भारत के जाने माने ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास की घोषणा (Ravichandran Ashwin retires from international cricket) के बाद आर. अश्विन ने कहा कि वह किसी न किसी तौर पर खेलों से जुड़े रहेंगे और भारतीय खेलों में अपना योगदान देते रहेंगे। आर. अश्विन के संन्यास के बाद क्रिकेट का हर फैन और उनके प्रशंसक उन्हें मैदान पर जरूर मिस करने वाले हैं। आर. अश्विन मैदान पर जितने बड़े खिलाड़ी, असल जिंदगी में भी उतने ही बड़े खिलाड़ी रह चुके हैं। बचपन में इस भारतीय क्रिकेटर ने स्वास्थ्य से जुड़ी एक गंभीर समस्या का सामना किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अश्विन पांच साल की उम्र में आर. अश्विन को टीबी और घरघराहट (Cricketer ravichandran ashwin wheezing in childhood) जैसी समस्याओं से पीड़ित थे। घरघराहट की बीमारी के कारण उन्हें खेलने और दौड़ने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। आर. अश्विन जैसे खिलाड़ी को इस तरह की बीमारी से जूझने के बाद यह जानना जरूरी है कि क्या बच्चों को इस तरह की घरघराहट की समस्या होना आम बात है? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल के शिशु रोग विभाग के प्रमुख सलाहकार डॉ. सौरभ खन्ना (Dr Saurabh Khanna, Lead Consultant, Paediatrics, CK Birla Hospital, Gurgaon) से बात की।
Ashwin, the Match winner 🙌
— BCCI (@BCCI) December 18, 2024
Ashwin, the Centurion 💯
Ashwin, the Magician with the ball 🪄
Ashwin, the Team man 🤝
International cricket will miss them all ❤️#TeamIndia | #ThankYouAshwin | @ashwinravi99 pic.twitter.com/ThvJ7pwRNT
बच्चों को क्यों होती है घरघराहट की समस्या?
डॉ. सौरभ खन्ना के अनुसार, छोटे बच्चों में घरघराहट की समस्या बहुत ही आम बात है। कई बार घरघराहट के साथ सांस लेते समय बच्चों में सीटी जैसी आवाज सुनाई देती है। छोटे बच्चों को इस तरह की समस्या तब होती है, जब उनका श्वसन तंत्र कमजोर होता है। घरघराहट और कमजोर श्वसन तंत्र की समस्या से जूझ रहे बच्चों को टीवी और अस्थमा का खतरा ज्यादा रहता है।
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बच्चों में घरघराहट के कारण क्या हैं? - causes of wheezing in children
बच्चों में घरघराहट कई कारणों से हो सकती है। आइए जानते हैं इसके बारे में...
- वायरल संक्रमण जैसे सर्दी या ब्रोंकाइटिस बच्चों की श्वास नली को प्रभावित करती है, जिसकी वजह से घरघराहट की समस्या देखी जाती है।
- हवा में मौजूद धूल, धुआं, परागकण या पालतू जानवरों के बालों से एलर्जी के कारण भी बच्चों में घरघराहट की समस्या हो सकती है।
- समय से पहले जन्मे बच्चों को भी इस तरह की समस्या देखी जाती है। दरअसल, प्री-मेच्योर बच्चों के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती है, जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में भी परेशानी होती है।
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बच्चों में घरघराहट के लक्षण क्या हैं?- What are the symptoms of wheezing in children?
शिशु रोग विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों में घरघराहट के लक्षण सिर्फ एक नहीं, बल्कि इसके कई लक्षण हो सकते हैं :
- सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज।
- सांस लेने में कठिनाई और बेचैनी।
- खांसी, जो विशेष रूप से रात में बढ़ सकती है।
- छाती का कड़ा होना।
- छाती में हल्का या तेज दर्द महसूस होना।
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बच्चों को घरघराहट से बचाने के उपाय- Tips to prevent wheezing in children
बच्चों को घरघराहट और अन्य प्रकार की समस्याएं न हो, इसके लिए पेरेंट्स नीचे बताए गए उपायों को अपना सकते है:
1. घर की सफाई
घर को नियमित तौर पर साफ करें। जिस कमरे में बच्चा रहता है, वहां पर धूल, मिट्टी, पालतू जानवरों के बाल और पराली के कणों को आने से रोकें।
2. धूम्रपान करने से बचें
कई बार माता-पिता द्वारा किए जाने वाले धूम्रपान के कारण भी बच्चों को घरघराहट और सांस से जुड़ी बीमारियां होती हैं। इसलिए बच्चों के आसपास धूम्रपान करने से बचें।
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3. सफाई की आदत डालें
छोटे बच्चों को बच्चे को साफ-सफाई की आदतें सिखाएं। खाना खाने से पहले और शौच के बाद बच्चों के हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धुलवाए, ताकि कीटाणुओं को मारने में मदद मिले।
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4. पोषण युक्त खाना खिलाएं
बीमारियों से बचाने के लिए बच्चों के खाने में हरी सब्जियां, फल और विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें। पोषण युक्त खाना खिलाने से बच्चों की इम्यूनिटी स्ट्रांग बनती है, जिससे बीमारियों का खतरा कम करने में मदद मिलती है।
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निष्कर्ष
बच्चों में घरघराहट की समस्या आम है, लेकिन इसे लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आमतौर पर कुछ घरेलू नुस्खों से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसे पूरी तरह से ठीक करने के लिए डॉक्टरी इलाज की जरूरत होती है।