
बहुत से लोगों के लिए सोते समय अगर कोई चीज सबसे अधिक महत्वपूण होती है तो वह है तकिया। कुछ लोगों को तो अपने तकिए पर सोने की ऐसी आदत होती है कि उन्हें कहीं पर भी नई जगह पर या अलग तरह के तकिए पर नींद ही नहीं आती। ऐसे लोग अक्सर बाहर जाते समय अपना तकिया साथ भी लेकर जाते हैं। यकीनन तकिया आपको अधिक कंफर्टेबल महसूस कराता है और इसलिए यह आपकी नींद क्वालिटी को बेहतर बनाकर हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन कई बार इसके कारण आपको विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है, जिसके बारे में आपको पता ही नहीं होता। तो चलिए आज हम आपको तकिए से आपकी नींद व स्वास्थ्य पर होने वाले सकारात्मक व नकारात्मक असर के बारे में बात करेंगे-
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
दिल्ली के सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के ज्वांइट रिपलेसमेंट एंड ओरथोपेडिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ अनुज मल्होत्रा कहते हैं कि तकिया वास्तव में बीमारियों का कारण नहीं होता। बस उसके चयन में हम गलती कर बैठते हैं। कभी भी बहुत अधिक नरम या बहुत कठोर तकिए का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा तकिया बहुत अधिक पतला व मोटा नहीं होना चाहिए। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तकिया लगाते समय आपका बॉडी पॉश्चर सही हो। आपकी गर्दन इससे नहीं मुड़नी चाहिए। आमतौर पर छह इंच के तकिए सही माने जाते हैं। लेकिन अगर आप बारह इंच के तकियों का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपकी गर्दन के लिए समस्या खड़ी कर सकते हैं। इससे आपको स्पॉन्डिलाइटिस, सर्वाइकल डिस्क व गर्दन में दर्द हो सकता है। इसके अलावा आपको इसकी क्लीनिंग पर भी ध्यान देना चाहिए। आपका तकिया व पिलो कवर दोनों ही साफ होने चाहिए।
बेहतर नींद
तकिए के इस्तेमाल का एक सबसे बड़ा लाभ यही होता है कि इससे आपको एक अच्छी नींद मिलती है। जिन लोगों को तकिए पर सिर रखकर सोने की आदत होती है, अगर उन्हें तकिया ना मिले या फिर जिस तकिए का वह इस्तेमाल करते हैं, वह ना मिले तो वह रात में असहज हो जाते हैं। कई बार तो उन्हें ठीक से नींद भी नहीं आती और नींद की कमी के चलते उनके मूड, भूख, सोचने के तरीके पर असर पड़ता है। इतना ही नहीं, लगातार नींद की कमी से व्यक्ति में मोटापे, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग के लिए जोखिम बढ़ जाता है।
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दूर करें स्वास्थ्य समस्याएं
कुछ स्थितियों में तकिए का इस्तेमाल आपको कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में भी आराम दिलाता है। जैसे हार्ट बर्न या साइनस समस्या। दरअसल, जब आपके शरीर का उपरी हिस्सा तकिए के कारण थोड़ा ऊंचा हो जाता है और आप इस स्थिति में सोते हैं तो आप साइनस से आराम मिलता है। साथ ही इससे benign paroxysmal positional vertigo भी बच सकते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें कान के अंदझनी हिस्से में छोटे-छोटे क्रिस्टल अपनी जगह से हट जाते हैं और जिसके कारण व्यक्ति को अत्यधिक चक्कर आते हैं।
गर्दन में दर्द
कई बार तकिया गर्दन में दर्द की वजह भी बनता है। खासतौर से अगर तकिया बहुत नरम है या बहुत फर्म है तो आपको गर्दन में दर्द की शिकायत हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि आप सोते समय नरम तकिए का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपकी गर्दन के नीचे पर्याप्त सपोर्ट प्रदान नहीं करता है। साथ ही इस तरह के तकिए के इस्तेमाल से गर्दन और रीढ़ की हड्डी एक लाइन में नहीं रहते, जिसके कारण गर्दन में दर्द की शिकायत हो सकती है।
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होते हैं फंगस
यह तो हम सभी जानते हैं कि तकिए में कुछ हद तक डस्ट होती है, लेकिन एक ब्रिटिश रिसर्च के अनुसार इसमें फंगस भी हो सकता है। दरअसल, हम एक साल में लगभग 100 लीटर पसीने को बिस्तर में बहा देते हैं। हम अपनी रजाई और तकियों को नहीं धोते हैं, इसलिए उनमें फंगस होने की संभावना कहीं अधिक होती है। हालांकि सामान्य लोगों को इससे किसी तरह की समस्या नहीं होती है। मनुष्य के चारों ओर घर में किसी न किसी रूप में फंगस होती ही है और यह कुछ हद उनके इम्युन सिस्टम को मजबूत भी बनाती है। लेकिन अगर आपको सांस संबंधी कोई बीमारी है या आप अस्थमा के मरीज हैं, तो इससे आपके इम्युन सिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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