COVID-19 अत्यधिक संक्रामक महामारी बन चुकी है। कई विशेषज्ञों के अनुसार एक सही परीक्षण ही इससे बचने का एकमात्र तरीका है। यही पहचानने में मदद कर सकता है कि किसके पास वायरस है और किस के पास नहीं। ताकि ऐसे व्यक्तियों को बाकी लोगों से अलग करके कोरोना के बढ़ते चेन को तोड़ा जा सके। पर जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस चेन में सबसे खतरनाक वो व्यक्ति हैं, जिनमें कोरोना के लक्षण हैं, पर उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव (COVID-19 false negative test) आया है। दरअसल जिस तरीके से कोरोनावायरस से तेजी से फैल रहा है, ऐसे में विशेषज्ञों ने टेस्टिंग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। वहीं इस बात की भी संभावनाएं हैं कि जिन, लोगों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है और उनमें लक्षण थे या अब भी हैं, तो वो अनजाने में ही संक्रामण फैला रहे हैं।
कोरोना नेगेटिव पैदा कर रहे हैं खतरनाक स्थिति
हालांकि भारत और अमेरिका जैसे देशों ने केवल उन लोगों का परीक्षण किया है, जो शुरू में उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं और उनमें लक्षण दिखे थे। लेकिन कई डॉक्टरों का कहना है कि ये परीक्षण वास्तव में किसी भी मदद नहीं सकता है क्योंकि जो लोग COVID-19 के लिए नेगेटिव होते हैं, उन्हें वास्तव में संक्रमण हो सकता है। यह एक खतरनाक स्थिति है क्योंकि बीमारी के प्रसार को रोकने का एकमात्र तरीका संक्रमित लोगों की पहचान करना और उन्हें सबसे अलग करना। दरअसल टेस्टिंग के बाद कोरोना नेगेटिव व्यक्ति, अधिक संक्रमण का कारण बन सकता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति क्वारंटाइन के नियमों का सही से पालन नहीं करता है।
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चीन में हुए एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 30 प्रतिशत कोरोनोवायरस परीक्षण गलत हो सकते हैं। यह निष्कर्ष अमेरिका में कुछ विशेषज्ञों द्वारा भी मान्य है। शोधकर्ताओं की मानें, तो एक नकारात्मक परीक्षण का मतलब अक्सर यह नहीं होता है कि व्यक्ति को बीमारी नहीं है और रोगी संक्रमण नहीं फैला सकता है।
स्वाब लेने में भी हो रही हैं गलतियां
गलत रिपोर्ट के पीछे एक कारण नाक के स्वाब के नमूने एकत्र करने की विधि हो सकती है। बलगम इकट्ठा करने के लिए यह एक मुश्किल प्रक्रिया हो सकती है। यह एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है और मरीजों को प्रदर्शन करते समय दर्द का कारण बनती है। इस वजह से, नमूना लेने वाला व्यक्ति उचित नमूना लेने के लिए पर्याप्त गहराई तक नहीं जा पाता है। फिर इन नमूनों को रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। यह कोशिकाओं की आनुवंशिक संरचना में वायरस का पता लगाता है। इस तरह के परीक्षण यह नहीं कह सकते हैं कि क्या नमूना वायरस से मुक्त है।
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इस तरह अगर आप या आपके आस पास का कोई भी व्यक्ति कोरोना के किसी भी लक्षण को महसूस कर रहा है पर रिपोर्ट नेगेटिव आई हैं, तब भी ऐसे लोगों को क्वारंटाइन के नियमों का पालन करना चाहिए। ताकि ऐसे लोग एक नॉर्मल हेल्दी लोगों के लिए संक्रमण का कारण न बनें। वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना टेस्ट्स की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी, अर्थव्यवस्था का फिर से खुलना और कोरोना के खतरे की ओर ध्यान नहीं देते हुए लोगों के मन में इस संक्रमण संबंधी व्यवहार को लेकर आत्मसंतुष्टि की भावना आ जाने से लोग इसे हल्के में रहे हैं और इसी कारण कोरोनावायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
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