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स्पर्म (शुक्राणु) से जुड़े इन 4 मिथकों पर ज्यादातर पुरुष करते हैं भरोसा, डॉक्टर से जानें सच्चाई

Myth and Facts About Sperms in Hindi: कुछ लोग भ्रामक दावों और मिथकों पर भरोसा कर लेते हैं। लोगों के मन में स्पर्म (शुक्राणु) को लेकर गलत धारणाएं बैठ गई हैं। आइये डॉक्टर से जानते हैं इसकी सच्चाई।
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स्पर्म (शुक्राणु) से जुड़े इन 4 मिथकों पर ज्यादातर पुरुष करते हैं भरोसा, डॉक्टर से जानें सच्चाई


Myth and Facts About Sperms in Hindi: आजकल लोगों में यौन संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। पहले यह केवल कुछ ही बुजुर्गों में देखी जाती है। लेकिन, आजकल खराब लाइफस्टाइल और असंतुलित जीवनशैली के चलते लोग युवास्था में ही यौन संबंधी समस्याओं के घेरे में आने लगे हैं। इसके चलते कई पुरुषों में स्पर्म काउंट कम (Low Sperm Count in Hindi) हो जाते हैं तो कुछ लोगों में इरेक्शन से जुड़ी समस्या के शिकार हो जाते हैं। कई बार इस स्थिति में लोग भ्रामक दावों और मिथकों पर भरोसा कर लेते हैं।

ऐसे ही लोगों के मन में स्पर्म (शुक्राणु) को लेकर गलत धारणाएं बैठ गई हैं। ऐसे कई मिथ्स हैं जैसे मोटे या गाढ़े स्पर्म ज्यादा असरदार होते हैं, उम्र के साथ शुक्राणुओं की क्वालिटी कम नहीं होती है आदि। अगर आप भी इस तरह के मिथ्स पर भरोसा करते हैं तो यह लेख जरूर पढ़ें। आइये मेडिकवर हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट और एंड्रोलॉजिस्ट डॉ. विजय दहिफले से जानते हैं स्पर्म से जुड़े मिथ्स और उनकी सच्चाई। (Sperms Related Myths in Hindi)

गाढ़ा स्पर्म ज्यादा फर्टाइल होता है

डॉ. दहिफले के मुताबिक कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि स्पर्म (शुक्राणु) जितना गाढ़ा हो उतनी ज्यादा फर्टाइल (Are Thicker Sperms More Fertile) यानि स्पर्म बच्चे पैदा करने की उतनी ही ज्यादा ताकत रखता है। जबकि, ऐसा नहीं होता है। प्रेग्नेंसी के लिए स्पर्म का थोड़ा गाढ़ा रहना जरूरी होता है, लेकिन ऐसा नहीं कि स्पर्म जितना गाढ़ा होगा उतना अच्छा है। क्योंकि, अगर स्पर्म ज्यादा गाढ़ा होगा तो उसे वेजाइना तक मूव होने में कठिनाई हो सकती है, जिससे कई बार प्रेग्नेंसी में भी बाधा आ सकती है। ऐसे में स्पर्म की गतिशीलता और उसके भागने की क्षमता महत्वपूर्ण होती है। 

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वेजाइनल केनाल से निकलकर बनाते हैं अंडे

कुछ लोगों इस मिथ पर भरोसा करते हैं कि इजैकुलेशन के बाद जब स्पर्म निकलता है तो वह वेजाइनल केनाल से दौड़ते हुए सीधा अंडे बनाने की प्रक्रिया में लग जाता है। जबकि, इजैकुलेशन के बाद शुक्राणु वेजाइनल केनाल से निकलकर सीधा गर्भाशय में नहीं जाते हैं, बल्कि कई बार स्पर्म का कुछ हिस्सा फेलोपियन ट्यूब में भी स्टोर हो जाता है। इजैकुलेशन के बाद अंडे बनाने की प्रक्रिया थोड़ी सी लंबी हो सकती है। 

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एथलीट्स की तरह दौड़ते हैं स्पर्म

स्पर्म को लेकर यह भी मिथ है कि स्पर्म निकलने के बाद ऐसे दौड़ते हैं मानो कोई ऑलंपिक का खिलाड़ी दौड़ रहा हो। जबकि, स्पर्म एकसाथ नहीं दौड़ते हैं और स्पर्म का पहला हिस्सा सीधा नहीं भागता है। स्पर्म मिलियन की संख्या में तेज भागते हैं यह सच है, लेकिन यह हर व्यक्ति की अपनी स्पर्म मोबिलिटी पर निर्भर करता है। 

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बहुत कम समय तक जिंदा रहते हैं

कुछ लोगों में यह धारणा है कि स्पर्म निकलने के बाद वह केवल कुछ ही घंटो या कुछ मिनटों तक जिंदा रहते हैं। जबकि, ऐसा नहीं है अगर आपका स्पर्म हेल्दी है तो वह इजैकुलेशन के बाद वेजाइना में 5 दिनों तक भी जीवित रह सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में स्पर्म कुछ मिनटों में भी नष्ट हो सकते हैं। यह व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर भी निर्भर करता है। स्पर्म से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

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