
Common Myths And Misconceptions About Organ Donation In Hindi: वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन-डे हर साल 13 अगस्त को मनाया जाता है। ऑर्गन डोनेट करना बहुत ही अच्छा कार्य माना जाता है। लेकिन, आज भी ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है, तो ऑर्गन डोनेट नहीं करना चाहते। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस संबंध में कई तरह के मिथक फैले हुए हैं, जो लोगों को ऑर्गन डोनेट करने से रोकते हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि इस हम ऑर्गन डोनेशन को जागरूकता फैलाएं और सबको यह जानकारी दें कि यह कितना जरूरी है। ऑर्गन डोनेट करके हम लोगों की जान बचा सकते हैं, किसी को सामान्य और स्वस्थ जीवन का दान दे सकते हैं। यह जागरूकता तभी फैलेगी, जब इससे संबंधित मिथक टूटेंगे और उससे जुड़ी सच्चाई के बारे में पता चलेगा। यहां हम आपको कुछ सामान्य मिथक और गलत अवधारणाओं के बारे में बताएंगे, जिनका हम अक्सर सामना करते हैं। जबकि वैज्ञानिक तथ्यों की मानें, तो उनका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है। इस बारे में हमने Liver Transplant and Biliary Sciences, Gastroenterology, Hepatology & Endoscopy और मुंबई स्थित नानावती मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पीटल के डाइरेक्टर डॉ. अनुराग श्रीमल से बात की।

मिथकः अंगदान करने से मृत व्यक्ति का शरीर खराब हो जाता है, जिससे उसका अंतिक संस्कार करना मुश्किल हो सकता है।
सच्चाई: अंगदान करना बहुत ही पुण्य का काम माना जाना चाहिए। इस प्रक्रिया को करते हुए सभी डॉक्टर्स काफी सजग रहते हैं। मृत व्यक्ति के शरीर से अंग निकालकर, उसे पुनः अच्छी तरह बंद कर दिया जाता है, ताकि अंतिम संस्कार के दौरान किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
मिथकः धर्म अंगदान का समर्थन नहीं करता।

सच्चाई: यह बात बिना संकोच कही जा सकती है कि अंगदान मानवाता के लिए बेहतरीन कामों में से एक है। कई बच्चों, युवाओं को भी अपनी लाइलाज बीमारी के कारण अंगों की जरूरत पड़ जाती है। ऐसे में अगर समय रहते उन्हें ऑर्गन डोनर मिल जाए, तो वे आम लोगों की तरह स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। वहीं, धर्मो में इसकी अनुमति की बात करे, तो किसी भी धर्म में अंग दान की मनाही नहीं है। हिंदू इस्लाम, ईसाई, बौद्ध और सिख धर्म सहित अधिकांश प्रमुख धर्मों में अंग दान को महान कार्य या सेवा माना गया है और इसके लिए प्रोत्साहित किया गया है।
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मिथकः सिर्फ हृदय और गुर्दे ही दान किए जा सकते हैं।

सच्चाई: दिल यानी हार्ट और किडनी के अलावा, कई अन्य अंग भी डोनेट किए जा सकते हैं इसमें लिवर, फेफड़े, पेंक्रियाज, आंत, कॉर्निया, हॉर्ट वॉल्ब और स्किन भी डोनेट कर सकते हैं। आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि अगर किसी व्यक्ति का दुर्घटना के कारण ब्रेन डेड हो गया है, तो वह ऑर्गन डोनेट करके एक समय में आठ व्यक्तियों की जान बचा सकता है।
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मिथकः सिर्फ यंग और हेल्दी व्यक्ति ही ऑर्गन डोनेट कर सकता है।
सच्चाई: उम्र या किसी मेडिकल कंडीशन के कारण किसी व्यक्ति को ऑर्गन डोनेट करने के संदर्भ में अयोग्य यानी डिसक्वालिफाई नहीं मानती है। मृत्यु के समय किसी व्यक्ति का ऑर्गन कितना हेल्दी है और वह किस स्थिति में है, यही फैक्टर उसे ऑर्गन डोनर बना सकती है।
मिथकः हमारे देश में सिर्फ अमीर और प्रभावशाली लोग ही ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवा सकते हैं।
सच्चाई: हमारे देश में ऑर्गन किसको मिलेगा और कैसे मिलेगा, इस पर काफी ज्यादा निगरानी की जाती है। इस संबंध में Zonal Transplant Coordination Committee और अनु governmental bodies नजर रखती है। ये निकाय हर तरह के मानदंडों पर विचार करती है। इनके काफी सख्त दिशानिर्देश और कानून होते हैं। ये लोग समाज के अमीर या प्रभावशाली लोगों पर फोकस नहीं करते, बल्कि जरूरतों और किसने पहले आवेदन किया है, इस तरह की बातों पर ज्यादा फोकस करती है।
मिथक: अंग दान करने के कारण परिवार को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
सच्चाई: ऑर्गन डोनर के परिवार को इस संबंध में किसी तरह का कोई अतिरिक्त खर्च उठाना नहीं पड़ता है। इस मामले में, जो ऑर्गन रिसीव कर रहा है, सारा खर्च उन्हीं उठाना पड़ता है।
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