बच्चों की ग्रोथ के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं। बच्चों के ब्रेन के पिट्यूटरी ग्लैंड से ग्रोथ हार्मोन रिलीज होता है। बच्चे को विकास के लिए इस हार्मोन को आवश्यक माना जाता है। इससे बच्चों की हड्डियां और मांसपेशियां का विकास होता है। बच्चे की ग्रोथ के लिए इस हार्मोन का लेवल सही होना बेहद आवश्यक है। यदि, इसमें कमी होने लगे, तो बच्चे को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। गुलाटी नर्सिंग होम के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ डॉक्टर नरेश गुलाटी से ग्रोथ हार्मोन की कमी के कारणों को जानते हैं। साथ ही, बच्चों में ग्रोथ हार्मोन की कमी के लक्षणों को भी आगे विस्तार से बताया गया है।
बच्चों में ग्रोथ हार्मोन की कमी के कारण - Causes Of Growth Hormones Deficiency In Child In Hindi
आनुवंशिक
कुछ आनुवंशिक बदलावों के कारण ग्रोथ हार्मोन के रिलीज होने की प्रक्रिया बाधित हो सकती हैं। यह बदलाव पिट्यूटरी ग्लैंज को प्रभावित कर सकते हैं। जिससे इस हार्मोन में कमी आ सकती है।
कॉग्नेटल कंडिशन
कॉग्नेटल कंडिशन (जन्मजात स्थितियों) जैसे सेप्टो-ऑप्टिक डिसप्लेसिया, प्रेडर-विली सिंड्रोम व टर्नर सिंड्रोम आदि के साथ पैदा होने वाले बच्चों में ग्रोथ हार्मोन की कमी का खतरा बढ़ जाता है।
ब्रेन ट्यूमर
ब्रेन में ट्यूमर (विशेष रूप से पिट्यूटरी ग्रंथि के पास) ग्रोथ हार्मोन के रिलीज सहित इसके सामान्य कार्य को बाधित कर सकता है। ब्रेन की सर्जरी या उस हिस्से में लेजर थेरेपी भी ग्रोथ हार्मोन को प्रभावित कर सकती है।
इंफेक्शन और सूजन
ब्रेन को प्रभावित करने वाले इंफेक्शन, जैसे मेनिनजाइटिस या एन्सेफलाइटिस पिट्यूटरी ग्रंथि को दबाव डाल सकते हैं। इससे ग्रोथ हार्मोन में कमी आ सकती है।
बच्चों में ग्रोथ हार्मोन की कमी के लक्षण - Signs And Symptoms Of Growth Hormone Deficiency In Child In Hindi
- ग्रोथ का रूक जाना : ग्रोथ हार्मोन की कमी होने पर बच्चे की ग्रोथ रूक जाती या धीमी हो सकती है। इससे बच्चा अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में छोटा रह जाता है।
- प्यूबर्टी का डिले होना (यौन परिपक्वता में देरी) : बच्चो की ग्रोथ के अलावा, ग्रोथ हार्मोन प्यूबर्टी में भी भूमिका निभाता है। इस हार्मोन की कमी होने पर किशोरों की प्यूबर्टी में देरी हो सकती है।
- मांसपेशियों का कमजोर होना : ग्रोथ हार्मोन में कमी होने पर बच्चे की मांसपेशियों की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। इस हार्मोन में कमी के कारण बच्चे की मांसपेशियां कमजोर हो सकती है।
- एनर्जी की कमी: ग्रोथ हार्मोन में कमी वाले बच्चों का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। मेटाबॉलिज्म शरीर सभी अंगों को एनर्जी प्रदान करता है। लेकिन, इसके प्रभावित होने से बच्चों की एनर्जी में कमी आ सकती है।
- कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना : ग्रोथ हार्मोन की कमी से लिपिड प्रोफाइल में बदलाव हो सकते हैं, जिसमें एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के स्तर बढ़ सकता है।
- सामाजिक और भावनात्मक चुनौती : जिन बच्चों का कद ग्रोथ हार्मोन की वजह से छोटा रह जात है, उनको सामाजिक व भावनात्मक चुनौतियां का सामना करना पड़ सकता है।
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ग्रोथ हार्मोन के लक्षणों को समय पर पहचान कर अभिभावकों को उसका इलाज कराना चाहिए। इन लक्षणों को नजरअंदाज करना बच्चे के लिए घातक हो सकता है। शारीरिक लक्षणों, हड्डी का एक्स-रे और कुछ विशेष टेस्ट की मदद से ग्रोथ हॉर्मोन की कमी का पता लगाया जा सकता है। हालांकि, ग्रोथ हॉर्मोन को बढ़ाने का कोई नेचुरल तरीका नहीं है। इसके बाजवूद, अगर पहले से इस समस्या का पता लग जाए, तो जरूरी समाधान किए जा सकते हैं।
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