
Do Pillows Have an Expiry Date: सोने के लिए जितना आरामदायक गद्दा और बेड जरूरी है, उतना ही तकिया भी महत्वपूर्ण है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि तकिए को भी बदलने की जरूरत होती है। अगर हम भारत के परिपेक्ष्य में देखते हैं, तो आज भी घरों में तकिये कई सालों-साल चलते हैं। बेड की चादर जरूर समय समय पर बदल दी जाती है, लेकिन तकिया वैसा ही रहता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि तकिया चेहरे, बाल और फेफड़ों पर असर डाल सकता है। इसलिए इसे समय पर बदलते रहना चाहिए। तकिया कब बदलना चाहिए और एक ही तकिया लगातार इस्तेमाल करने पर क्या दिक्कतें हो सकती हैं। इन सभी सवालों के जवाब हमने अकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ. रमन कुमार (Dr Raman Kumar, Chairman, Academy of Family Physicians of India) से पूछे। उन्होंने तकिये से जुड़े कुछ टिप्स भी दिए हैं।
तकिया बदलना क्यों जरूरी है?
इस बारे में डॉ. रमन ने कहा, “तकिया रोजाना स्किन और बालों के सीधे संपर्क में आता है। नींद में डेड स्किन, बाल और थूक को भी सोख लेता लेता है। इस पर बालों में मौजूद तेल और धूल भी जमा हो जाती है। समय के साथ तकिये में बैक्टीरिया और फंगस पनपने लगती हैं। इससे न सिर्फ स्किन से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं, बल्कि एलर्जी, छींक, खांसी और सांस से जुड़ी बीमारियों का कारण भी बन सकती है। पुराने तकिये में लाखों डस्ट माइट्स होते हैं, जो माइक्रोस्कोप से ही देखे जा सकते हैं। पुराना तकिया नींद की क्वालिटी पर भी असर डाल सकता है।”
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पुराने तकिये के नुकसान
डॉ. रमन कहते हैं कि पुराना तकिया कई तरह की समस्याएं बढ़ा सकता है।
एलर्जी और सांस की दिक्कत - पुराने तकिये में धूल और बैक्टीरिया होने पर नाक बंद की समस्या हो सकती है। इससे सांस लेने में तकलीफ और छींक, खांसी और खुजली भी बढ़ सकती है।
स्किन से जुड़ी समस्याएं - बैक्टीरिया और तेल जमा होने से चेहरे पर पिंपल्स, दाने और स्किन इरिटेशन हो सकता है।
फेफड़ों में इंफेक्शन - कुछ मामलों में तकिये में फंगस या मोल्ड्स से फेफड़ों में इंफेक्शन भी हो सकता है। लंग इंफेक्शन का रिस्क कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को ज्यादा रहता है।
गर्दन और पीठ का दर्द - तकिये का आकार और सपोर्ट समय के साथ कम हो जाता है। इससे गर्दन या कंधे में दर्द और अकड़न हो सकती है।
तकिये की एक्सपायरी डेट कब पता चलती है?
डॉ. रमन ने बताया कि इन कारणों के चलते तकिये को बदल देना चाहिए।
- अगर तकिया पहले जैसा फूला हुआ नहीं रहता और दबाने पर अपनी जगह वापस नहीं आता, तो इसका मतलब है कि उसका मटेरियल खराब हो चुका है।
- अगर नींद से उठने के बाद गर्दन, कंधे या सिर में दर्द होता है, तो तकिया बदलने का समय आ गया है।
- पीलेपन, बदबू या दाग का मतलब है कि पसीना, तेल और बैक्टीरिया उसमें जम चुके हैं। ऐसा तकिया शरीर को नुकसान दे सकता है।
- तकिये में गांठें महसूस हो तो इसका मतलब है कि उसके अंदर का मीटियरल खराब हो गया है।
- अगर सुबह उठते ही छींक, खुजली या पिंपल्स बढ़ रहे हैं, तो तकिया वजह हो सकता है।
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तकिये की उम्र कितनी होती है?
डॉ. रमन कहते हैं कि तकिये की उम्र उसमें भरे गए मटेरियल पर निर्भर करती है। वैसे अगर आप रोज तकिया इस्तेमाल करते हैं, तो इसे हर 18 से 24 महीने में बदल देना बेहतर ऑप्शन होता है।
तकिया | उम्र |
पॉलिएस्टर | 6 महीने – 2 साल |
फेदर | 1-3 साल |
मेमोरी फोम | 2-3 साल |
लेटेक्स | 3-4 साल |
बकव्हीट | 3-5 साल |
तकिये की सफाई के तरीके
डॉ. रमन ने तकिये की सफाई के कुछ टिप्स दिए हैं।
- हर हफ्ते तकिये का कवर बदलें।
- तकिये को धूप में सुखाएं ताकि बैक्टीरिया और फंगस न पनपें।
- तकिया प्रोटेक्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अगर तकिया चिपका हुआ या बदबूदार लगने लगे, तो उसे बदल दें।
निष्कर्ष
डॉ. रमन कहते हैं कि तकिया आपकी अच्छी सेहत का हिस्सा है। जैसे आप अपनी डाइट और एक्सरसाइज का ध्यान रखते हो, वैसे ही तकिये को समय पर बदलना, साफ रखना और सही मटेरियल चुनना जरूरी है। सही तकिया न सिर्फ नींद की क्वालिटी सुधारता है, बल्कि यह आपकी स्पाइन की हेल्थ के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसलिए इसे अनदेखा न करें और आज ही सोने से पहले अपने तकिये को जरूर चेक करें।
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Current Version
Oct 14, 2025 13:51 IST
Modified By : Aneesh RawatOct 14, 2025 13:51 IST
Published By : Aneesh Rawat