गर्म सिंकाई और ठंडी सिंकाई में क्या अंतर (difference between hot and cold therapy) है? गर्म सिंकाई और ठंडी सिंकाई दर्द दूर करने के नैचुरल तरीके हैं। इसलिए अकसर जोड़़ों और मांसपेशियों में दर्द, बुखार होने पर सिंकाई करने की सलाह दी जाती है। लेकिन अलग-अलग समस्याओं के लिए अलग-अलग तरह की सिंकाई की जाती है। आपके दर्द के लिए कौन-सी सिंकाई बेहतर है, यह आपके दर्द और चोट पर निर्भर करती है। ऐसे में कई लोग कंफ्यूज रहते हैं कि उन्हें किस समस्या के लिए कौन-सी सिंकाई करनी चाहिए? जानें गर्म सिंकाई के क्या फायदे (hot therapy benefits) हैं? ठंडी सिंकाई करने से क्या लाभ मिलते (cold therapy benefits) हैं? फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया, ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष डॉक्टर रमन कुमार से जानें इन दोनों में अंतर-
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ठंडी सिंकाई के फायदे (cold therapy benefits)
अचानक आई मोच या चोट, माइग्रेन एक्टिविटी के बाद प्रभावित स्थान पर चोट या जलन, ऑस्टियोअर्थराइटिस की स्थिति में कोल्ड पैक को लगाना फायदेमंद होता है। यह मसल्स पेन, मसल्स में खिंचाव की समस्या में भी राहत दिलाता है। चोट को सूजन में बदलने से रोकने के लिए भी ठंडी सिंकाई की जा सकती है। ठंडी सिंकाई डैमेज टिशूज के जोखिम को कम करती है।
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ठंडी सिंकाई करते हुए इन बातों का ध्यान रखें (precautions during cold therapy)
ठंडी सिंकाई करते हुए आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। ठंडी सिंकाई के लिए आइस पैक (ice pack) का इस्तेमाल किया जाता है। चोट लगने पर बर्फ से सेंकने पर तुरंत आराम मिलता है।
- आइस बैग को 15-20 मिनट से ज्यादा प्रभावित स्थान पर न लगाएं।
- 8-10 मिनट तक सिंकाई के बाद 2 मिनट का ब्रेक जरूर लें।
- दिन में 1-2 बार ही ठंडी सिंकाई करें।
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गर्म सिंकाई के फायदे (heat therapy benefits)
गर्म सिंकाई करने से स्ट्रेस, मोच की समस्या में आराम मिलता है। घुटनों, कंधों, कोहनी और उंगुलियों के जोड़ों में दर्द होने पर गर्म सिंकाई करना फायदेमंद होता है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द, गर्दन में दर्द में मामले में भी गर्म सिंकाई की जा सकती है।
गर्म सिंकाई करते हुए इन बातों का ध्यान रखें (precautions during heat therapy)
ठंडी सिंकाई के साथ ही गर्म सिंकाई करते हुए भी आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- सूजन होने पर तुंरत गर्म सिंकाई न लगाएं। पहले 1-2 दिन ठंडी सिंकाई, इसके बाद गर्म सिंकाई करें।
- 5-7 मिनट से अधिक समय पर हीट बैग को प्रभावित स्थान पर लगाकर न रखें।
- हीट बैग के पानी को दोबारा इस्तेमाल न करें।
- हीट बैग में बहुत ज्यादा गर्म पानी डालने से बचें।
- ब्लड सर्कुलेशन की समस्या होन पर गर्म सिंकाई से बचना चाहिए।
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गर्म सिंकाई और ठंडी सिंकाई में अंतर (difference between hot and cold therapy)
गर्म सिंकाई और ठंडी सिंकाई का इस्तेमाल शरीर में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। लेकिन किस दर्द के लिए कौन-सी सिंकाई फायदेमंद है, इस बारे में जानें-
अगर आपको अचानक से मोच आती है, तो इस स्थिति में ठंडी सिंकाई करना लाभकारी होता है। दरअसल, अचानक आई मोच में जलन होती है और बाद में सूजन हो जाती है। ऐसे में ठंडी सिंकाई करने से प्रभावित स्थान का ब्लड फ्लो धीमा हो जाता है, जिससे सूजन रूक जाती है। मोच, चोट लगने पर आपको 24-48 घंटे के भीतर ही कोल्ड पैक लगा लेना चाहिए। इससे जलन में राहत मिलेगी और आप सूजन से बच पाएंगे। जोड़ों में पुराना दर्द, चोट के कारण होने वाला दर्द, एड़ियों में दर्द, सर्जरी या ऑपरेशन के बाद गर्म सिंकाई करना फायदेमंद माना जाता है। टखने में दर्द होने पर गर्म पानी से सिंकाई की जा सकती है।
अगर आपको किसी तरह का दर्द है, तो आप डॉक्टर की सलाह पर गर्म या ठंडी सिंकाई कर सकते हैं।
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