Doctor share Tips for Parents When Kids Dont Listen: बच्चों का पेरेंट्स की बात न मानना एक आम बात है। बच्चों द्वारा पेरेंट्स की बात न मानने से अक्सर पेरेंट्स परेशान होते हैं और समझ नहीं पाते हैं कि इस स्थिति में आखिर उन्हें क्या करना चाहिए। कई बार बच्चे द्वारा बात न मानने से पेरेंट्स गुस्सा भी होते हैं और उन पर चिल्लाने लगते हैं। जाहिर सी बात है बच्चों का बात न मानना हर माता-पिता के लिए तनावपूर्ण स्थिति है।
अगर आप भी उन्हीं पेरेंट्स में हैं, जिनके बच्चे उनकी बातों को अनसुना कर देते हैं या मानते नहीं है, तो आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं बच्चों को हैंडल करने के तरीके के बारे में। इस विषय पर लखनऊ के गोमतीनगर स्थित बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुण आनंद ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है।
पेरेंट्स की बात क्यों नहीं मानते हैं बच्चे- Why children do not listen to their parents
डॉ. तरुण आनंद के अनुसार, बच्चे अक्सर अपनी राय और स्वतंत्रता के लिए जोर देते हैं और ऐसे में माता-पिता को समझदारी से काम लेना चाहिए। इसलिए वह पेरेंट्स की बात को इग्नोर कर देते हैं। इस बात को यूं समझा जा सकता है कि आप बच्चे को कितने भी महंगे खिलौने क्यों न दिला लें, वह अक्सर किचन के बर्तन, रिपोर्ट और मोबाइल से ही खेलना पसंद करते हैं, क्योंकि उसका इस्तेमाल माता-पिता कर रहे हैं। डॉक्टर का कहना है हर बच्चे के शरीर में मिरर न्यूरोन होते हैं, जो माता-पिता की एक्टिविटी को देखकर प्रभावित होते हैं और पेरेंट्स की ही चीजों को दोहराने की कोशिश करते हैं।
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बात न मानने पर बच्चों को कैसे करें हैंडल?- How to handle children when they don't obey you?
अगर आपके बच्चे भी आपकी बातों का इग्नोर कर देते हैं, तो आप नीचे बताए गए टिप्स को अपनाकर उन्हें हैंडल कर सकते हैं और अपनी बातों को आसानी से मनवा सकते हैं।
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1. भावना को समझें
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उनमें अपनी स्वतंत्रता की भावना जागरूक होती है। वे खुद निर्णय लेना चाहते हैं और अपने तरीके से चीजें करना पसंद करते हैं। पेरेंट्स होने के नाते बच्चे की बात न मानने की भावना को समझें और उनसे बात करके समझाने की कोशिश करें।
2. शांत और संयमित रहें
किसी भी परेशानी में निराश होना आसान है, लेकिन याद रखें बच्चे हमारी भावनाओं को दर्शाते हैं। पेरेंट्स की शांत प्रतिक्रिया उन्हें भी शांत होने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसलिए हमेशा बच्चों को गुस्सा शांत करके समझाएं।
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3. बच्चों से बात करें
पेरेंट्स होने के नाते बच्चों को बताएं कि आप उनके दृष्टिकोण को समझते हैं। "मैं देख रहा हूं कि आप परेशान हैं... लेकिन इस समय ये करना बिल्कुल गलत है। हम ये चीजें बाद में भी कर सकते हैं।"
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4. इसे एक खेल में बदल दें
बच्चों से अपनी बात मनवाने के लिए इसे खेल में तब्दील करें। बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों को खेलना बहुत पसंद होता है, और जब कोई चीज उन्हें खेल जैसी लगती है, तो वे अक्सर सुनने के लिए ज्यादा एक्साइटेड होते हैं।
5. बच्चों की सराहना करें
बच्चे जब आपकी बात को सुन रहे हैं और मान रहे हैं, तो उनकी तारीफ करें। पेरेंट्स से तारीफ मिलने के बाद बच्चे बातों को ज्यादा गौर से सुनते हैं और उसे मानने की कोशिश करते हैं। घर में कुछ नियम जरूर बनाएं, जैसे पढ़ाई का समय, खेलने का समय और सोने का समय। इन नियमों को बच्चों के साथ मिलकर तय करें ताकि उन्हें उन पर अमल करने की प्रेरणा मिले।
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निष्कर्ष
पेरेंट्स की बात ना मानना बच्चों के व्यक्तिगत विकास का अहम हिस्सा है। बच्चे द्वारा बात न मानने पर पेरेंट्स को गुस्सा होने, उन पर चिल्लाने या मारपीट करने की बजाय शांति से काम लेना चाहिए और उन्हें समझाने की कोशिश करनी चाहिए।
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