Causes Of Miscarriage In Second Trimester In Hindi: किसी भी गर्भवती महिला के लिए मिसकैरेज होना सबसे दुखदायी क्षण होता है। शायद ही कोई महिला इस परिस्थिति को आसानी से झेल पाती है। ऐसा किसी महिला के साथ न हो, इसलिए वे अपना बहुत ज्यादा ख्याल रखती है। प्रेग्नेंसी की पूरी जर्नी में सभी जरूरी दवाईयां और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाती है। यहां तक कि गर्भावस्था के दौरान कोई भी महिला जंक फूड या अनहेल्दी लाइफस्टाइल से पूरी तरह दूरी बना लेती है। वह, वही सब करना पसंद करती है, जिससे उसकी संतान हृष्ट-पुष्ट हो। उसे किसी तरह की शारीरिक और मानसिक समस्या न हो। इसके बावजूद, यह मामले कम नहीं आते हैं, जब प्रेग्नेंट महिला का मिसकैरेज हो जाता है। आमतौर पहली और नवीं तिमाही सबसे क्रिटिकल मानी जाती है। माना जाता है कि इन दोनां तिमाहियों में मिसकैरेज का जोखिम भी ज्यादा होता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरी तिमाही में मिसकैरेज नहीं होते हैं। दूसरी तिमाही में भी मिसकैरेज जैसी दुर्घटना घट सकती है। आइए, वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से जानते हैं इसके क्या कारण हो सकते हैं।
दूसरी तिमाही में मिसकैरेज होने के क्या कारण हो सकते हैं?- Causes Of Miscarriage In Second Trimester In Hindi
लंबे समय से चल रही बीमारी
कई ऐसी हेल्थ कंडीशंस होती हैं, जो प्रेग्नेंसी के आड़े आती हैं। इसी तरह, गर्भावस्था की जर्नी में भी लंबे समय से चल रही बीमारियों के कारण कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं। खासकर, दूसरी तिमाही में ये मेडिकल हेल्थ कंडीशंस मिसकैरेज का कारण बनती हैं। इसमें डायबिटीज, सीवियर हाई ब्लड प्रेशर, किडनी डिजीज और ओवरएक्टिव थायराइड ग्लैंड या हाइपोथायराइडिज्म शामिल हैं। अगर किसी महिला को किसी भी तरह की हेल्थ कंडीशन है और वह प्रेग्नेंट है, तो उन्हें चाहिए कि वे अपनी मेडिकल कंडीशन को सही तरह से मैनेज करें। इससे गर्भपात का खतरा कम होता है।
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संक्रमण
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में गर्भपात का एक कारण संक्रमण भी हो सकता है। हालांकि, छोटे-मोटे संक्रमणों से बचाव संभव है। लेकिन, रुबेला, सिफलिस, मलेरिया, एचआईवी, क्लैमेडिया, गोनोरिया जैसे संक्रमण से बचाव आसान नहीं होता है। अगर इस दौरान गर्भवती महिला की सही देखरेख न की जाए, तो दूसरी तिमही में गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है।
पीसीओएस
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें ओवरीज का साइज सामान्य से बड़ा होता है। यह ओवरीज में हार्मोनल परिवर्तन का कारण बनता है। सामान्यतौर पर यही माना जाता है कि जिन्हें पीसीओएस है, उन महिलाओं को कंसीव करने में समस्या आ सकती है और वे इंफर्टिलिटी का शिकार हो सकती हैं। लेकिन, जो महिलाएं कंसीव कर लेती हैं, उनके लिए यह कम परेशानी का कारण नहीं होती है। क्योंकि जो महिलाएं पीसीओएस के साथ कंसीव करती हैं, उन्हें दूसरी तिमाही में गर्भपात का जोखिम उठाना पड़ता है।
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फूड प्वाइजनिंग
यह जानकर भले ही आपको हैरानी हो, लेकिन यह सच है कि कई बार संक्रमित भोजन करने या गंदा पानी पीने की वजह से फूड प्वाइंजनिंग हो सकती है, जिससे गर्भपात हो सकता है। उदाहरण के रूप में समझें- जैसे साल्मोनेला। यह अक्सर कच्चे अंडे खा लेने से होता है। इसी तरह, टॉक्सोप्लाज्मोसिस। यह कच्चा या अधपका हुआ मीट खोने के कारण होता है। दोनों ही परिस्थितियों में गर्भवती महिला का दूसरी तिमाही में गर्भपात होने का खतरा बना रहता है। इसलिए, विशेषज्ञ हमेशा सलाह देते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कोई भी अधपका या कच्ची सब्जियां नहीं खानी चाहिए। वहीं, जो महिलाएं नॉन-वेज खाती हैं, उन्हें इस ओर और भी ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
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