गर्भावस्था के अंतिम चरण में महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, जिनमें पेट में दर्द एक सामान्य लेकिन कन्फ्यूज करने वाला अनुभव हो सकता है। कई बार महिलाओं को गैस के कारण होने वाला दर्द और लेबर कॉन्ट्रैक्शन (प्रसव पीड़ा) एक जैसा महसूस होता है। लेकिन यह जरूरी है कि दोनों के बीच का फर्क समझा जाए, ताकि सही समय पर उचित निर्णय लिया जा सके। लेबर कॉन्ट्रैक्शन को समझने के लिए वह डॉक्टर से इस बारें में पूछ सकती है। लेकिन, यदि आपने प्रेग्नेंसी के अंतिम दौर में लेबर कॉन्ट्रैक्शन और गैस के बीच अंतर नहीं कर पाती हैं तो इन्हें समझना बेहद आवश्यक है। इस लेख में साईं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉ. विभा बंसल से जानते हैं कि लेबर कॉन्ट्रैक्शन और गैस की समस्या के बीच क्या अंतर होता है?
लेबर कॉन्ट्रैक्शन और गैस का दर्द क्या होता है? - What is Gas and Labor Contractions in Hindi
लेबर कॉन्ट्रैक्शन वह मांसपेशीय संकुचन होते हैं जो गर्भाशय की दीवारों में होते हैं और यह संकेत देते हैं कि प्रसव (डिलीवरी) शुरू हो चुका है या शुरू होने वाला है। यह दर्द समय के साथ बढ़ता जाता है और एक विशेष पैटर्न में आता है। वहीं, गैस का दर्द पेट में गैस जमा होने के कारण होता है, जो पाचन तंत्र में असंतुलन या हार्मोनल बदलावों की वजह से गर्भावस्था में आम है। यह दर्द कभी भी हो सकता है और आमतौर पर खाने के बाद या अधिक समय तक बैठने से बढ़ सकता है।
लेबर कॉन्ट्रैक्शन और गैस के दर्द के बीच क्या अंतर हो सकते हैं? -Difference Between Gas and Labor Contractions In Hindi
- प्रेग्नेंसी में होने वाले गैस के दर्द की जगह और लेबर कॉन्ट्रैक्शन के दर्द की जगह में अंतर हो सकता है। गैस का दर्द पेट के ऊपरी हिस्से में या अलग-अलग स्थानों पर हो सकता है। जबकि, लेबर कॉन्ट्रैक्शन का दर्द पेट के निचले हिस्से और पीठ में महसूस हो सकता है।
- इसमें गैस का दर्द चुभन, भारीपन, गैस पास होने पर आराम देता है। जबकि, लेबर कॉन्ट्रैक्शन का दर्द मरोड़ जैसा, पेट की गहराई से आने वाला होता है।
- प्रेग्नेंसी में गैस होने पर दर्द अनियमित और अस्थायी हो सकता है। जबकि, लेबर कॉन्ट्रैक्शन का दर्द स्थायी होता है और यह समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ सकता है।
- इस स्थिति में गैस के दर्द की तीव्रता हल्के से मध्यम हो सकती है। वहीं, लेबर कॉन्ट्रैक्शन के दर्द मध्यम से तेज हो सकता है।
- पेट में गैस होने पर महिलाओं को पोजीशन बदलने से राहत मिलती है। जबकि, लेबर कॉन्टैक्शन में पोजीशन बदलने से राहत नहीं मिलती है।
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गैस और लेबर पेन दोनों ही गर्भावस्था में आम अनुभव हैं, लेकिन दोनों में अंतर समझना आवश्यक है। ताकि सही समय पर सही निर्णय लिया जा सके। यदि कभी कोई संदेह हो, तो ऐसे में आपको बिना किसी संकोच के डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। प्रेग्नेसी में हर महिला का अनुभव अलग होता है, इसलिए शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न करें।
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