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नियमित रूप से कराना न भूलें ये 4 सेक्सुअल हेल्थ टेस्ट, जानें कारण

यौन संबंध से जुड़ी समस्याओं और इंफेक्शन के बारे में लोग खुलकर बात करने से कतराते हैं, ऐसे में आइए जानते हैं सेक्सुअल इंफेक्शन से बचाव के लिए नियमित रूप से आपको कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए?
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नियमित रूप से कराना न भूलें ये 4 सेक्सुअल हेल्थ टेस्ट, जानें कारण


आज के समय में लोगों में बीमारियां काफी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में कुछ ऐसे इंफेक्शन या बीमारी होती है, जिसके कोई खास लक्षण तो नजर नहीं आते हैं, लेकिन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है। बता दें कि सेक्सुअल हेल्थ, सिर्फ आपके शारीरिक संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आपके संपूर्ण जीवनशैली और सेहत से जुड़ा हुआ है। लेकिन, सेक्सुअल हेल्थ होने के कारण लोग इसके बारे में खुलकर बात करने से कतराते हैं। इस कारण लोगों में सेक्स से जुड़े इंफेक्शन और बीमारियों के फैलने का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में जरूरी है कि आप नियमित रूप से कुछ सेक्सुअल हेल्थ टेस्ट करवाएं, ताकि इससे जुड़ी बीमारियों की रोकथाम और समय पर इलाज संभव हो सके। ऐसे में आइए मुंबई के लायंस क्लब अस्पताल की गायनोलॉजिस्ट डॉ. तनुश्री पांडे पडगांवकर से जानते हैं कि वे कौन-से सेक्सुअल टेस्ट हैं, जो नियमित रूप से करवाना चाहिए।

नियमित रूप से कराएं ये सेक्सुअल हेल्थ टेस्ट - Get These Sexual Health Tests Done Regularly in Hindi

1. सेरोलॉजी टेस्ट 

सेक्सुअल हेल्थ चेकअप में सबसे पहले आपको सेरोलॉजी टेस्ट करवाना चाहिए। यह यौन संचारित डिजीज की पहचान में सबसे पहली जांच होती है। इस टेस्ट में आपके खून में एंटीबॉडीज या एंटीजन की मौजूदगी की जांच की जाती है, जिससे यह पता चलता है कि आपको कोई यौन संचारित रोग (STD) जैसे HIV, हेपेटाइटिस B या C, सिफिलिस आदि बीमारी तो नहीं है। यह टेस्ट इसलिए जरूरी है क्योंकि ये बीमारियां अक्सर शुरुआत में किसी तरह के लक्षण नहीं दिखातीं है। कई बार लोग संक्रमित होते हैं, लेकिन इस बीमारी की जानकारी न होने पर दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर देते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को खासतौर पर यह जांच करवानी चाहिए, ताकि बच्चे को इंफेक्शन से बचाया जा सके। इतना ही नहीं आप हर 6 से 12 महीने में इस टेस्ट को करवा सकते हैं।

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2. NAAT टेस्ट

NAAT टेस्ट (Nucleic Acid Amplification Test) गोनोरिया और क्लैमाइडिया की पहचान करने के लिए बेस्ट माना जाता है। NAAT टेस्ट मूत्र या जननांग से लिए गए सैंपल में बैक्टीरिया का जेनेटिक मटेरियल ढूंढता है। यह गोनोरिया और क्लैमाइडिया जैसे आम लेकिन खतरनाक STIs की पहचान करने के लिए सबसे सही जांच मानी जाती है। इस टेस्ट की मदद से आपको इन बीमारियों या इंफेक्शन के बारे में पता चल सकता है। समय रहते इस समस्या का इलाज न किया जाए तो बांझपन, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिसीज और सेक्स लाइफ पर इसका असर पड़ सकता है। यह इंफेक्शन महिला और पुरुष दोनों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, आप हर साल एक बार कम से कम ये टेस्ट जरूर करवाएं।

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3. हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस टेस्ट

हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस टेस्ट मुंह और प्राइवेट पार्ट्स के छालों के पीछे छिपा वायरस होता है। HSV टेस्ट में खून, डिस्चार्ज या घाव से सैंपल लेकर टेस्ट की जाती है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि व्यक्ति को HSV-1 या HSV-2 वायरस है या नहीं। दरअसल, एक बार जब यह वायरस शरीर में आ जाए तो हमेशा के लिए रह सकता है। इतना ही नहीं, इसके लक्षण नहीं भी दिखे, तब भी यह दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। साथ ही, प्रेग्नेंसी के दौरान यह इंफेक्शन भ्रूण में भी संक्रमण का कारण बन सकता है। इसलिए, अगर आपको बार-बार मुंह या प्राइवेट पार्ट्स में छाले हों या पार्टनर में HSV की हिस्ट्री हो तो आप इस टेस्ट को जरूर करवाएं।

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4. पैप स्मीयर

पैप स्मीयर टेस्ट में सर्वाइकल सेल्स (गर्भाशय की गर्दन के सेल्स) की जांच की जाती है कि कहीं कोई प्री-कैंसर बदलाव तो नहीं हो रहे। यह टेस्ट महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत को पहचान सकता है। यह टेस्ट महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए, 21 साल की उम्र के बाद हर 3 साल में महिलाओं को एक बार ये टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

निष्कर्ष

सेरोलॉजी टेस्ट, NAAT, हर्पीस टेस्ट और पैप स्मीयर टेस्ट, ये सभी जांचें न सिर्फ प्राइवेट पार्ट्स के आसपास इंफेक्शन की पहचान करती हैं, बल्कि आपके और आपके पार्टनर को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए, आज की इस बदलती लाइफस्टाइल में, जहां यौन संबंध बहुत ज्यादा ऑपन हो चुका है, वहां इस तरह के सेक्सुअल टेस्ट नियमित रूप से करवाना बहुत जरूरी है।

Image Credit: Freepik

FAQ

  • रूटीन चेकअप से क्या होता है?

    रूटीन चेकअप कराने से शरीर की बीमारियों का जल्द पता लगाने और उसकी रोकथाम में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में भी पता लगाने और उनका सही तरह से इलाज करने में भी मदद करते हैं।
  • महिला के प्राइवेट पार्ट में फंगल इन्फेक्शन क्या होता है?

    महिला के प्राइवेट पार्ट में फंगल इंफेक्शन एक सामान्य स्थिति है, जो कैंडिडा नाम के फंगस के बहुत ज्यादा बढ़ने के कारण होती है। इससे महिलाओं के योनि में खुजली, जलन और असामान्य डिस्चार्ज जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
  • गर्भाशय में फंगल संक्रमण के क्या लक्षण हैं?

    महिलाओं के गर्भाशय में फंगल संक्रमण के कई तरह के लक्षण नजर आते हैं, जिसमें योनि में खुजली और जलन, योनि से सफेद, गाढ़ा, दही जैसा डिस्चार्ज, योनि में रेडनेस और सूजन, और सेक्स या पेशाब के दौरान दर्द की समस्या शामिल हैं।

 

 

 

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