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फिशर और बवासीर (पाइल्स) में क्या है अंतर? जानें डॉक्टर से

Bawaseer Aur Fissure Me Antar: बवासीर और फिशर की समस्या के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं, जानें इन दोनों में अंतर।
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फिशर और बवासीर (पाइल्स) में क्या है अंतर? जानें डॉक्टर से


Bawaseer Aur Fissure Me Antar: बवासीर और फिशर दोनों ही बीमारियां लाइफस्टाइल और खानपान में गड़बड़ी की वजह से ज्यादातर लोगों में देखने को मिलती हैं। बवासीर की समस्या को मेडिकल भाषा में हेमरॉयड्स कहते हैं। बवासीर की समस्या मुख्य रूप से दो तरह की होती है- खूनी बवासीर और बादी बवासीर। इसकी वजह से मरीजों के गुदा मार्ग में सूजन और ब्लीडिंग की समस्या होती है और मल त्याग करने में परेशानियां होती हैं। वहीं फिशर की समस्या में में भी एनल कैनाल के आसपास दरारें और सूजन की समस्या होती है। अक्सर लोग बवासीर और फिशर को एक ही समस्या मान लेते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है, दोनों समस्याओं में दिखने वाले समान लक्षण। लेकिन बवासीर और फिशर दोनों ही समस्याएं एक-दूसरे से अलग होती हैं, आइए विस्तार से जानते हैं फिशर और बवासीर में अंतर।

बवासीर क्या है? What is Piles in Hindi

बवासीर बहुत पीड़ादायक और गंभीर समस्या है। इस समस्या में मलाशय के आसपास की नसों में सूजन हो जाती है और इसकी वजह से गुदा के आसपास गंभीर क्षति होती है और सूजन की समस्या देखने को मिलती है। कब्ज और पाचन तंत्र से जुड़ी क्रोनिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों में बवासीर का खतरा ज्यादा रहता है। बवासीर की समस्या में मरीज को गुदा से ब्लीडिंग और मल त्याग करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

difference between fissure and piles

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फिशर क्या है?- What is Fissure in Hindi

फिशर की समस्या गुदा की नली में कट लगने या दरार होने को कहते हैं। फिशर को एनल फिशर भी कहा जाता है। इस समस्या में भी मरीजों को मल त्याग करते समय दिक्कतें होती हैं। एनल फिशर की समस्या कई तरह की होती है- क्रॉनिक एनल फिशर, गुदा नासूर (Anal Fistula), एनल स्टेनासिस। इन सभी समस्याओं में गुदा मार्ग की नली में सूजन, संकुचन और दरारें होती हैं।

फिशर और बवासीर में अंतर- What is Difference Between Fissure and Piles

फिशर और बवासीर की समस्या में दिखने वाले लगभग सभी लक्षण एक जैसे ही होते हैं। बवासीर और फिशर की समस्या में अनतर की जांच करने के लिए कोलोनोस्कोपी या सिग्मॉयडोस्कोपी टेस्ट किया जाता है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के आयुर्वेदिक डॉ एस के पांडेय के मुताबिक बवासीर और पाइल्स में मुख्य अंतर इस तरह से हैं-

  • बवासीर की समस्या में मल त्याग करते समय मलाशय में गंभीर दर्द होता है।
  • बवासीर के मरीजों को मल त्याग करते समय ब्लीडिंग होती है और वहीं फिशर में मल त्याग करने के कुछ समय बाद ब्लीडिंग होती है।
  • बवासीर के मरीजों में गुदा के पास दर्दनाक सूजन और मस्से हो सकते हैं, वहीं फिशर में गुदा की नली में दरारें होती हैं।

फिशर की समस्या बवासीर की तुलना में जल्दी ठीक नहीं होती है। यह समस्या दोबारा भी हो सकती है और गुदा के आसपास की मांसपेशियों में फैल सकती है। इसके लक्षण दिखने पर डॉक्टर से जांच कराने के बाद सही इलाज जरूर लेना चाहिए। 

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फिशर और पाइल्स से बचाव- Fissure and Piles Prevention in Hindi

बवासीर और फिशर की समस्या में खानपान और जीवनशैली का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बहुत ज्यादा तला-भुना और मसालेदार भोजन करने से आपको बवासीर और फिशर दोनों का खतरा रहता है। इसके अलावा एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठे रहने से भी आपको फिशर या पाइल्स हो सकता है। इन समस्याओं से बचने के लिए हाई फाइबर फूड्स का सेवन करें, पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पिएं और मसालेदार भोजन करने से बचें। नियमित व्यायाम और हेल्दी डाइट का पालन करने से आपको इन समस्याओं का खतरा कम रहता है।

(Image Courtesy: Freepik.com)

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