पूरी दुनिया में टीबी की बीमारी (Tuberculosis in Hindi) से होने वाली मौतें दूसरी सभी संक्रामक बीमारियों की तुलना में कहीं ज्यादा हैं। ट्यूबरक्लोसिस या टीबी की बीमारी को क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में हर साल लगभग 28 से 30 लाख लोग टीबी की बीमारी के चपेट में आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2030 तक दुनिया को टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य दिया है। ऐसे में जानकारी की कमी या इलाज की अनउपलब्धता इस राह में बड़ी बाधा बन सकती है। पहले लोगों में यह धारणा थी कि टीबी की बीमारी बुजुर्ग लोगों में होती है। लेकिन कम उम्र में भी इस बीमारी की चपेट में लाखों मरीज आ रहे हैं। आमतौर पर टीबी की बीमारी फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह बीमारी शरीर के दूसरे अंगों में भी हो सकती है। लोगों में बीमारियों के प्रति समझ और जागरूकता बढ़ाने के लिए ओनलीमायहेल्थ एक स्पेशल सीरीज लेकर आया है जिसका नाम है 'बीमारी को समझें'। आज इस सीरीज में हम आपको बता रहे हैं, क्या होती है टीबी की बीमारी और शरीर में टीबी की शुरुआत कैसे होती है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
क्या है टीबी की बीमारी?- What is Tuberculosis Disease in Hindi
टीबी या ट्यूबरक्युलोसिस एक संक्रामक बीमारी है, जो शरीर में बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से फैलती है। ज्यादातर मामलों में टीबी फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह समस्या फेफड़ों के अलावा शरीर के दूसरे अंग जैसे आंत, दिमाग, हड्डी और किडनी आदि में भी हो सकती है। बाबू ईश्वर शरण सिंह हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर और यूपी टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के सदस्य डॉ एस के सिंह ने बताया कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से शरीर में टीबी की बीमारी की शुरुआत होती है। संक्रमण शुरू होने पर शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, मरीज की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं। जिन लोगों के शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें टीबी का खतरा ज्यादा रहता है।
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शरीर में टीबी की कैसे होती है शुरुआत?- How Tuberculosis is Causes in Hindi
टीबी या क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से फैलता है। इससे संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। खांसने, छींकने और बात करते समय निकलने वाले 300 से अधिक ड्रापलेट्स सांस के जरिए इंसान में संक्रमण को फैलाने का काम करते हैं। जब आप टीबी से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में लंबे समय तक रहते हैं, तो संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ जाता है। आमतौर पर जिन लोगों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक होती है, उनमें फेफड़ों तक संक्रमण फैलने से पहले जीवाणु निष्क्रिय हो सकते हैं। लेकिन ऐसे लोग जिनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उनमें बैक्टीरिया या जीवाणु आसानी से फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। टीबी की बीमारी दो तरह की होती है- प्राइमरी टीबी और सेकेंडरी टीबी। प्राइमरी स्टेज में मरीज के शरीर में संक्रमण 2 महीने से लेकर 6 महीने तक रहता है। सेकेंडरी टीबी में मरीज के शरीर में पहले से मौजूद कुछ जीवाणु दोबारा सक्रिय हो जाते हैं। यह समस्या शिशुओं से लेकर बुजुर्गों में हो सकती हैं।
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किन लोगों को होता है टीबी का ज्यादा खतरा? - Who is at risk of TB?
टीबी की बीमारी किसी को भी हो सकती है और किसी भी उम्र में हो सकती है। कुछ ऐसे जोखिम कारक होते हैं, जिसकी वजह से किसी व्यक्ति के ट्यूबरक्लोसिस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा हो जाता है-
- टीबी से पीड़ित मरीज के संपर्क में रहने से।
- एचआईवी और एड्स के मरीजों में।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर।
- किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी में।
- स्टेरॉयड दवाओं का अधिक सेवनस्टेरॉयड
- ऐसे हॉस्पिटल जहां टीबी के मरीज ज्यादा हैं वहां काम करने से।
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टीबी से संक्रमित होने पर दिखने वाले लक्षण- TB Symptoms in Hindi
- तीन हफ्ते से ज्यादा समय तक खांसी।
- गंभीर बुखार (ज्यादातर मामलों में शाम को होने वाला बुखार)।
- सीने या छाती में तेज दर्द।
- तेजी से वजन कम होना या अचानक वजन घटना।
- भूख में कमी आना या खाने की इच्छा नहीं होना।
- खांसते समय बलगम के साथ खून आना।
- फेफड़ों में इंफेक्शन की समस्या।
- सांस लेने में तकलीफ।
कैसे की जाती है टीबी की जांच?- Tuberculosis (TB) Diagnosis in Hindi
टीबी के लक्षण दिखने पर मरीज को सबसे पहले डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। टीबी की जांच इन तरीकों से की जाती है-
- सीने या छाती की एक्स-रे जांच।
- बलगम या थूक की जांच।
- ब्लड टेस्ट या ईएसआर टेस्ट।
- फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी (एफएनएसी)।
- पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर)
- ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट।
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टीबी का इलाज कैसे होता है?- Tuberculosis (TB) Treatment in Hindi
टीबी की बीमारी में मरीज की जांच के बाद डॉक्टर दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं। मरीज की गंभीरता के आधार पर इसका इलाज हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकता है। शुरुआत में डॉक्टर मरीजों को एंटीट्यूबरकुलर दवाएं देते हैं। ये दवाएं मरीज में टीबी का पता चलने के बाद दी जाती हैं। टीबी के इलाज में मरीज को 6 महीने तक लगातार दवाओं का नियमित सेवन करना पड़ता है। गंभीर मामलों में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर एडवांस ट्रीटमेंट का सहारा ले सकते हैं।
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