Do Genetics Play Any Role in Development of Asthma : अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है। यह क्रोनिक बीमारी होने पर वायुमार्ग (Airways) में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है। बता दें कि अस्थमा के लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं, लेकिन ये लक्षण ट्रिगर भी कर सकते हैं। इस स्थिति में 'अस्थमा का दौरा' पड़ सकता है और अस्पताल में इलाज करवाने की जरूरत पड़ सकती है। बता दें कि अस्थमा को लेकर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं, जिसमें से एक सवाल यह भी है कि क्या अस्थमा जेनेटिक बीमारी है? अगर आसान शब्दों में समझें, तो क्या अस्थमा की बीमारी परिवार से विरासत में मिल सकती है? आइए इस सवाल का जवाब डॉ ऐश्वर्या धाबे, कंसल्टेंट, साइटोजेनेटिक्स, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई (Dr Aishwarya Dhabe, Consultant, Cytogenetics, Kokilaben Dhirubhai Ambani Hospital, Mumbai) से जानते हैं।
अस्थमा क्या है?- What is Asthma
अस्थमा वायुमार्ग की एक बहुक्रियात्मक पुरानी सूजन (multifactorial chronic inflammatory disease) वाली बीमारी है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को अपनी चपेट में ल लेती है। यह समस्या वायु प्रदूषण, एलर्जी और श्वसन संक्रमण (Respiratory Infection) जैसे पर्यावरणीय कारकों की वजह से हो सकती है। आइए अब इस बीमारी के लक्षण और यह जेनेटिक है या नहीं, इस बारे में जान लेते हैं।
अस्थमा के क्या लक्षण हैं?- What are the Symptoms of Asthma
अस्थमा से ग्रसित व्यक्तियों को कई लक्षण महसूस हो सकते हैं। आइए इन लक्षणों के बारे में जानते हैं। अस्थमा से ग्रसित व्यक्ति को निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैं:
- सांस में कमी महसूस होना
- सीने में दबाव या असहजता
- बच्चों में अस्थमा का एक सामान्य संकेत सांस छोड़ते समय श्वसन ध्वनि (respiratory sound) सुनाई देना
- नींद लेने की कोशिश करते समय सांस लेने में परेशानी के कारण खांसी की समस्या
अस्थमा जेनेटिक हो सकता है?- Can Asthma be Genetic
कई अध्ययनों से पता चलता है कि अस्थमा के विकास में पारिवारिक इतिहास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक अस्थमा से पीड़ित माता-पिता वाले बच्चों में अस्थमा विकसित होने की संभावना 25-30% होती है, जबकि दोनों माता-पिता के प्रभावित होने पर जोखिम 50% तक बढ़ जाती है।
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अस्थमा से जुड़े प्रमुख जीन- Major Genes Associated with Asthma
बता दें कि अस्थमा से सौ से ज्यादा अलग जीन जुड़े हुए हैं और यह सूची अभी भी बढ़ रही है। इनमें से अधिकांश जीन सूजन, फेफड़ों की समस्याओं में परिवर्तन या इम्यून सिस्टम के मॉड्यूलेशन से जुड़े होते हैं।
सबसे ज्यादा अध्ययन किए गए जीन में से कुछ ये हैं:
- ADAM33: यह जीन वायुमार्ग रीमॉडलिंग (Airway Remodeling) से जुड़ा है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो वायु मार्ग की दीवारों को मोटा कर देती है। इससे सांस लेना मुश्किल हो सकता है।
- फिलाग्रिन (Filaggrin): यह जीन स्किन अवरोध रखरखाव (Skin Barrier Maintenance) में शामिल होता है। इससे म्यूटेशन अस्थमा, हे फीवर (Hay Fever) और एटोपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis) का जोखिम बढ़ता है।
- ORMDL3: इस जीन के वेरिएंट को बचपन में अस्थमा के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि से जोड़ा जाता है।
- FCER1B: यह जीन IgE प्रोडक्शन को प्रभावित करता है, जो अस्थमा से जुड़ी एलर्जी प्रतिक्रियाओं में एक प्रमुख कारक है।
आनुवंशिक परीक्षण, व्यक्तिगत चिकित्सा और फार्माकोजेनेटिक्स- Genetic Testing, Personalized Medicine and Pharmacogenetics
बता दें कि जेनेटिक रिसर्च में प्रगति ने अस्थमा प्रबंधन में व्यक्तिगत चिकित्सा के लिए नए रास्ते खोले हैं। आनुवंशिक परीक्षण (Genetic testing) से अतिसंवेदनशील व्यक्तियों की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जिन्हें लक्षित उपचार रणनीतियों के साथ प्रबंधित किया जा सकता है। फार्माकोजेनेटिक्स (Pharmacogenetics ) जेनेटिक प्रोफाइल के आधार पर अस्थमा की दवाओं को तैयार करने में महत्व प्राप्त कर रहा है, इससे दवा की प्रतिक्रिया को कम करने में मदद मिल सकती है।
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कुल मिलाकर, अस्थमा की समस्या माता-पिता से बच्चों में हो सकती है। हालांकि, अगर पैरेंट्स में से किसी एक को अस्थमा की समस्या होती है, तो बच्चे में अस्थमा होने का खतरा ज्यादा नहीं बढ़ता है, लेकिन अगर माता-पिता दोनों को अस्थमा है, तो उनके बच्चे को 50% अस्थमा होने का खतरा हो सकता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि उसे अस्थमा होना तय है। इसके पीछे कई अन्य कारक भी शामिल हो सकते हैं।