
आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हम हर दिन तनाव, चिंता और असंतुलन से जूझते हैं। ऐसे में ध्यान को कई लोग मानसिक आराम का एक सरल तरीका मानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम ध्यान की अवस्था में जाते हैं, तब हमारे दिमाग में वास्तव में क्या होता है? क्या यह सिर्फ मन को शांत करने का एक मानसिक खेल है या फिर यह हमारे न्यूरोट्रांसमीटर, हार्मोन और मस्तिष्क की संरचना तक में बदलाव ला सकता है? आयुर्वेद और योग परंपरा तो सदियों से कहती आई है कि ध्यान मन, बुद्धि और चेतना को शुद्ध करता है। इस लेख में दिल्ली में स्थित वेदांत योग फाउंडेशन के फाउंडर, योग गुरु ओम प्रकाश (Yoga Guru Om Prakash, Founder of Vedanta Yoga Foundation, Delhi) से जानिए, क्या मेडिटेशन से दिमाग की केमिस्ट्री में बदलाव आता है?
क्या मेडिटेशन से दिमाग की केमिस्ट्री में बदलाव आता है - Can Meditation Change Brain Chemistry
योग गुरु ओम प्रकाश बताते हैं कि मेडिटेशन कोई तात्कालिक इलाज नहीं, बल्कि एक निरंतर प्रक्रिया है, जो समय के साथ मस्तिष्क में गहरे स्तर पर बदलाव लाती है। ध्यान करने से मस्तिष्क के कुछ खास हिस्सों में सक्रियता बढ़ती है, जो स्मृति, ध्यान और भावनात्मक नियंत्रण के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, मेडिटेशन करने से स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का लेवल घटता है, जिससे तनाव और चिंता में कमी आती है। साथ ही, यह सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के लेवल को संतुलित करता है, जिससे मूड अच्छा होता है और डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार आता है।
ओम प्रकाश जी कहते हैं, ''मैंने अपने जीवन में जब ध्यान को अपनाया, तब मेरे अंदर का भय, अस्थिरता और नकारात्मकता धीरे-धीरे खत्म होने लगी। नियमित ध्यान से मेरी स्मरण शक्ति तेज हुई, नींद में सुधार आया और भावनात्मक स्थिरता महसूस हुई।'' योग गुरु ओम प्रकाश जी के अनुसार, जब कोई व्यक्ति प्रतिदिन 15 से 30 मिनट का ध्यान करता है, तो कुछ ही हफ्तों में उसके व्यवहार और सोच में सकारात्मक परिवर्तन आने लगते हैं। कई बार ध्यान करने वाले रोगियों में Post-Traumatic Stress Disorder (PTSD) और Obsessive Compulsive Disorder (OCD) जैसी जटिल मानसिक स्थितियों में भी राहत देखी गई है।
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रिसर्च क्या कहती है?
NCBI की एक रिसर्च के अनुसार, मेडिटेशन नए न्यूरॉनों के निर्माण (न्यूरोजेनेसिस) और मौजूदा न्यूरॉनों के बीच नए संबंध (सिनेप्टोजेनेसिस) बनाने में सहायक हो सकता है। न्यूरोट्रांसमीटर्स, मस्तिष्क तरंगों, मानसिक अभ्यास और मनोवैज्ञानिक शोधों के प्रमाणों से स्पष्ट है कि ध्यान चिंता का प्रभावी और बिना दुष्प्रभाव वाला उपचार है। यह एक प्रकार की रोकथाम दवा के रूप में भी कार्य कर सकता है।
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एक्सपर्ट की सलाह
योग गुरु ओम प्रकाश कहते हैं कि ध्यान की शुरुआत किसी शांत स्थान पर बैठकर, सिर्फ अपनी सांसों को महसूस करने से की जा सकती है। जरूरी नहीं कि आप एक घंटा ध्यान करें। दिन में केवल 10 मिनट का भी ध्यान आपकी मानसिक स्थिति में बड़ा बदलाव ला सकता है। वे कहते हैं, ''ध्यान एक अभ्यास है और अभ्यास से ही परिवर्तन संभव है। जब आप अपने मन को कंट्रोल करना सीख जाते हैं, तब जीवन की हर चुनौती आपके लिए आसान हो जाती है।''
निष्कर्ष
मेडिटेशन न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और उसकी केमिस्ट्री को भी संतुलित करता है। ध्यान एक ऐसा उपाय है, जो बिना किसी दवा के मानसिक संतुलन और आंतरिक शांति लाने में सक्षम है। यदि आप भी मानसिक उलझनों से जूझ रहे हैं, तो ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाइए।
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Oct 15, 2025 16:36 IST
Modified By : Akanksha TiwariOct 15, 2025 16:36 IST
Published By : Akanksha Tiwari