Hypothyroidism vs Hyperthyroidism Differences: थायराइड एक गंभीर और जटिल बीमारी है। यह बीमारी शरीर में थायराइड ग्लैंड के फंक्शन से जुड़ी दिक्कतों के कारण होती है। थायराइड ग्लैंड शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक रखने से लेकर कई अंगों के कामकाज को ठीक रखने में मदद करता है। शरीर में थायराइड ग्लैंड द्वारा थायराइड हॉर्मोन का ठीक उत्पादन न कर पाने की स्थिति में यह बीमारी है। थायराइड की बीमारी मुख्य रूप से दो तरह की होती है- हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म। हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म दोनों समस्याओं में शरीर में थायराइड हॉर्मोन का उत्पादन प्रभावित होता है। आइए इस लेख में विस्तार से समझते हैं हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म में अंतर और इससे बचाव।
हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म में अंतर- Difference Between Hypothyroidism and Hyperthyroidism in Hindi
हाइपोथायराइडिज्म- हाइपोथायराइडिज्म एक स्थिति है जिसमें थायराइड ग्लैंड शरीर में पर्याप्त थायरॉक्सीन (टी3) और थायरॉक्सीन (टी4) हॉर्मोन नहीं उत्पन्न करता है। इस समस्या का कारण अक्सरथायराइड ग्लैंड के फंक्शन में किसी प्रकार की कमी होती है।
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हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण
- थकान
- भारीपन
- सांस की तकलीफ
- मांसपेशियों में दर्द
- वजन बढ़ना
- चिंता और उदासी
- त्वचा में सूखापन
हाइपोथायराइडिज्म से बचाव
- नियमित रूप सेथायराइड टेस्ट करवाएं।
- डॉक्टर के सुझाव के आधार पर थायराइड दवाओं का सेवन करें
- हेल्दी डाइट का सेवन करें और व्यायाम करें।
- नियमित रूप से डॉक्टर के साथ फॉलोअप करें।
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हाइपरथायराइडिज्म- हाइपरथायराइडिज्म एक स्थिति है जिसमें थायराइड ग्लैंड से थायरॉक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है। इसकी वजह से मरीज के शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है और कई गंभीर संस्याएं होती हैं।
हाइपरथायराइडिज्म के लक्षण
- थकान
- हाथों और पैरों में गर्मी
- दिल की धड़कन बढ़ना
- वजन कम होना
- बार-बार पेशाब आना
- पाचन की समस्या
- हाथों और पैरों में दर्द
- बेचैनी और घबराहट
हाइपरथायराइडिज्म से बचाव
- थायराइड के उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह लें
- स्वस्थ आहार खाएं और नियमित रूप से व्यायाम करें
- नियमित रूप से डॉक्टर के साथ फॉलोअप करें
हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म दोनों ही थायराइड ग्लैंड के असंतुलित कार्यक्षमता के कारण होते हैं। इन दोनों ही स्थितियों में दिखने वाले लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। सही समय पर इस बीमारी का पता लगने से मरीज का इलाज आसानी से हो जाता है। इन दोनों ही स्थितियों के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उचित इलाज कराएं।
नोट- यह लेख बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ समीर से मिले इनपुट पर आधारित है।
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