आयुर्वेद के बारे में 5 भ्रामक बातें जिन्हें लोग मानते हैं सही, एक्सपर्ट से जानें इन मिथकों की सच्चाई

आयुर्वेदिक उपचार हमारे लिए बहुत ही कारगर है। लेकिन इससे जुड़ी मिथक बातों को लोग सच मानकर कई गलतियां कर देते हैं। चलिए जानते हैं उन मिथ्य के बारे में-
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आयुर्वेद के बारे में 5 भ्रामक बातें जिन्हें लोग मानते हैं सही, एक्सपर्ट से जानें इन मिथकों की सच्चाई


आयुर्वेद चिकित्सा भारत की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। कोरोनाकाल में बहुत से लोगों का झुकाव आयुर्वेद की तरफ बढ़ा है। कुछ समय पहले लोगों का झुकाव इसके प्रति कम हो गया था, लेकिन कोरोनाकाल में आयुर्वेद (Coronavirus and Ayurveda) की ओर कई लोगों का रुझान बढ़ा है। धीरे-धीरे लोग आयुर्वेद की चिकित्सा प्रणाली पर विश्वास करने लगे हैं। इसलिए कई आयुर्वेदिक उपचारों का सहारा भी ले रहे हैं। लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें आयुर्वेद की चिकित्सा से जुड़ी गलत जानकारियां हैं। इन गलत जानकारियों की वजह से लोगों पर इसका बुरा असर पड़ता है। हमारे आसपास आयुर्वेद से जुड़ी कुछ ऐसी मिथक बातें फैल रही हैं, जिसपर हम आंख बंद करके भरोसा भी कर लेते हैं। आज हम आपको इस लेख के जरिए इन्हीं मिथक से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। गाजियाबाद स्वर्ण जयंती के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राहुल चतुर्वेदी द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर हम आयुर्वेद की कुछ मिथक बातों की सच्चाई आपके सामने रख रहे हैं, ताकि आप इन बातों पर विश्वास न करें और सच्चाई से अच्छी तरह अवगत हो सकें। चलिए जानते हैं ऐसे ही 5 मिथक (Common Myths about Ayurveda) बातों की सच्चाई-

1. आयुर्वेदिक दवाओं का देरी से होता है असर?

हम में से कई लोग इस बात को सच मानते हैं कि आयुर्वेदिक दवाइयों का असर देरी से होता है। यह आयुर्वेद से जुड़ी गलतफहमियों में से सबसे सामान्य मिथ्य है। इस बारे में डॉक्टर राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि किसी भी बीमारी का इलाज करने में थोड़ा समय लगता है। किसी भी दवाईका असर तुरंत नहीं होता है, चाहे वो एलोपैथिक हो या आयुर्वेदिक। दवाई लेने के कुछ घंटे बाद या कुछ दिन के बाद उसका असर दिखता है। अगर दवाई का असर अन्य चिकित्सा प्रणाली में तुरंत होता, तो डॉक्टर आपको 4-5 दिन की दवाई नहीं लिखते। बीमारी चाहे गंभीर हो या फिर सामान्य उसे ठीक होने में वक्त लगता है। प्रत्येक बीमारी के इलाज का एक निश्चित समय निर्धारित किया गया है। आयुर्वेद की दवाइयों के लिए निर्धारित समय अन्य दवाइयों से थोड़ा अधिक है, लेकिन यह उपचार सबसे सुरक्षित माना जाता है। इससे आपके शरीर के अन्य अंग प्रभावित नहीं होते हैं।

2. वैज्ञानिक आधारित नहीं है आयुर्वेदिक इलाज

कई लोग यह भी मानते हैं कि आयुर्वेदिक दवाइयों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता है। यह पूरी तरह से मिथ है। आयुर्वेदा उपचार पूर्ण रूप से वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली पर आधारित है। यह प्राचीन और मॉडर्न चिकित्सा का मिश्रण है। आयुर्वेदाचार्य किसी भी व्यक्ति का इलाज संपूर्ण रूप से साइंटिफिक तरीके से करते हैं। आयुर्वेदाचार्य की उपाधि प्राप्त करने के लिए न सिर्फ एमबीबीएस, बल्कि संपूर्ण आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त करना जरूरी होता है। इसलिए यह कहना बेकार है कि आयुर्वेद का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

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3. आयुर्वेदिक दवाइयों का नहीं होता है साइड-इफेक्ट्स

बहुत से लोग यह मानते हैं कि आयुर्वेदिक दवाइयों का साइड-इफेक्ट नहीं होता है। लेकिन आयुर्वेद एक्सपर्ट की मानें तो किसी भी चीज की अति आपके लिए नुकसानदेय हो सकती है। अत्यधिक काढ़ा पीने से पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल सही समय और सही मात्रा में नहीं करते हैं, तो इससे आपको कई तरह की परेशानियां भी हो सकती हैं। इसलिए बिना एक्सपर्ट की सलाह के आयुर्वेदिक दवाइयों को खाने से बचें।

4. आयुर्वेद की दवाइयों का नहीं होता है एक्सपायरी डेट?

हम में से कई लोग इस बात को सच भी मानते हैं कि आयुर्वेद की दवाइयां एक्सपायर नहीं होती है। लेकिन यह आधा अधूरा सच है। आयुर्वेद में कुछ ऐसी चीजे हैं, जो एक्सपायर नहीं होती है। लेकिन बहुत सी ऐसी दवाइयां हैं, जिनकी एक्सपायरी डेट निर्धारित की गई है। आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें जैसे- हल्दी, शहद, घी, काली मिर्च, लौंग जैसी चीजें एक्सपायर नहीं होती है। लेकिन आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल करने का एक निर्धारित समय सुनिश्चित किया गया है। जैसे- गिलोय, शतावरी आंवला, अश्वगंधा, ब्राह्मी, अशोक, मुलेठी जैसी जड़ी-बूटियों की एक्सपायरी डेट होता है।

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5. आयुर्वेद इलाज के दौरान सिर्फ खाएं वेजिटेरियन डाइट

यह एक बहुत ही बड़ी गलतफहमी लोगों में है कि आयुर्वेदिक उपचार के दौरान सिर्फ वेजिटेरियन डाइट फॉलो करना पड़ता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। भले ही आयुर्वेद उपचार में वेजिटेरियन डाइट खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप सिर्फ वेजीटेरियन डाइट ही लें। शाकाहारी भोजन खाने से पचाने में आसानी होती है। इसलिए आयुर्वेदाचार्य वेजिटेरियन डाइट खाने की सलाह देते हैं। लेकिन आप बीच में मांसहारी भोजन भी कर सकते हैं। यह पूरी तरह से वर्जित नहीं होता है।

इन मिथक के अलावा कई अन्य मिथक बातें सोशल मीडिया पर आपको पढ़ने को मिल जाती हैं। सोशल मीडिया या फिर अन्य किसी से सुनी बातों पर विश्वास न करें। अगर आपको आयुर्वेदिक उपचार से जुड़े कोई भी डाउट्स हैं, तो एक्सपर्ट्स से उन डाउट्स को क्लियर करें। 

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