एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाली एक समस्या है। ये समस्या महिलाओं के गर्भाशय से संबंधित होती है। इस समस्या में एंडोमेट्रियल टिशू गर्भाशय के बाहर अन्य अंगों में भी फैलने लगते हैं। इससे महिलाओं को पेट में दर्द होने लगता है। कई बार ये दर्द इतना असहनीय होता है कि वह किसी भी कार्य को करने में असमर्थ होती है। इस समस्या में महिलाओं को गर्भ धारण करने में परेशानी होती है। 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में भी ये समस्याएं देखने को मिलती है।
डॉक्टर विभा बंसल ने बताया कि एंडोमेट्रियोसिस में महिलाओं को मुख्य रूप से गर्भधारण करने में समस्या होती है। महिलाओं को कई बीमारियों में इस तरह की समस्या हो जाती है। लेकिन इसके प्रारंभिक स्तर को दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस की समस्या क्यों होती है?
महिलाओं के गर्भाशय में टिशू की एक परत होती है जिसे एंडोमेट्रियम कहा जाता है। जब ये टिसू गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगते हैं तो इसको एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है। ये एक प्रकार का विकार होता है। इस विकार में एंडोमेट्रियम टिशू आपके अंडाशय, आंतों और श्रोणि पर बढ़ने लगते हैं। एंडोमेट्रियम टिशू से महिलाओं को अंडाशय (ओवरियन) पर भी प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से महिलाओं को पीरियड्स के समय दर्द व ब्लीडिंग अधिक होती है। ये महिलाओं में इंफर्टिलिटी की भी वजह बनती है।
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एंडोमेट्रियोसिस के क्या कारण होते हैं
पीरियड्स की नॉर्मल साइकिल में महिलाओं के गर्भाशय की परत बनती है। पीरियड्स में रक्त गर्भाशय से सर्विक्स से होते हुए बाहर निकल जाता है।
- कई बार हार्मोन गर्भाशय के बाहरी कोशिकाओं को गर्भाशय के अंदर की परत के समान कोशिकाओं में बदल देते हैं, जिन्हें एंडोमेट्रियल कोशिकाओं के रूप में जाना जाता है।
- पीरियड्स में ब्लीडिंग, एंडोमेट्रियल टिशू की परत के टूटने से होती है। लेकिन कई बार पीरियड्स का रक्त पेल्विक में जमा होने लगता है।
- अन्य बीमारियों में बीमारियों ली जानें वाली दवाओं की वजह से भी ये समस्या हो सकती है।
- सिजेरियन के बाद घाव की वजह से भी एंडोमेट्रियल कोशिकाएं बढ़ जाती है।
एंडोमेट्रियोसिस में महिलाओं को क्या लक्षण महसूस होते हैं
- इस समस्या में महिलाओं को पीरियड्स के समय पेल्विक क्षेत्र में तेज दर्द होता है।
- पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग होना।
- महिलाओं को अधिक थकान, कब्ज, मितली, व चक्कर आने की समस्या,
- कई बार महिलाओं को पीरियड्स के बिना भी पेल्विक क्षेत्र में दर्द महसूस होने लगता है,
- महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाते समय अधिक दर्द होना।
एंडोमेट्रियोसिस का इलाज कैसे होता है?
एंडोमेट्रियोसिस का इलाज दवाओं व सर्जरी के द्वारा किया जाता है। इलाज का तरीका आपके डॉक्टर बीमारी की समस्या और उसकी स्थिति के आधार पर निर्धारित कर सकते हैं।
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दवाओं से इलाज
इस तरीके में डॉक्टर आपको एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं के माध्यम से आपका इलाज करते हैं। दवाओं से पीरियड्स का दर्द कम हो जाता है। यदि महिलाओं को गर्भधारण करना हो तो डॉक्टर दवाओं के साथ ही उन्हें हार्मोनल थैरेपी भी दे सकते हैं।
हार्मोनल थैरेपी
कई बार हार्मोनल थैरेपी से एंडोमेट्रियोसिस के दर्द को कम करने में मदद मिलती है। पीरियड्स के दौरान हार्मोन के उतार-चढ़ाव से एंडोमेट्रियल इम्प्लांट की परत मोटी होती है और खून बहने लगता है। हार्मोनल थैरेपी में हार्मोनल दवाएं एंडोमेट्रियल टिशू के विकास को धीमा करने में सहायक होती है।