैं और कई बार दो पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग या ब्लीडिंग होने लगती है।

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पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज एक तरह का इंफेक्शन है, जो कि रिप्रोडक्टिव ऑर्गन यानी प्रजनन अंगों में होता है। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने पर महिला को पेल्विक एरिया में काफी दर्द रहता है। साथ ही, पीरियड्स के दौरान उन्हें डिसमेनोरिया से भी जूझना पड़ता है।

फाइब्रॉएड

फाइब्रॉएड का मतलब होता है कि यूट्रस के अंदर छोटे-छोटे सिस्ट होना। आमतौर पर ये नॉन-कैंसेरियस होते हैं। लेकिन, इसकी वजह से महिला को हैवी ब्लीडिंग होती है और डिसमेनोरिया की समस्या भी देखने को मिलती है।

All Image Credit: Freepik

FAQ

  • डिसमेनोरिया के क्या लक्षण हैं?

    डिसमेनोरिया का मतलब होता है पीरियड्स के दौरान तीव्र दर्द और ऐंठन होना। इसके लक्षणों में पेल्विक एरिया में ऐंठन होना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, पैरों और पीठ के निचले हिस्से में दर्द महसूस करना। डिसमेनोरिया का मुख्य कारण गर्भाशय में संकुचन को माना जाता है।
  • मासिक धर्म से संबंधित दर्द को क्या कहते हैं?

    मासिक धर्म में ऐंठन को हम डिसमेनोरिया कहते हैं। इसका मतलब है कि पेट के निचले हिस्से में तीव्र दर्द और ऐंठन होना।
  • पीरियड क्रैंप्स और डिसमेनोरिया में क्या अंतर है?

    पीरियड्स क्रैंप्स और डिसमेनोरिया एक ही चीज होती है। डिसमेनोरिया पीरियडस क्रैंप्स का मेडिकल टर्म है। इस स्थिति में महिला को पेट के निचले हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द और ऐंठन होती है। ऐंठन के अलावा, महिला को थकान, कमजोरी, मतली आदि समस्याएं भी हो सकती हैं।

 

 

 

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