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क्या एंटी डिप्रेशन दवाइयां हार्ट को पहुंचा सकती है नुकसान? डॉक्टर से जानें दवाई लेने का सही तरीका

Anti Depression Medicines Impact: डिप्रेशन को कम करने के लिए अक्सर एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां दी जाती है और लगातार ये दवाइयां लेने से क्या इसका असर हार्ट पर पड़ता है, यह जानने के लिए इस लेख को पढ़ें क्योंकि डॉक्टर ने इसके कारणों को विस्तार से बताया।

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क्या एंटी डिप्रेशन दवाइयां हार्ट को पहुंचा सकती है नुकसान? डॉक्टर से जानें दवाई लेने का सही तरीका

Anti Depression Medicines Impact: आजकल जिस तरह की जिंदगी में भागदौड़ लगी हुई है, ऐसे में लोग खुद को अकेला महसूस करने लगे है। कई लोग काम में ही इतना ज्यादा डूब जाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि इसका मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। कई मामलों में देखा गया है कि नौकरी की तलाश में लोग घर से दूर अकेले शहरों में रहते हैं, जो उनके मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियभर में करीब 5.7 प्रतिशत व्यस्क डिप्रेशन से पीड़ित है। ऐसे स्थिति से बाहर निकलने के लिए लोग एंटी डिप्रेशन (Antidepressants) की दवाइयां लेने लगते हैं। ये दवाइयां मन को शांत करने और मूड को स्टेबल रखने में मदद करती हैं, लेकिन अगर इन दवाइयों को लंबे समय तक लिया जाए, तो क्या ये हार्ट पर असर डालती है? इस बारे में हमने नोएडा के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. सुजीत नारायण (Dr Sujeet Narain, Associate Director, Interventional Cardiology, Max Super Speciality Hospital, Noida) से बात की।


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एंटी डिप्रेशन की दवाइयां कैसे हार्ट पर असर डालती है?

डॉ. सुजीत कहते हैं, “एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां खासतौर पर Tricyclic Antidepressants (TCAs) और SSRIs (Selective Serotonin Reuptake Inhibitors) हार्ट के फंक्शन पर असर डाल सकती है। इसमें हार्ट बीट तेज होना, हार्ट बीट रेगुलर न होना, बीपी का बढ़ना या घटना, बीपी का हार्ट की इलेक्ट्रिकल कंडक्शन में समस्या होना या फिर दवाइयों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से हार्ट अटैक आने की भी रिस्क हो सकता है। इसलिए इन दवाइयों का इस्तेमाल सही तरीके से करना चाहिए।”

इसके अलावा, एंटी डिप्रेशन की दवाइयों का असर कई फैक्टर्स पर भी निर्भर करता है।

  1. दवाई का डोज - अगर कोई मरीज ज्यादा डोज लेता है, तो उसका असर हार्ट पर ज्यादा होता है।
  2. पहले से हार्ट की बीमारी होना - अगर किसी को पहले से हाई बीपी या रेगुलर हार्ट बीट न होने की समस्या है, तो रिस्क ज्यादा बढ़ सकता है।
  3. डिप्रेशन से हार्ट का रिस्क - डिप्रेशन होने के कारण कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जिससे नींद न आना या ब्लड प्रेशर का बढ़ने जैसी समस्याएं होने लगती है। इससे हार्ट पर असर पड़ सकता है। इसलिए कई बार यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि दवाई से नुकसान हो रहा है, या फिर डिप्रेशन खुद ही हार्ट को नुकसान पहुंचा रहा है।

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एंटी डिप्रेशन दवाइयां लेते समय बरते सावधानी 

डॉ. सुजीत कहते हैं कि हार्ट को सेहतमंद रखने के लिए एंटी डिप्रेशन दवाइयां लेते समय कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है।

  1. इलाज शुरू करने से पहले हार्ट का चेक-अप जरूर कराएं। डिप्रेशन के मरीज को एंटी डिप्रेशन दवाइयां शुरू करने से पहले हार्ट से जुड़ी सभी मेडिकल हिस्ट्री बतानी चाहिए।
  2. डॉक्टर जो दवाई देते हैं, उसे ही लेना चाहिए। अगर किसी मरीज को हार्ट की समस्या है, तो उसके लिए मॉर्डन SSRIs दवाइयां दी जा सकती है।
  3. दवाई किसी भी केमिस्ट, दोस्त या परिवार के कहने पर न बिल्कुल न लें।
  4. एंटी डिप्रेशन की दवाई का डोज शुरुआत में कम होना हार्ट के लिए सुरक्षित रहता है।
  5. कम डोज लेने से शरीर दवाई को आसानी से सहन कर पाता है और हार्ट साइड इफेक्ट्स का रिस्क कम हो सकता है।
  6. अगर एंटी डिप्रेशन की दवाई लेते हैं, तो रेगुलर ECG मॉनिटरिंग जरूर कराएं। खासतौर पर हाई बीपी या हार्ट डिजीज के मरीजों को तो ECG का लगातार चेकअप कराना चाहिए।
  7. अगर दवाई लेने पर हार्ट बीट बढ़ने लगे, चक्कर आने लगे या फिर बेहोशी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से जरूर मिलें।
  8. मनोचिकित्सक और कार्डियोलॉजिस्ट दोनों से सलाह लें क्योंकि इससे मरीज का शरीर और मेंटल हेल्थ दोनों सही रहेगा।

क्या एंटी डिप्रेशन की दवाइयां बंद कर देनी चाहिए?

डॉ. सुजीत कहते हैं, “बिल्कुल दवाइयां बंद नहीं करनी चाहिए क्योंकि दवाइयां बंद करना समाधान नहीं है। जो लोग एंटी डिप्रेशन दवाइयां लेते हैं, तो उन्हें सुरक्षित और सही मॉनिटरिंग के साथ लेनी चाहिए। दरअसल, डिप्रेशन और हार्ट के बीच गहरा कनेक्शन है। इसलिए एंटीडिप्रेसेंट लेते समय हार्ट का चेकअप और रेगुलर फॉलो-अप बेहद महत्वपूर्ण है।”

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निष्कर्ष

डॉ. सुजीत कहते हैं कि हालांकि एंटी डिप्रेशन की दवाइयां हार्ट पर असर डालती है, लेकिन अगर सही तरीके से डॉक्टर की निगरानी में ली जाए, तो हार्ट को कम डैमेज करती है। इसलिए समय पर हार्ट चेकअप कराना बहुत जरूरी है और अगर किसी भी तरह की समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

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FAQ

  • एंटी डिप्रेशन में क्या होता है?

    इन्हें न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है, और दिमाग की कोशिकाओं को सिग्नल पास करते हैं। एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयों से न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन और नॉरएड्रेनालाईन को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। दवाइयां दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाती है।
  • एंग्जाइटी के लक्षण क्या होते हैं?

    एंग्जायटी के कारण घबराहट, बेचैनी, हार्ट बीट तेज होना, पसीना आना, सांस लेने में मुश्किल और थकान शामिल हैं। मानसिक लक्षणों में स्ट्रेस, चिड़चिड़ापन, फोकस न कर पाने में परेशानी और नींद की समस्या शामिल है।
  • कैसे पता चलेगा कि कोई डिप्रेशन में है?

    अगर कोई लगातार उदास या चिड़चिड़े मूड, थकान और नींद व भूख में बदलाव महसूस करता है, और ये लगातार दो से तीन हफ्ते से चले आ रहे हो, तो उसे किसी मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। समय पर इलाज न कराने से इसका जीवन में नेगेटिव असर पड़ता है।

 

 

 

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  • Nov 19, 2025 18:53 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Nov 19, 2025 18:53 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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