Is it possible to recover hearing loss: आपने अपने आसपास ऐसे बच्चों को जरूर देखा होगा, जिन्हें कम उम्र से बहरेपन की समस्या होती है। ऐसे बच्चों में जन्म के कुछ समय बाद ही यह समस्या हो जाती है। कुछ मामलों में यह कुछ मेडिकल कंडीशन से जुड़ा हो सकता है। यह समस्या बच्चों में भी बहुत ज्यादा देखी जा रही है। अध्ययनों के मुताबिक हर 1000 बच्चों में दो या तीन बच्चों में हीयरिंग लॉस की समस्या जरूर देखी जाती है। शुरुआत में इसके लक्षणों का पता नहीं चल पाता है। इस कारण भी कई बच्चों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। कई लोग मानते हैं कि अगर परिवार में किसी को यह समस्या है, आगे वाली पीढ़ी में भी इस समस्या की संभावना बनी रहती है। लेकिन क्या बहरेपन की समस्या जेनेटिक होती है? इस बारे में जानने के लिए हमने मुंबई के डॉ. आर.एन कूपर हॉस्पिट के ईएनटी विभाग के डॉ. समीर भार्गव से बात की। आइए लेख में एक्सपर्ट से जानें इस बारे में।
बच्चे में जन्म से बहरेपन की समस्या जेनेटिक होती है? Can Hearing Loss Be Genetic
एक्सपर्ट के मुताबिक नवजात शिशुओं में जेनेटिक कारणों की वजह से भी बहरेपन की समस्या हो सकती है। जेनेटिक हीयरिंग लॉस एक गंभीर समस्या है जो बच्चे के जन्म के साथ ही होती है। ऑडिटरी नर्व और कान के अंदर डैमेज होना भी जेनेटिक हीयरिंग लॉस की वजह है। अगर घर में किसी को यह समस्या है या मेडिकल कंडीशन के कारण हुई है, तो आने वाली जनरेशन में भी इसकी संभावना हो सकती है। सिंड्रोमिक हीयरिंग लॉस बच्चों में किडनी, हार्ड और आंखों को भी प्रभावित कर सकता है।
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बच्चों में हियरिंग लॉस बढ़ने से कैसे रोका जाए?
एक्सपर्ट के मुताबिक बहरेपन की समस्या को खत्म नहीं किया जा सकता है। लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इसे होने से रोका जरूर जा सकता है-
- शिशु के जन्म के कुछ सप्ताह बाद ही चेकअप करवाना जरूरी है। इससे हीयरिंग लॉस के संकेतों को पहचाना जा सकता है।
- बेबी प्लानिंग से पहले जेनेटिक टेस्ट करवाने से भी इस समस्या का पता लगाया जा सकता है। इस टेस्ट से बच्चे में हीयरिंग लॉस को रोकने की संभावना का पता भी लगाया जा सकता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान भी डॉक्टर्स प्रोपर चेकअप और हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करने की सलाह देते हैं। क्योंकि इससे भी जेनेटिक हीयरिंग लॉस को रोका जा सकता है।
- जिन लोगों को बहरेपन की समस्या मेडिकल कंडीशन के कारण हुई है, उन्हें भी प्रोपर ट्रीटमेंट लेनी की सलाह दी जाती है। इससे बीमारी को दूसरी जनरेशन में जाने से रोका जा सकता है।
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लेख में हमने एक्सपर्ट से जाना जेनेटिक कारणों से भी हीयरिंग लॉस होने की संभावना रहती है। लेकिन अगर समय पर इसका पता लगा लिया जाए, तो नवजात शिशु में इसका खतरा रोका जा सकता है।