टाइफाइड एक ऐसी बीमारी है, जो मरीज को लंबे समय तक थका देती है और शरीर की सारी एनर्जी जैसे खत्म हो जाती है। इस दौरान शरीर कमजोर हो जाता है, पाचन शक्ति धीमी पड़ जाती है और खाने-पीने की चीजों को लेकर बहुत सतर्क रहना पड़ता है। अक्सर लोग सोचते हैं कि टाइफाइड में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, क्योंकि छोटी-सी गलती भी रिकवरी को लंबा कर सकती है। इन्हीं सवालों के बीच एक आम कन्फ्यूजन यह भी है कि क्या टाइफाइड में दही खाना सही है या नुकसानदायक? हम सभी जानते हैं कि दही को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स यानी अच्छे बैक्टीरिया आंतों की सेहत सुधारते हैं और पाचन को मजबूत बनाते हैं।
जब टाइफाइड जैसी गंभीर बीमारी होती है, तो पाचन पहले से ही कमजोर हो जाता है। ऐसे में क्या दही मरीज की तकलीफ बढ़ा सकता है या फिर यह उनके लिए रामबाण साबित हो सकता है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने, फोर्टिस हॉस्पिटल, नागरभावी, बेंगलुरु की न्यूट्रिशनिस्ट भारती कुमार (Ms Bharathi Kumar, Nutritionist, Fortis Hospital, Nagarbhavi, Bengaluru) से बात की-
क्या टाइफाइड में दही खाना ठीक है? - Curd During Typhoid Fever Good or Bad
न्यूट्रिशनिस्ट भारती कुमार बताती हैं कि दही या योगर्ट प्रोबायोटिक्स का अच्छा सोर्स है। इसमें Lactobacillus bulgaricus जैसे लाभकारी बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया बैलेंस बनाए रखने में मदद करते हैं। टाइफाइड जैसी बीमारी से उबरते समय पाचन तंत्र बेहद कमजोर हो जाता है, जिससे मरीज को भूख कम लगना, गैस, अपच या कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में दही पाचन को दुरुस्त करने और आंतों की सेहत बेहतर बनाने में सहायक साबित हो सकता है।
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टाइफाइड का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक्स से किया जाता है। ये दवाइयां संक्रमण यानी इंफेक्शन को खत्म तो कर देती हैं, लेकिन इसके साथ ही आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को भी प्रभावित कर देती हैं। नतीजा होता है एंटीबायोटिक-एसोसिएटेड डायरिया यानी दवाइयों के कारण दस्त की समस्या। न्यूट्रिशनिस्ट भारती कुमार बताती हैं कि ऐसे समय में प्रोबायोटिक्स से भरपूर दही का सेवन आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को फिर से सक्रिय करता है। इससे न केवल डायरिया से राहत मिलती है, बल्कि रिकवरी भी तेजी से होती है।
पाचन तंत्र को देता है आराम
टाइफाइड के दौरान पाचन क्षमता कमजोर हो जाती है। इस स्थिति में भारी और तैलीय भोजन पचाना मुश्किल होता है। दही हल्का, आसानी से पचने वाला वाला आहार है, जो पेट की जलन और आंतों की सूजन को शांत करता है। यही वजह है कि इसे टाइफाइड रिकवरी डाइट में शामिल करना फायदेमंद माना जाता है।
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टाइफाइड में कैसा दही खाना चाहिए?
न्यूट्रिशनिस्ट भारती कुमार के अनुसार टाइफाइड के मरीजों को केवल सादा (Plain) दही ही खाना चाहिए। इसमें न तो शक्कर, न फ्लेवर और न ही मसाले मिलाए जाने चाहिए। बाजार में मिलने वाले फ्लेवर्ड योगर्ट्स या पैकेज्ड प्रोडक्ट्स मरीज की हालत को बिगाड़ सकते हैं। घर पर बना ताजा दही ही सुरक्षित और सेहतमंद विकल्प है।
कितनी मात्रा सही रहेगी?
दही का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में करना चाहिए। टाइफाइड के मरीजों के लिए एक या दो कटोरी सादा दही दिन में पर्याप्त होती है। ज्यादा दही खाने से ठंडापन और पाचन संबंधी गड़बड़ियां हो सकती हैं। हर मरीज की स्थिति अलग होती है, इसलिए मात्रा डॉक्टर या डाइटिशियन की सलाह के अनुसार ही तय करनी चाहिए।
निष्कर्ष
टाइफाइड से उबरते समय दही खाना फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं, एंटीबायोटिक्स से बिगड़े आंतों के बैक्टीरिया को संतुलित करते हैं और शरीर की रिकवरी तेज करते हैं। लेकिन यह तभी लाभकारी है जब इसे सादा, घर का बना और सीमित मात्रा में खाया जाए।
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FAQ
टाइफाइड में किस तरह का दही खाना चाहिए?
केवल सादा, बिना चीनी, नमक या फ्लेवर वाला दही ही खाना चाहिए। बाजार में मिलने वाले पैकेज्ड या फ्लेवर्ड योगर्ट टाइफाइड मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।क्या दही खाने से एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट कम होते हैं?
दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स एंटीबायोटिक दवाइयों से बिगड़े हुए आंतों के बैक्टीरिया बैलेंस को सुधारते हैं और एंटीबायोटिक-एसोसिएटेड डायरिया से राहत दिलाते हैं।टाइफाइड में दही कब नहीं खाना चाहिए?
अगर मरीज को ठंड लग रही हो, ज्यादा दस्त हो रहे हों या डॉक्टर ने डेयरी प्रोडक्ट्स से परहेज करने की सलाह दी हो, तो दही नहीं खाना चाहिए। हर मरीज की स्थिति अलग होती है, इसलिए सेवन से पहले डॉक्टर की राय जरूरी है।
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Sep 27, 2025 08:02 IST
Published By : Akanksha Tiwari