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शिशुओं को हाइपोथायराइडिज्म की समस्या क्यों होती है? जानें इसके लक्षण और कारण

शिशुओं को जन्म से ही थायराइड की समस्या हो सकती है। आगे जानते हैं शिशुओं में हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण और कारण क्या हो सकते हैं। 
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शिशुओं को हाइपोथायराइडिज्म की समस्या क्यों होती है? जानें इसके लक्षण और कारण


बच्चों को कुछ रोग जन्म से ही होते हैं। इनमें थायराइड को भी शामिल किया जाता है। कुछ बच्चों को जन्म से ही हाइपोथायरायडिज्म की समस्या होती है। यह रोग तब होता है, जब थायराइड ग्रंथि बच्चे की ग्रोथ और मेटाबॉलिज्म के लिए पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन नहीं बना पाती है। हालांकि यह एक दुर्लभ समस्या है, जो कुछ ही बच्चों में देखने को मिलती है। इस समस्या से बचने के लिए आपको हाइपोथायरायडिज्म के बारे में समझना होगा। इस लेख में सुमित्रा अस्पताल के बच्चों के डॉक्टर वीके गुप्ता से जानते हैं कि बच्चों को हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण और कारण क्या हो सकते हैं। 

जन्म से होने वाले हाइपोथायरायडिज्म के कारण - Causes Of Congenital Hypothyroidism In Hindi 

थायराइड डिसजेनेसिस (Thyroid Dysgenesis):

थायराइड डिसजेनेसिस, जन्म से होने वाले हाइपोथायरायडिज्म (Congenital Hypothyroidism) का सबसे आम कारण होता है, यह तब होता है जब भ्रूण के विकास के दौरान थायरॉयड ग्रंथि ठीक से विकसित नहीं हो पाती है। यह एजेनेसिस (थायराइड ग्रंथि की पूर्ण अनुपस्थिति), एक्टोपिया (थायराइड ग्रंथि का असामान्य स्थान), या हाइपोप्लासिया (थायराइड ग्रंथि का अविकसित होना) के रूप में प्रकट हो सकता है। आनुवंशिक कारक और गर्भावस्था के दौरान मां के द्वारा आयोडीन की कमी थायरॉइड डिसजेनेसिस का कारण हो सकता है। 

congenital hypothyroidism in hindi

थायराइड हार्मोन अवशोषण न हो पाना:

जन्म से होने वाला हाइपोथायरायडिज्म, थायराइड ग्रंथि के भीतर थायराइड हार्मोन के अवशोषण में समस्या के कारण भी हो सकता है। थायराइड हार्मोन बनने में शामिल प्रमुख प्रोटीन, जैसे कि थायरोग्लोबुलिन या थायराइड पेरोक्सीडेज, आदि के प्रभावित होने से यह समस्या हो सकती है। 

मां को थायराइड संबंधी डिसऑर्डर:

यदि गर्भधारण से पहले महिला को थायराइड संबंधी कोई विकार, विशेष रूप से हाशिमोटो थायराइडिटिस जैसी ऑटोइम्यून स्थितियां है तो यह भ्रूण के थायराइड फंक्शन को प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही, यह जन्म से होने वाले हाइपोथायरायडिज्म के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। 

आयोडीन की कमी:

थायराइड हार्मोन के लिए पर्याप्त आयोडीन लेना आवश्यक होता है। गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं को आयोडीन की कमी होती है, उनके भ्रूण के थायराइड फंक्शन प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही, यह जन्म से होने वाले हाइपोथायरायडिज्म की वजह बन सकती हैं। 

कुछ दवाएं का सेवन:

कुछ दवाएं और पर्यावरणीय कारक थायराइड फंक्शन को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में बच्चे को जन्म से होने से होने वाले हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। इस तरह कई बार गले के लिए रेडिएशन थेरेपी से भी थायराइड ग्रंथि प्रभावित हो सकती है। 

जन्म से होने वाले हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण - Symptoms Of Congenital Hypothyroidism In Hindi

  • पीलिया: जन्म से होने वाले हाइपोथायरायडिज्म (Congenital Hypothyroidism) में शिशुओं को पीलिया हो सकता है। इस स्थिति मे बच्चे के रक्त में बिलीरुबिन का लेवल बढ़ने से त्वचा और आंखों का पीलापन हो सकता है। यह पीलिया सामान्य शिशुओं को होने वाले पीलिया की तुलना में अधिक लंबा या गंभीर हो सकता है। 
  • सुस्त रहना: जन्म से होने वाले हाइपोथायरायडिज्म में शिशु स्तनपान सही तरह से नहीं करते हैं। ऐसे में शिशु ज्यादा नींद या सुस्ती आती है। ये लक्षण थायराइड हार्मोन की कमी के कारण एनर्जी मेटाबॉलिज्म में कमी और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में आई परेशानी के कारण हो सकते हैं। 
  • बच्चे के ग्रोथ देरी से होना: थायराइड हार्मोन ब्रेन के डेवलपमेंट और न्यूरोनल मैच्योरिटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जन्म से होने वाले हाइपोथायरायडिज्म में शिशुओं की शारीरिक ग्रोथ में देरी हो सकती है। 
  • बच्चे का रोना:  हाइपोथायरायडिज्म बच्चे के वोकल कोर्ड और चेहरे की बनावट को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में शिशु की आवाज कर्कश या भारी हो सकती है। इसके अलावा, कुछ बच्चों की जीभ मोटी हो सकती है। 

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शिशुओं को भी हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है। इसकी वजह से बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। ऐसे में बच्चे के शरीर में थायराइड हार्मोन का स्तर कम होता है। इसे जांच कर आप इलाज शुरु कर सकते हैं। 

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