प्रेग्नेंसी, हर महिला के लिए काफी अलग होता है। इस दौरान शरीर अलग-अलग बदलावों से गुजरता है और हर महीने शरीर में नए लक्षण महसूस होते हैं। इन लक्षणों में वजाइनल डिस्चार्ज भी आते हैं जैसे कि कुछ महिलाएं इस दौरान व्हाइट डिस्चार्ज महसूस करती है, तो कुछ ब्राउन, ग्रे और हरे रंग का ग्रीन डिस्चार्ज महसूस करती हैं। हर प्रकार के वजाइनल डिस्चार्ज का अलग ही मतलब होता है जैसे कि ब्राउन या गुलाबी रंग का डिस्चार्ज गर्भपात जैसी जटिलताओं का संकेत हो सकता है, लेकिन हल्के धब्बे या पुराने खून के डार्क रेड धब्बे नॉर्मल हो सकते हैं। तो गर्भावस्था के शुरुआती दौर में जेली जैसा म्यूकस जैसा मिल्की डिस्चार्ज इंफेक्शन का कारण हो सकता है। इसके अलावा ग्रे डिस्चार्ज, बैक्टीरियल वेजिनोसिस का संकेत हो सकता है लेकिन, आज हम जानेंगे कि प्रेगनेंसी में ग्रीन डिस्चार्ज क्यों होता है (Causes of green discharge in pregnancy)? जानते हैं इसका कारण Dr. N Sapna Lulla, Lead Consultant-Obstetrics & Gynaecology, Aster CMI Hospital, Bangalore से।
प्रेगनेंसी में ग्रीन डिस्चार्ज क्यों होता है-Green Discharge in Pregnancy in Hindi
Dr. N Sapna Lulla बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान हरे रंग का वजाइनल डिस्चार्ज सामान्य नहीं है और अक्सर किसी संक्रमण का संकेत देता है। समझने वाली बात ये है कि ये इंफेक्शन इतना गंभीर है कि किसी भी महिला को इस दौरान इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और इन 4 कारणों के बारे में जरूर जानना चाहिए।
1. बैक्टीरियल वेजिनोसिस-Bacterial Vaginosis
यह बैक्टीरियल वेजिनोसिस, एक प्रकार का वजाइनल असंतुलन है जो कि बच्चे के समय पहले जन्म की वजह बन सकता है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस, गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन, योनि की सफाई में कमी और आईयूडी के उपयोग की वजह से भी हो सकता है। इसके अलावा इसकी वजह से बच्चे की झिल्ली में सूजन आ सकती है। कई बार इस तरह की स्थिति समय के पहले यानी 37 हफ्ते से पहले एमनीओटिक फ्लूइड ब्रेक होने का संकेत भी हो सकती है।
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2. ट्राइकोमोनिएसिस-Trichomoniasis
ट्राइकोमोनिएसिस जैसे यौन संचारित संक्रमणों की वजह ग्रीन डिस्चार्ज हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान ट्राइकोमोनिएसिस, ट्राइकोमोनास वेजिनेलिस नामक एक परजीवी के कारण होता है, जो यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है, जिसमें योनि मैथुन, गुदा मैथुन, मुख मैथुन और बिना कंडोम के जननांगों को छूना शामिल है।
इस एसटीआई की वजह से समय से पहले जन्म, शिशुओं में कम वजन के साथ जन्म और एचआईवी जैसे अन्य एसटीआई होने का खतरा हो सकता है।
3. बैक्टीरिया और पैरासाइट की वजह से-Bacterial or Parasitic infection
प्रेग्नेंसी के दौरान बैक्टीरियल और पैरासाइटिक इंफेक्शन की वजह से हरे रंग का डिस्चार्ज हो सकता है। हरा रंग आमतौर पर बैक्टीरिया या परजीवी की उपस्थिति का संकेत देता है और इससे दुर्गंध, खुजली, जलन और बेचैनी हो सकती है।
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4. एमनियोटिक द्रव के रिसाव से-Leaking of amniotic fluid
कभी-कभी प्रेग्नेंसी में ग्रीन डिस्चार्ज एमनियोटिक द्रव के रिसाव से भी जुड़ा हो सकता है जिसमें मेकोनियम (meconium) मिला हो, जो कि बच्चे का पहला मल होता है और इसके लिए तत्काल देखभाल की आवश्यकता होती है।
नजरअंदाज न करें ये स्थिति
प्रेग्नेंसी के दौरान ग्रीन डिस्चार्ज को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि अगर इनका इलाज न किया जाए तो ये मां और बच्चे दोनों को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा ये प्रेग्नेंसी को गंभीर बना सकती है जिससे समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है, बच्चे की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है और इंफेक्शन फैलकर गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए किसी भी गर्भवती महिला को, जिसे हरा हरे रंग का डिस्चार्ज दिखे उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए ताकि सही जांच, उपचार और सुरक्षित स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
FAQ
प्रेगनेंसी में वाइट डिस्चार्ज कब से शुरू होता है?
प्रेगनेंसी में वाइट डिस्चार्ज कंसीव करने के 2 से 4 हफ्ते बाद महसूस हो सकता है और चौथे और पांचवे महीने में ये दिक्कत बढ़ सकती है। ये हार्मोनल बदलाव और इस दौरान ब्लड सर्कुलेशन की वजह से भी हो सकता है। वाइट डिस्चार्ज, शरीर को साफ करने का नेचुरल तरीका है।प्रेगनेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द कब शुरू होता है?
प्रेग्नेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द शुरुआती हफ्तों में शुरू हो सकता है। ये गर्भाशय और पेट के अंगों के बढ़ने की वजह से हो सकता है। इसके अलावा कुछ महिलाओं में जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी बढ़ती है पेट के निचले हिस्से का दर्द बढ़ सकता है। ये पेट में बच्चे के बढ़ने का संकेत है।गर्भावस्था के दौरान पेट टाइट कब होता है?
गर्भावस्था के दौरान पेट टाइट होना, शुरुआती महीनों में महसूस हो सकता है। ऐसा इसलिए कि इस दौरान पेट की मांसपेशियां बढ़ रही होती हैं, गर्भाशय बढ़ रहा होता है और शरीर में कई सारे हार्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं। इसके अलावा इस दौरान डाइजेशन भी प्रभावित रहता है जिसकी वजह से भी पेट टाइट महसूस हो सकता है।